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Gyanvapi Masjid Shivling found will be worship: ज्ञानवापी के वजूखाने में मिले शिवलिंग की होगी पूजा, पढ़ें पूरी खबर

Gyanvapi Masjid Shivling found will be worship: चार जून को वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए हम ज्ञानवापी जाएंगे: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

नई दिल्ली, 02 जूनः Gyanvapi Masjid Shivling found will be worship: पिछले दिनों ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिले होने की खबरें सामने आई थी। इसी कड़ी में अब मस्जिद के वजूखाने में मिले इस शिवलिंग की पूजा भी की जाएगी। दरअसल शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, जब भगवान शिव प्रकट हो गए हैं तो उनका पूजन-अर्चन, राग-भोग होना चाहिए। अपने आराध्य की पूजा के लिए न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा हम नहीं कर सकते हैं।

Gyanvapi Masjid Shivling found will be worship: गुरु व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आदेश पर चार जून को वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए हम ज्ञानवापी जाएंगे। जहां तक अनुमति होगी वहां तक जाकर भगवान शिव को राग-भोग व पूजन अर्पित करेंगे।

Gyanvapi Masjid Shivling found will be worship: आज शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारघाट स्थित विद्यामठ में प्रेसवार्ता में यह घोषणा की। मामला अभी अदालत में होने और वजूखाने की कड़ी सुरक्षा के बीच पूजन के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों में शंकराचार्य का आदेश सर्वोपरि है। उनके आदेश का पालन होगा।

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जब उनसे सवाल किया गया कि मामला अभी अदालत में है और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है, ऐसे में पूजन कैसे संभव है? इस पर उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों में शंकराचार्य का आदेश सर्वोपरि है। उनके आदेश का पालन होगा। शनिवार को वह कब और कैसे मस्जिद परिसर में प्रवेश करेंगे, इस प्रश्न पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इसे अभी गोपनीय रखा गया है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि शास्त्रों में भगवान शिव के अतिरिक्त अन्य ऐसे कोई देवता नहीं है जिनके शिर से जलधारा निकलती हो। जो मनुष्य सनातन संस्कृति को न जानते, भगवान शिव के स्वरूप एवं उनके माहात्म्य को नहीं जानते वे किसी के शिर से पानी निकलते हुए देखकर उन्हें फव्वारा ही तो कहेंगे। मुसलमान लोग भगवान् शिव को नहीं जानते और न ही उनको मानते हैं। इस्लाम में देवता आदि की परिकल्पना दूर दूर तक नही है। ऐसे में वे सभी अबोध हमारे भगवान् शिव को फव्वारा नाम से कहकर स्वयं यह सिद्ध कर दे रहे हैं कि वे ही भगवान् शिव हैं।

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