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Supreme court: जब तक बेटा वयस्क नहीं होता तब तक उसका भरषोषण उठाना पिता की जिम्मेदारी

Supreme court: पिता को हर महीने 50 हजार रुपये भरण पोषण देने का भी निर्देश दिया

नई दिल्ली, 02 दिसंबरः Supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच हुए विवाद की सजा बच्चे को नहीं मिलनी चाहिए। बच्चा जब तक वयस्क नहीं हो जाता तब तक उसके भरणपोषण की जिम्मेदारी पिता की होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह जस्टिस ए.एस. बोपन्ना ने सुनवाई करते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच जो भी विवाद है, एक बच्चों पीड़िता नहीं होन चाहिए। पीठ ने कहा कि बच्चे की मां की कोई अजीविका नहीं है वह अपने पैतृक घर में रह रही है।

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इस वजह से बच्चे के शिक्षा सहित की तमाम जिम्मेदारियों उसके पिता को उठानी पड़ेगी। न्यायालय संविधान 142 के तहत फैमिली कोर्ट के फैसले को मान्य रखा है और पिता को हर महीने 50 हजार रुपये भरण पोषण देने का भी निर्देश दिया है।

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