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Government decision regarding edible oil: महंगाई के बीच राहतभरी खबर…? खाने वाले तेल को लेकर सरकार ने लिया यह फैसला

Government decision regarding edible oil: सरकार ने तेल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी में छूट को जारी रखने का निर्णय लिया

नई दिल्ली, 03 अक्टूबरः Government decision regarding edible oil: बढ़ती महंगाई के बीच लोगों के लिए राहत भरी खबर सामने आ रही हैं। दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने खाने वाले तेल की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए बड़ा फैसला लिया हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन-डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम ने खाने वाले तेल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी में छूट जारी रखने का निर्णय लिया हैं।

त्योहारी सीजन में देश में खाने वाले तेल की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में अगर इस दौरान तेल की कीमतों में इजाफा होता, तो जाहिर है आम लोगों को बड़ा झटका लगता। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि निर्दिष्ट खाद्य तेलों पर रियायती आयात शुल्क मार्च 2023 तक लागू रहेगा।

बताया जा रहा है कि खाने वाले तेल के आयात पर रियायती सीमा शुल्क को और 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। इस तरह अब नई समय सीमा मार्च 2023 होगी। मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण घरेलू मार्केट में खाने वाले तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहा है। ग्लोबल मार्केट में गिरती कीमतें और कम आयात शुल्क की वजह से भारत में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में काफी गिरावट आई है।

पाम ऑयल पर कितना टैक्स?

पाम ऑयल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की कच्ची किस्मों पर आयात शुल्क फिलहाल शून्य है। हालांकि, 5 फीसदी कृषि सेस, 10 फीसदी सोशल वेलफेयर सेस लगता है। सेस टैक्स को ध्यान में रखते हुए इन तीनों तेल की कच्ची किस्मों 5.5 प्रतिशत है शुल्क प्रभावी है। इसके अलावा पामोलिन और रिफाइंड पाम तेल की अलग-अलग किस्मों पर बेसिक सीमा शुल्क 12.5 फीसदी है। सरकार ने खाने वाले तेल की कीमतों को काबू में रखने के लिए कई बार पाम तेल पर आयात शुल्क में कटौती की है।

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