Dr. Adinath Upadhyay: संगीत शास्त्री डॉ आदिनाथ उपाध्याय का हुआ विशिष्ट व्याख्यान
Dr. Adinath Upadhyay: संगीत संकाय के कौस्तुभ जयंती वर्ष के तहत व्याख्यान माला शृंखला के उद्घाटन के अवसर पर, डॉ उपाध्याय ने संगीत विदुषी प्रो प्रेमलता शर्मा के जीवन से जुड़े रोचक प्रसंगो पर डाला प्रकाश
- Dr. Adinath Upadhyay: बी एच यू के संगीत एवं मंच कला संकाय मे ख्याति प्राप्त संगीत शास्त्री डॉ आदिनाथ उपाध्याय का हुआ विशिष्ट व्याख्यान
- 83 वर्षीय संगीत मर्मज्ञ डॉ आदिनाथ उपाध्याय को संगीत के क्षेत्र मे विशिष्ट योगदान देने हेतु, कौस्तुभ कला रत्न सम्मान से किया गया विभूषित

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 24 सितंबर: Dr. Adinath Upadhyay: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंचकला संकाय के कौस्तुभ जयन्ती समारोह वर्ष के तहत, देश के विशिष्ट विद्वानों के वर्ष पर्यन्त व्याख्यान के क्रम में, संगीतशास्त्र विभाग द्वारा मंगलवार को विदुषी प्रेमलता शर्मा व्याख्यान श्रृंखला का उद्घाटन किया गया। इस श्रृंखला के पहले सोपान में देश के ख्यातिलब्ध संगीतशास्त्रज्ञ एवं ओजस्वी वक्ता, डॉ० आदिनाथ उपाध्याय का विशिष्ट व्याख्यान, संकाय के पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागृह में सम्पन्न हुआ।
डॉ उपाध्याय ने संगीत में शास्त्र पक्ष की महत्ता को रेखांकित करते हुए बीएचयू संगीत महाविद्यालय के संस्थापक पंडित ओंकारनाथ ठाकुर की शिष्या, विदुषी प्रेमलता शर्मा के जीवन से जुड़े हुए रोचक प्रसंगों को सुनाया। संगीत के प्रयोग के विषय में कुछ भी कहना, लिखना, विचारणा ही संगीतशास्त्र है, ऐसा आपने उदाहरणों द्वारा समझाया।
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एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रख्यात कथक गुरु, पंडित बिरजू महाराज जिस ट्रेन से लखनऊ से कोलकाता जा रहे थे, उसी ट्रेन में प्रो प्रेमलता शर्मा जी अपने शिष्य डा.आदिनाथ उपाध्याय के साथ वाराणसी से कोलकाता जाने के लिए सवार हुईं। रास्ते भर, संगीत रत्नाकर के नर्तन अध्याय पर चर्चा होती रही। पंडित बिरजू महाराज ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया कि संगीत के शिक्षक एवं विद्यार्थी – दोनों के लिए ही संगीत शास्त्र का अध्ययन, अत्यंत अनिवार्य है. डा. आदिनाथ उपाध्याय ने बताया कि प्रोफेसर प्रेमलता शर्मा केवल संगीतशास्त्रविद ही नहीं थीं, बल्कि गौ, गंगा और गायत्री के प्रति भी उनका पूर्ण समर्पण और सेवा भाव था।

आरंभ में प्रतिमा-त्रय (माँ सरस्वती, पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पंडित ओंकारनाथ ठाकुर) के माल्यार्पण के उपरान्त, कौस्तुभ जयंती संकाय प्रमुख प्रो० संगीता पंडित ने विशिष्ट वक्ता एवं अन्य अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात् 83 वर्षीय डॉ० आदिनाथ उपाध्याय को संगीत के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान को देखते हुए, संकाय प्रमुख प्रो० संगीता पंडित, वाद्य विभागाध्यक्ष एवं ख्याति सितार वादक प्रो० बिरेन्द्र नाथ मिश्र तथा आयोजन सचिव प्रो० प्रवीण उद्धव द्वारा डॉ उपाध्याय को “कौस्तुभ कला रत्न सम्मान” से विभूषित किया गया।
संगीतशास्त्र विभाग के डॉ० शुभंकर डे द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया. जबकि कार्यक्रम का कुशल संचालन, कृष्ण कुमार उपाध्याय ने किया।