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TB patient adoption campaign: मऊ में टीबी रोगियों को गोद लेने का अभियान कल से शुरू

TB patient adoption campaign: 24 मार्च विश्व टीबी दिवस के अवसर पर उपचाराधीन क्षय रोगियों को सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाएं, गणमान्य नागरिक और अधिकारी गोद लेंगे

मऊ, 22 मार्चः TB patient adoption campaign: क्षय रोगियों को बेहतर इलाज व सेवा देने के लिए अब सरकार समाजसेवी संस्थाओं की भी मदद लेगी। इसी क्रम में 24 मार्च विश्व टीबी दिवस के अवसर पर उपचाराधीन क्षय रोगियों को सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाएं, गणमान्य नागरिक और अधिकारी गोद (TB patient adoption campaign) लेंगे। इसके लिये जनपद के 1,000 रोगियों को गोद के लिये चिंन्हित कर लिया गया है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ श्याम नरायन दुबे ने दी।

डॉ दुबे ने बताया कि अभियान (TB patient adoption campaign) में पूरी आबादी के 20% जनसंख्या का स्क्रीनिंग किया जा रहा है। टीबी के मरीजों में जागरूकता लाने के लिए टीबी चैंपियन बनाए गए हैं जिन्होंने इलाज पूरा करने के साथ टीबी को पूरी तरह से मात देकर सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे लोगों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन देने के साथ उन्हें समाज में टीबी चैम्पियन बना कर, उनके मनोबल को बढ़ाया जा रहा है। साथ ही उनके ई-लर्निग के माध्यम से विषय उपलब्ध कराकर आनलाइन प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसपी अग्रवाल ने बताया कि जनपद में टीबी को मात देकर स्वस्थ हो चुके लोगों को अन्य नये टीबी रोगियों को मनोबल बढ़ाने, दवा प्रयोग संबंधित आदि जानकारी के लिये जिले में टीबी चैम्पियन बनाये गये हैं। इन्हें दीक्षा एप के मध्यम से टीबी संबंधित ई-लर्निग कोर्स करा के प्रमाण पत्र दे कर ट्रीटमेंट सपोर्टर बनाया जा रहा है। यह ट्रीटमेंट सपोर्टर टीबी से निदान, उपचार, अन्य जानकारियाँ, नये टीबी के रोगियों को जानकारी देकर जागरुक कर उन्हें क्षय रोग से लड़ने तथा जल्द से जल्द इस रोग से छुटकारा पाने में दवा के महत्व की जानकारी देते हैं।

परदहा ब्लाक के रहने वाले टीबी को मात देकर टीबी चैम्पियन बने तथा सरकार के ई-लर्निग का कोर्स कर प्रमाण पत्र प्राप्त कर ट्रीटमेंट सपोर्टर बने सुनील प्रजापति ने बताया टीबी (ट्यूबरक्लोसिस, तपेदिक या क्षयरोग) एक संक्रामक रोग होता है, जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है किसी एक ही संक्रामक संवाहक के साथ होने वाले अन्य रोगों के मुकाबले टीबी दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है। टीबी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के द्वारा फैलता है।

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हम हवा में सांस लेकर टीबी की बैक्टीरिया को प्राप्त कर सकते हैं और टीबी से ग्रस्त हो सकते हैं। टीबी के बैक्टीरिया हवा में उन व्यक्तियों के द्वारा फैलाए जाते हैं, जिनके शरीर में पहले से टीबी के बैक्टीरिया हैं यह धीमी गति से बढ़ते बैक्टीरिया के कारण होता है जो शरीर के उन भागों में बढ़ता है जिसमें खून और ऑक्सीजन होता है इसके लिए टीबी ज्यादातर फेफड़ों में होता है। इसे पल्मोनरी टीबी कहते हैं टीबी शरीर के अन्य भागों में भी हो सकता है।

नगर क्षेत्र की दूसरी टीबी चैम्पियन व प्रशिक्षित ट्रीटमेंट सपोर्टर पिंकी चौरसिया ने बताया कि हम सामान्य तरीके से टीबी के लक्षणों के माध्यम से इसे पहचानने की लोगों को जानकारी देते हैं जिसमें लगातार तीन हफ्ते तक निरंतर कफ वाली खांसी का होना, थकान और वजन का घटना भी शामिल है।

टीबी आमतौर पर उपचार के साथ ही ठीक हो जाती है। इनके उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स शामिल हैं। इसका उपचार अक्सर सफल होता है। लेकिन उपचार में 6 से 9 महीने तक लग सकते हैं। कुछ परिस्थितियों में यह दो साल का भी समय ले सकता है। ऐसे में टीबी के इलाज में रोगी को घबराने की आवश्यकता नहीं होती है, टीबी के दवा का कोर्स पूरा कर लेने पर टीबी से पूर्णतया निजात मिल जाती है।

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