Pandavas

Old historical caves of pandavas: पांडवो की 5500 साल पुरानी इतिहासिक गुफायों ओर शिव मंदिर का अस्तित्व बचाने के लिये काम किया शुरू

Old historical caves of pandavas: पठानकोट के साथ लगते गांव मुकेसरा में पड़ते मुक्तेश्वर धाम में हैं 5500 साल पुरानी पांडवो की गुफाएं

लुधियाना, 27 जुलाईः Old historical caves of pandavas: पठानकोट के साथ लगते गांव मुकेसरा में पड़ते मुक्तेश्वर धाम जिस में 5500 साल पुरानी पांडवो की गुफाएं है। जिसमें पांडवों ने अपने अज्ञात वास के 6 माह का समय इन गुफाओ में गुजारा था। अब इन गुफाओ का अस्तित्व खतरे में आ गया था, क्योंकि इन गुफाओ के साथ निकलते रावी दरिया के ऊपर बैराज प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है।

इस वजह से ये गुफाएं झील के पानी में डूबने जा रही थी। जिसको लेकर मुक्तेश्वर महादेव धाम बचाओ समिति और स्थानीय निवासियों की और से लंबे समय तक संघर्ष किया गया ओर अब उनकी यह मुहिम रंग लाती नजर आ रही है। सरकार और प्रशासन ने लोगों की भावनाओ को ध्यान में रखते हुए इस महान धाम को बचाने के लिए अब काम शुरू कर दिया है। 

वही मुक्तेश्वर महादेव प्रबंधक कमेटी के प्रधान भीम सिंह ने बताया कि उनकी ओर से जो लंबे समय तक संघर्ष किया था, उसके कारण की डैम प्रशासन की ओर अब इस धाम को बचाने के लिये भर्ती डालने का काम शुरू कर दिया गया है। भर्ती का काम पूरा हो जाने के बाद दीवार बनाने के लिये टेंडर लगा कर इसका काम भी शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस धाम को बचाने का श्रेय केवल उनका नही यह सब लोगो के संयुक्त प्रयास से ही सफल हुआ है।

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पंजाब के जिला पठानकोट के अर्धपहाडी क्षेत्र धार के गांव डूंग में यह शिवलिंग पहाड़ों को चीरकर बनाई गई गुफा में स्थापित किया गया है। पठानकोट से इस जगह की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। इस स्थान को मुक्तेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। यह गुफा करीब साढ़े पांच हजार साल से भी ज्यादा समय पहले द्वापर युग मे अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने बनाई थीं। अज्ञातवास के दौरान पांडवों को हर किसी से छिप कर समय बिताना था।

इस दौरान पांडव यहां के घने जंगलों में पहुंचे। अर्जुन ने अपने तीर से वार करके पहाड़ों को चीर कर यह गुफा बनाई थी। यहां एक नहीं बल्कि कुल पांच गुफाएं बनायीं गयी थीं। मुक्तेश्वर धाम को मिनी हरिद्वार के रूप में भी जाना जाता है। यहां कई लोग अस्थियां प्रवाहण के लिए भी आते हैं। शिवरात्रि पर यहां तीन दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में भारी संख्या में दूर दराज से भगवान शिव के भक्त पहुंचते हैं। यहां तीन दिन मन्दिर के किनारे झील में स्नान करने और शिवलिंग का जलाभिषेक करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। हर साल इस मेले में 2 लाख के करीब श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं।

इस संबंधी जानकारी देते हुए डैम के चीफ इंजीनियर बलविंदर सिंह ने बताया कि मुक्तेश्वर धाम को बचाने के लिये पहले चरण में धाम के साथ लगती जमीन पर भर्ती डालने का काम शुरू कर दिया गया है। इसकी फाईनल ड्रॉइंग भी बन कर तैयार हो चुकी है। इसके बाद यहां पर बनने वाली दीवार के लिये जल्द ही टेंडर भी लगा दिया जाएगा।

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