Sun

Artificial sun: ब्रिटिश के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सूर्य बनाने का किया दावा, पढ़ें पूरी खबर

Artificial sun: चीन के बाद अब ब्रिटिश के वैज्ञानिकों ने सूर्य (Artificial sun) बनाने का किया दावा

नई दिल्ली, 11 फरवरीः Artificial sun: आज के समय में विज्ञान और टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ गई है। वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर आश्चर्य जनक खोज किये जा रहे है। ऐसी ही खोज ब्रिटिश के वैज्ञानिकों ने की है। दरअसल ब्रिटिश के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सूर्य (Artificial sun) बनाने का दावा किया है। वैज्ञानिको का दावा है कि उन्होंने एक ऐसा रिएक्टर बनाया है जो सूर्य की तकनीक पर न्यूक्लियर फ्यूजन करता है, इससे ऊर्जा निकलती है। न्यूक्लियर फ्यूजन की प्रक्रिया सूर्य जैसी गर्मी पैदा करने के लिए होता है। बता दें कि ऐसा ही एक दावा चीन के वैज्ञानिकों ने भी किया है।

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस प्रयोग के दौरान रिएक्टर से पांच सेकंड तक 59 मेगाजूल उर्जा निकली। आमतौर पर इतनी मात्रा में उर्जा पैदा करने के लिए 14 किलो टीएनटी का इस्तेमाल करना पड़ता है। परमाणु संलयन तकनीक में ठीक उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो सूर्य गर्मी पैदा करने के लिए करता हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि परिणाम अच्छे मिलते रहे तो आने वाले समय में इससे मानवता को भरपूर, सुरक्षित और साफ उर्जा स्त्रोत मिलेगा, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या से छुटकारा मिल सकेगा। परमाणु संलयन पर केंद्रित ब्रिटिश प्रयोगशाला में यह सफलता वर्षों के प्रयोग के बाद मिली हैं। ऑक्सफोर्ड के पास स्थित संयुक्त यूरोपीय टोरस प्रयोगशाला के वैज्ञानिक इस प्रक्रिया पर 1980 के दशक से काम कर रहे हैं।

क्या आपने यह पढ़ा…… Seminar on Indian classical music: वसंत कॉलेज फॉर वीमेन में शास्त्रीय संगीत पर सेमिनार

परियोजना का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर इयान ने कहा कि संलयन सूर्य की शक्ति का मूल स्त्रोत है। हम लंबे समय से उस शक्ति को फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह मशीन एक प्रयोग है लेकिन हम यह साबित करने के काफी नजदीक है कि यह बड़े पैमाने पर काम कर सकता हैं। फ्यूजन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी लड़ाई का एक बड़ा हिस्सा हैं।

वहीं ब्रिटेन के विज्ञानमंत्री जार्ज फ्रीमैन ने इस नतीजे की प्रशंसा करते हुए इसे मील का पत्थर करार दिया हैं। विज्ञानमंत्री जार्ज फ्रीमैन ने कहा कि ये इस बात का प्रतीक है कि ब्रिटेन में उल्लेखनीय शोध और नई खोजों को बढ़ावा दिया गया है और यूरोपीय सहयोगियों की मदद से परमाणु संलयन पर आधारित उर्जा को वास्तविक रूप दिया गया हैं।

Hindi banner 02