Moot court competition in BHU: बीएचयू में मूट कोर्ट प्रतियोगिता का आयोजन

Moot court competition in BHU: संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन से ही संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण संभव… सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश राजेश बिंदल

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 27 मार्च: Moot court competition in BHU: “एकाग्रता, क्षमता, स्पष्टता और प्रतिबद्धता के समावेशन से ही कानूनी पेशे का उत्थान संभव है। भारत गांवों का देश है, इसीलिए विधि के पेशेवरों को अपनी सेवा को गांवों तक पहुंचाने की नयी पहल करने की आवश्यकता है। आज संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन से ही संवैधानिक अधिकारों का संरक्षण संभव है।”

ये उद्बोधन थे, उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेश बिंदल के. जस्टिस बिंदल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि संकाय में तीन दिवसीय नेशनल मूट कोर्ट प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

प्रतियोगिता में देशभर के विधि-विज्ञानियों ने वर्तमान दौर में कानून के आवश्यक स्वरूप पर चिंतन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. वी.के शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में मूट कोर्ट को विधि के छात्रों के लिए अति आवश्यक बताया। संकाय प्रमुख प्रो. अजय कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया।

अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सी. पी. उपाध्याय ने किया। प्रतियोगिता में देश भर के 24 चयनित टीमें प्रतिभाग कर रही हैं। कार्यक्रम में विधि संकाय के समस्त अध्यापकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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