Training On CPR To Employees in IIT

Training On CPR To Employees in IIT: आईआईटी में कर्मचारियों को दिया गया सीपीआर पर प्रशिक्षण

Training On CPR To Employees in IIT: कार्डियक अरेस्ट में सीपीआर देकर बचाई जा सकती है मरीज की जान”- डॉक्टर शिवशक्ति

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, (बीएचयू) में राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने सीपीआर पर दी लाइव प्रस्तुति

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 03 फरवरीः Training On CPR To Employees in IIT: कार्डियक अरेस्ट होने पर (विशेष परिस्थिति में) पीड़ित के जीवन की रक्षा विषय पर शुक्रवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, (बीएचयू) में निदेशक, फैकल्टी समेत समस्त ग्रुप ए और बी अधिकारियों, कर्मचारियों को सीपीआर प्रशिक्षण सत्र का संस्थान के ABLT स्थित सभागार में किया गया। इसमें वाराणसी के राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने कार्डियक अरेस्ट आने पर बरती जाने वाली सावधानियों और सीपीआर से अवगत कराया।

उन्होंने कहा कि, कोरोना के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आजकल व्यायाम और नृत्य करते समय भी लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा है। ऐसी घटनाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। ऐसे समय में सीपीआर देने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए। बताया कि कार्डियक अरेस्ट के मरीज के लिए पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम होता है।

अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेथ का शिकार हो सकता है। इस समय मरीज को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि सीपीआर एक मेडिकल थेरेपी की तरह है। इससे हार्ट अटैक आने पर मरीज को सीपीआर देते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है। सीपीआर तब तक देते रहना चाहिए जब तक एंबुलेंस न आ जाए या मरीज अस्पताल या विशेषज्ञ चिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाए। ऐसा करने से मरीज के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

Training On CPR To Employees in IIT: उन्होंने बताया कि अगर व्यक्ति की सांस सा धड़कन रुक गई है तो ऑक्सीजन की कमी से शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगी है। इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। सही समय पर सीपीआर और इलाज शुरू नहीं होने पर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इस विधि से व्यक्ति की सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को विशेष तरीके से दबाया जाता है।

दी गई लाइव प्रस्तुति

प्रशिक्षण के दौरान डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने मानव शरीर की डमी पर सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देने की लाइव प्रस्तुति दी। उन्होंने दिखाया कि सीपीआर के लिए सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है और प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति उसके पास घुटनों के बल बैठ जाता है। उसकी नाक और गला चेक कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं है।

इसके बाद अपने दोनों हाथों की मदद से विशेष तरीके से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाना होता है। हर एक पुश के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इससे शरीर में पहले से मौजूद रक्त को हृदय पंप करने लगता है। 30 बार पुश करने के बाद मुंह पर साफ रूमाल रखकर दो बार सांसें दी जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह शुरू होता है और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलने लगती है।

क्या होता है सीपीआर

कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक आपातकालीन प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप नहीं कर सकता है। इस दौरान इलाज नहीं मिलने पर मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो सकती है।

क्या होता है हार्ट अटैक?

दिल तक खून पहुंचना बंद होने की स्थिति को हार्ट अटैक कहा जाता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल और फैट के कारण अक्सर दिल तक खून ले जाने वाली धमनी में खून का प्रवाह रुक जाता है और इसके कारण दिल तक खून नहीं पहुंच पाता है। धमनी ब्लॉक होने की वजह से ऑक्सीजन भी इस तक नहीं पहुंच पाती है। हालांकि ऐसी स्थिति में दिल की कार्यप्रणाली बरकरार रहती है यानी कि इंसान का दिल धड़कना बंद नहीं होता है।

क्या है कार्डियक अरेस्ट?

कार्डियक अरेस्ट उस स्थिति में होता है जब कार्डियक कार्यप्रणाली अचानक रुक जाती है यानी दिल धड़कना बंद कर देता है। इस दौरान फेफड़ों, दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक खून पहुंचना रुक जाता है और प्रभावित व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाती है। कई बार हार्ट अटैक आने की वजह से भी अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।

ऐसी इमरजेंसी में मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (CPR) और डिफाइब्रिलेटर से बिजली के झटके दिए जाते हैं। इस दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, (बीएचयू) के Dean (R&D) प्रो विकास दूबे, कुलसचिव राजन श्रीवास्तव, प्रोफेसर प्रभाकर सिंह आदि फैकल्टी भी मौजूद थी।

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