राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) का प्रधानमंत्री को पत्र

राफेल घोटाले में 2.81 बिलियन यूरो – 21,075 करोड़ रु. के भ्रष्टाचार का खुलासा: राहुल गाँधी (Rahul Gandhi)

अहमदाबाद, 09 अप्रैल: Rahul Gandhi: राफेल घोटाले में चौंकाने वाले खुलासों ने मोदी सरकार द्वारा ‘व्यापक भ्रष्टाचार, ‘राजद्रोह, ‘देश की सुरक्षा के अपराधिक उल्लंघन’ और ‘सरकारी खजाने को कम से कम 2.81 बिलियन यूरो (21,075 करोड़ रु.) का नुकसान पहुंचाने के आरोपों को और ज्यादा पुख्ता कर दिया है।

प्रधानमंत्री एवं मोदी सरकार को देश को जवाब देना होगा :- ????

◆ क्या यह सच है कि 10 अगस्त, 2015 को ‘इंडियन नेगोशिएटिंग टीम (आईएनटी) हथियारों के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए 5.06 बिलियन यूरो की मानक लागत पर पहुंची। क्या फ्रांसीसी न्यूज़ पोर्टल/एजेंसी, मीडियापार्ट एचआर द्वारा बिचौलिए से हासिल किए गए ईडी दस्तावेजों का आंकलन कर जारी किए गए आईएनटी के दस्तावेजों से यह बात साबित नहीं होती?

◆ क्या यह सच नहीं कि 20-01-2016 को आंतरिक बैठक में डसॉल्ट एविएशन ने 36 लड़ाकू । विमानों की कीमत 7.87 बिलियन यूरो तय की थी?

◆ क्या यह सच नहीं कि भारतीय टीम ने अगले दिन 36 लड़ाकू विमानों के लिए 7.87 बिलियन यूरो का यह मूल्य ठुकरा दिया था?

◆ क्या यह सच नहीं कि 23-09-2016 को 36 लड़ाकू विमानों के लिए 7.87 बिलियन यूरो का मूल्य (जो डसॉल्ट ने 20-01-2016 को अपनी आंतरिक बैठक में तय किया था) मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया और यह कॉन्ट्रैक्ट डसॉल्ट को दे दिया गया?

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7.87 यूरो का मूल्य स्वीकार कौन सी लेन देन व्यवस्था के तहत किया गया, जब भारत के रक्षा मंत्रालय ने स्वयं 5.06 बिलियन यूरो का मूल्य तय किया था और डसॉल्ट द्वारा निर्धारित किए गए 7. 87 बिलियन यूरो के मूल्य को खारिज कर दिया था?

2.81 बिलियन यूरो, यानि 21,075 करोड़ रु. ( सितंबर, 2016 में 1 यूरो = 75 भारतीय रुपये) का अतिरिक्त भुगतान करके सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का कारण क्या है? क्या यह प्रथम दृष्टि से राफेल घोटाले की जाँच करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं?

◆ क्या यह सच नहीं कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) ने 26- 03 -2019 को मारे गए छापे में एक बिचौलिए से ‘रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज’ हासिल किए, जिनमें शामिल हैं

a) 10 अगस्त, 2015 का ‘बेंचमार्क प्राईज दस्तावेज’।

b) रक्षा मंत्रालय के आईएनटी द्वारा ‘बातचीत का रिकॉर्ड।

c) रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बनाई गई गणना की एक्सेल शीट’; और

d) भारत सरकार को 20 प्रतिशत छूट का यूरो फाईटर का काउंटर ऑफर। क्या यह राजद्रोह नहीं?

मोदी सरकार ने डसॉल्ट, राजनैतिक कार्यकारिणी या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की, जिन्होंने दस्तावेज लीक किए?

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◆ क्या यह सच नहीं कि “रक्षा खरीद प्रक्रिया” के अनुसार भ्रष्टाचार विरोधी धाराएं’, यानि “कोई रिश्वत नहीं, कोई उपहार नहीं, कोई प्रभाव नहीं, कोई कमीशन नहीं, कोई बिचौलिया नहीं” रक्षा के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट की अनिवार्य नीति है? क्या यह सच नहीं कि भ्रष्टाचार विरोधी धाराएं तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा 126 लड़ाकू जहाजों की खरीद के लिए जारी किए गए टेंडर का हिस्सा थीं?

◆ क्या यह सच नहीं कि अनिवार्य भ्रष्टाचार विरोधी धाराएं’ रक्षा मंत्रालय द्वारा दिनांक 20 जुलाई, 2015 को ‘इंटर गवर्नमेंटल एग्रीमेंट’ के हिस्से के रूप में प्रस्तावित की गई थीं? क्या यह सच नहीं कि फ्रांसीसी सरकार/डसॉल्ट ने ‘भ्रष्टाचार विरोधी धाराओं को हटा दिया?

◆ क्या ‘भ्रष्टाचार विरोधी धाराएं राफेल सौदे में दी जाने वाली रिश्वत एवं कमीशन की जिम्मेदारी से बचने के लिए हटाई गई? सितंबर, 2016 में ‘भ्रष्टाचार विरोधी धाराओं को हटाने की अनुमति प्रधानमंत्री जी और मोदी सरकार ने क्यों दी, बावजूद इसके कि रक्षा मंत्रालय ने जुलाई, 2015 में इंटर – गवर्नमेंटल समझौते में ये धाराएं रखने पर बल दिया था?

◆ 24 अप्रैल, 2014 को डसॉल्ट द्वारा बताए गए नोट में बिचौलिया डसॉल्ट अधिकारियों से “भारतीय राजनैतिक हाई कमांड के साथ मुलाकात” करवाने का वादा एवं रक्षा मंत्री के बदले जाने की संभावना का दावा कैसे कर रहा था?

◆ क्या मोदी सरकार में “हाई कमांड” के साथ ऐसी कोई मुलाकात हुई?

◆ क्या यह सच है कि कथित मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री जी ने 10 अप्रैल, 2015 को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की ऑफ-द-शेल्फ खरीद करने और एचएएल को ऑफसेट पार्टनर के रूप में हटाए जाने तथा इस सौदे में प्राईवेट भारतीय उद्योगपति को शामिल किए जाने की घोषणा की? क्या यह सच है कि नवंबर, 2015 में रक्षा के पोर्टफोलियो में परिवर्तन भी किया गया?

◆ एक प्राईवेट व्यक्ति एवं बिचौलिया इतना शक्तिशाली कैसे हो सकता है कि वह भारत के सबसे बड़े रक्षा सौदे में मोदी सरकार के निर्णयों को प्रभावित कर सके? क्या इस मामले में स्वतंत्र रूप से संपूर्ण जाँच नहीं की जानी चाहिए?

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