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माउंट आबू: राजनीतिक रस्साकसी ,बीच मे जनता फँसी,पालिका ने क्यों रोकी है आम लोगों की 90 फाइल: एसडीएम सैनी

  • पालिका ने क्यों रोकी है आमलोगों की 90 फाइल — एसडीएम सैनी ।
  • हम तय प्रक्रिया से कर रहे है कार्य — पालिकाध्यक्ष जीतू राणा ।

रिपोर्ट: किशन वासवानी,माउंट आबू
माउंट आबू, 29 जनवरी:
पिछले तीन दशकों से पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू के वाशिन्दे अपने मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्षरत है । कभी एक एक कर कभी एक समूह में तो कभी एक साथ चार दिनों तक शहर बन्द रख कर के जन आन्दोलन के रूप में । माउंट आबू के लोगो का आक्रोश समय समय परिलक्षित हो चुका है । ऐसे में राजनीति भी कम नहीं है, कुछ नहीं करके ओर कभी थोड़ा बहुत करके श्रेय लेने का अवसर वो भी नहीं छोड़ना चाहती । ……….अब बस यहीं सब रस्साकसी है, विभागों की विभाग से तो राज नेताओं की अपने पराभव ओर प्रभाव को दमकाने की ,दिखलाने कि, हम ओर हमारे ही वजह से सब कुछ है, राहत भी ओर आहत भी ।

बात की भी जाए तो ऐसे में आमजन कहाँ पर …? कौन देगा उसे राहत …? या सदियों से चली आ रही परम्परा की चक्की में वह भी पीस जाएगा , जै से पहले वाले पीढ़ी के लोग पिसते रहे ???

जनता को राहत देने का दावा करने वाली नगर पालिका अब ख़ुद ही आमजन से राहत देने के वादे पर कुन्डली मार बैठी है । राहत के अपने किए वादे तो दूर रहे अब 90 फाइलों को प्रक्रिया के लिए ही रोक दिया गया हैं । ऐसे में प्रश्न तो उठेगें ही कि, आप तो आमजन को और वोटर्स को राहत देने का झंडाबरदार बन सत्ता में आ गए ,अब उसी राहत के लिए बीत गए एक साल का जिम्मेदार कौन …? जवाब मिलता था एसडीएम साहब !

जब एसडीएम माउंट आबू गौरव सैनी से ही पत्रकारों ने पूछ लिया कि, साहब आप हमारी राहत को आहत में बदलने के गुनहगार हैं ,तो एसडीएम माउंट आबू ने यह जवाब दिया कि, आरोप लगाने से पहले नगरपालिका ही यह बताए कि, उसने 90 फाइलों को मैरे पास प्रक्रिया में आने से क्यो रोक टोक रखा है ??? आखिर कहां पर है भ्र्ष्टाचार ? यह भी हमे ही देखना होगा न । यदि एसडीएम ऑफिस में है तो वे ही बताए , नहीं तो हम सिद्ध कर देंगे ?

वहीं पर 90 फाइलों को रोकने का लाजवाब पालिकाध्यक्ष जीतू राणा से भी सुन लीजिए कि, हम पहले फाइलों को तय क्रम व प्रक्रिया में लगाएंगे, ताकि गरीब को परमीशन मिल जाए, पैसे वाले व प्रभावशालियों को तो सदियों से मिलती रही है । जयपुर में मुख्यमंत्री से भी आश्वासन मिल चुका है, जल्द काम होंगे , कोनसे काम कैसे काम पर कागज़ वगैरह देख कर , कुछ न कुछ समझ कर या नासमझ कर तपाक से बोल दिया कि, सबको पट्टे मिलेंगे, खाँचा भूमि देंगे और यह पूछने पर जो जर्जर आवासों में रह रहे है उन्हें रिपयरिंग की अनुमति कब ??? ,नए निर्माण को अनुमति कब ??? लाजवाब बस जल्द ही ATP ओर स्टॉफ आ जाएं जल्द दे देंगे ।

वहीं पर आयुक्त नगर पालिका यह फरमाते है कि, यह मामला मैरे पदस्थापन से पूर्व का है, इससे पूर्व में नगरपालिका अध्यक्ष जितू राणा। ने ही एक यू नोट के द्वारा इन फाइलों को आगे एसडीएम के पास जाने से रोका था ।ये आदेश पालिकाध्यक्ष के है,कोई फाइल बाहर नही जाएं । जो उन्हें आने के कुछ दिनों के बाद पता चला है । एसडीएम साहब कल निरीक्षण नगरपालिका कार्यालय का किया था। उन्होंने भी नियमानुसार आफिस की प्रक्रिया की जानकारी ली है । AEN नगरपालिका द्वारा यह बताया गया कि, 90 फाइलें प्रक्रिया में है । जिन्हें किया जाना है ।जिन्होंने ने भी काम को ढंग से नहीं किया है, नियमानुसार कार्यवाही करेंगें ।

खैर जो भी हो या हो रहा है, उससे तो यह साफ जाहिर होता है कि, नगर पालिका बोर्ड व कॉंग्रेस के राजनेताओं का आमलोगों को राहत देने का इरादा कम ,अपितु लोगों को उनकी मुलबूत जरूरतों के लिए ओर प्रतीक्षारत रखकर के आमजन में अपने प्रभाव व वर्चस्व की धाक जमानी है ,ताकि आमजन अधिकारियों के पास न जाकर के नेताओं के आगे शरणागत हो और वे अपने राजनीतिक प्रभाव का शक्तिपरीक्षण भी कर लेवें ओर श्रेय भी ।