tears in eyes

Koshish: अश्कों का सैलाब बहाए तू क्यों खुद से रूठा रूठा हैं: अनुराधा रानी

!! कोशिश !!(Koshish)

flood of tears, Anuradha Rani WB

Koshish: अश्कों का सैलाब बहाए तू क्यों खुद से रूठा रूठा हैं,
मायूसी के घर में बैठ तू क्यों बुझा-बुझा सा हैं,
नाकामयाबी के डर ने तुझे कितना बेरहम बना दिया,
अपने ही ज़ख्मों पे ना हिम्मत का मल्हम लगने दिया,
उठ बन्दे अब और नहीं चल फिर आगे बढ़ते हैं,
माना बहुत सहा तूने पर आज एक और कोशिश करते हैं।

ठोकर हैं ,निराशा हैं,
तेरे होठों पे सन्नाटा हैं,
जो मिला नहीं तो क्या ग़म हैं,
जिंदगी में कुछ ना कुछ तो कम हैं,
अंधेरे को तूने अपना कहा,
रोशनी से कुछ कहा नहीं,
कुछ सवालों से तूने खुद को घेर लिया,
क्यों खुद से ही फिर मुंह फेर लिया ,
उठ बन्दे अब और नहीं चल फिर आगे बढ़ते हैं,
माना बहुत सहा तूने पर आज एक और कोशिश करते हैं।

दुनिया के तानों बानो में तू खुद को कहाँ छोड़ आया,
देख मुश्किलें हज़ार तू क्यों इतना घबराया,
ताश के पत्तों सा बिखर गया हैं,
तू मंज़िल से पहले क्यों ठहर गया हैं,
उठ बन्दे अब और नहीं चल फिर आगे बढ़ते हैं,
माना बहुत सहा तूने पर आज एक और कोशिश करते हैं।

ज़िंदगी ने जब करवटें बदली तू सिलवटों से ना लड़ पाया,
ज़र्रा-ज़र्रा तेरा महरूम रहा,
तूने डर का ताबूत दिल में ही दफनाया,
बेबाक खुद पे सवाल किया ,
देख ज़िंदगी का क्या हाल किया ,
उठ बन्दे अब और नहीं चल फिर आगे बढ़ते हैं,
माना बहुत सहा तूने पर आज एक और कोशिश करते हैं।

ख्वाहिशों की खिड़कियों को बन्द किया,
सितारों की ना तूने चमक देखी,
निराशा से रिश्ता जोड़ ,
ख़्वाबों को फिर तोड़ ,
तूने खुद को क्या तोहफ़ा दिया,
ऊंगली तुझपे उठाने का लोगो को फिर मौका दिया,
क्या यही रीत ज़िंदगी से सीखी ?
तूने अपनी ही असफलता की क्यों कहानी लिखी,
उठ बन्दे अब और नहीं चल फिर आगे बढ़ते हैं,
माना बहुत सहा तूने पर आज एक और कोशिश
करते हैं।

लड़ने के लिए तो ना जाने कितने अस्त्र हैं,
उम्मीद,हिम्मत , हौंसला सब तेरे ही वस्त्र हैं,
पहन ले एक बार इन्हें,
कामयाबी दरवाज़ा खोल देगी,
बना खुद को काबिल इतना ,
की ज़िंदगी भी हंसकर बोल देगी,
उठ बन्दे अब और नहीं चल फिर आगे बढ़ते हैं,
माना बहुत सहा तूने पर आज एक और कोशिश
करते हैं।

मुकम्मल तेरी ख्वाहिशें होंगी,
जब मुसलसल तेरी कोशिशें होंगी,
बूंद-बूंद से सागर भरा हैं,
भला ज़िंदगी का खिलाड़ी भी लड़ने से डरा हैं,
रख जोश इतना की खुद चुनौतियां डर जाए,
तेरी जीत का पंचम जब चारों ओर लहराएं,
उठ बन्दे अब और नहीं चल फिर आगे बढ़ते हैं,
माना बहुत सहा तूने पर आज एक और कोशिश
करते हैं।
अनुराधा रानी ✍️

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क्या आपने यह पढ़ामहीना – जनवरी अपने में खास (January is special in itself)

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