Desh ki bagia: हमारा भारत बहुत प्यारा, न्यारा न्यारा सबसे प्यारा: सुमन भारती
!! देश की बगिया !!(Desh ki bagia)
Desh ki bagia: हमारा भारत बहुत प्यारा
न्यारा न्यारा सबसे प्यारा
कहीं जाति के धर्म रहते यहां
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई
गोरखा मद्रासी मिलजुल के यहां
यहां कई जाति धर्म के लोग रहते हैं
हिंदु , मुस्लिम, सिक्ख , ईसाई , गोरखा, मद्रासी
पर सब मिलजुलकर रहते हैं
इस अपने भारत देश में
वीर जवान शहादत सैनिक
तन मन से रक्षा करते प्राण
जान की बाजी लगाकर खुद को
करते भारत माता की जय जय पुकार
सुरक्षित रहते पूरे भारत जम्मू द्वीपे संसार
राष्ट्रीय ही जिसके अपना सर्वस्व
जहां कई वीरो ने जन्म लिया
सुभाष आजाद तिलक बाई ने
स्वयं भारत के स्वच्छंद के लिए
आहुती दे दी देशों के खातिर
जिसके विश्व विश्व वंदन हो संसार
गंगा यमुना सरस्वती संगम सरयु
इसके कंचन निर्मल से जल से
बूंद बूंद से प्यास बुझता संसार
भारत में गूंज उठती रंग प्यारे वतन
त्यौहारे दिवस के जगमग हो संसार
दशहरा दिवाली होली के रंग में
देवी – आभा – रंग – बिरंगे दिवस के तस्वीर
जगमग – जगमग ज्योति करें संसार
पता है मेरे यहां की सुंदर भव
जन्नत का सैर मिलती है यहां
बिहार बिहार मेरे भारत में बिहार
प्यारा प्यारा सुंदर गांव शहर यहां
बुद्ध के सिद्धांतों की संस्कृति
मिलती यहां बोधिसत्व ज्ञान
लंबी आयु की खातिर बच्चों की
जितिया पर्व मनाती जननी माता
दो दिन उपवासो के बाद भी
सर्वस्व निछावर कर देती अपनों लिए
छठी पर्व छठी मैया के द्वार
चार दिनों के साधना यहां
सांध्य भोर लगे पंथ पखार
अर्घ्य दे आदित्य प्रभा के
सरिताएं खग भी जगाए दिवस
नयनों से गिरे अश्रु धार जब
दंडवत दे पंथ – पंथ के कष्ट
हो जाता दिवस जग जग सार
बिहारी हूं बिहार का रहा
हो गया अब राष्ट्र के राष्ट्रवाद
धर्म – धर्म सिद्धांत के उपदेश बना
हो रहा विश्व का जन कल्याण
ताजमहल जिसकी खासियत
शाहजहां मुमताज के स्मृति पर
मुगल अकबर का प्रशस्त यहां
जन-जन की संस्कृति जगी
बढ़ बढ़ते चली पथ का ज्ञान
मौसम मौसम की बात कही
जहां विविध समय में हो ज्ञान
सर्दी जब शीत लहर की
पहनते कपड़े चार और पांच
आग आग के हो जाते दास सभी
सेदने की मजा कुछ और ही है
वसंत वसंत की हुई आगमन
पतझर छोड़ नव कलित मुस्कान
आम लीची की सुनहरी मंजरिया
चहुंओर दृश्य मनोरम बनाती
रवि जब क्रोधित हो जाते
अपनी रोशनी से धरती को जलाते
नींबू पानी जूस हमें बचाती
हम फिर हरियाली को क्यों उजारते ?
रिमझिम रिमझिम बादल बरसे
सुंदर-सुंदर हरी-भरी घासे
रंग बिरंगे फूल खिलते पाते
देखें मेंढक टर टर करते
झींगुर भी देखो मृदंग बजाती
ऊपर से बिजुरिया फोटो खींचती
देखो देखो कितनी ऊंची गर्जन करती
क्या कहूं अब इस भारत को
अस्वच्छता का भरमार चल पड़ा
धीरे-धीरे जमीने की खिसकती
कहां गयी वो सुनहरी पीली खेती
बच्चे बूढ़े तड़प रहें देखो दरिंदों
भूखों की अंगार प्रबल हो चली
एकता की बात क्या कहूं बंधु
फिर भी बेझिझक देश को ही देंगे नाम
जिन चीजों को मैंने किया वर्णन
वह है मेरे प्यारे देश की बगिया
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