एक अनार काफी है सौ बीमारियों के लिए
- वानस्पतिक नाम- Punica granatum (प्युनिका ग्रेनेटम)
- कुल- लिटरेसी (Lythraceae)
- हिन्दी- अनार, दारम, धारिम्ब
- अंग्रेजी- पामेग्रेनेट, ग्रेनाडाइन, बलुस्ताईन फ्लावर (Pomegranate, Grenadine, Balustine Flower)
- संस्कृत- दाडिम्बा, बीजापुरा, दाडिमाफलम
हमारे देश में अनार लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है और अनेक राज्यों में इसकी खेती भी प्रचुरता से होती है ना सिर्फ अनार का फल बल्कि इस पेड़ के सभी अंग औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, हलाँकि फल की अपेक्षा इसकी कच्ची कली व छिलके में अधिक औषधीय गुण पाये जाते हैं। अनार का वानस्पतिक नाम प्युनिका ग्रेनेटम है। ऐसा माना जाता है कि अनार के सेवन से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है और इसी वजह से यह हृदय के लिए खूब लाभदायक होता है। अनार की ताजी, कोमल कलियाँ पीसकर पानी में मिलाकर, छानकर पीने से गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि होती है। लगभग 10 ग्राम अनार के पत्तों को आधा लीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इस काढ़े से कुल्ले करने से मुँह के छालों में लाभ होता है।
लगभग 100 ग्राम अनार के हरे पत्तों को 500 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी रह जाये, तो इसे छानकर 75 ग्राम घी और 75 ग्राम शक्कर मिलायें। इसे सुबह-शाम पीने से मिरगी के रोग में खुब फायदा होता है। अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लिए जाए और इसे मंजन की तरह दिन में 2 से 3 बार इस्तेमाल किया जाए तो दाँतों से खून आना बंद होकर दाँत मजबूत हो जाते हैं। लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण (लगभग 1 ग्राम) और सोंठ का चूर्ण (लगभग आधा ग्राम) मिलाकर पीने से पुरुषों में पेशाब के साथ वीर्य जाने की समस्या में बहुत लाभ होता है। अनार के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन अतिशीघ्र कम हो जाती है और दर्द में भी आराम मिलता है।