Kaustubh Start Up

Kaustubh Start-Up: वाराणसी में एक ऐसी चाय की दुकान जहां ले सकते हैं 150 किस्म के चाय का स्वाद

Kaustubh Start-Up: वाराणसी के कौस्तुभ ने स्वरोजगार के क्षेत्र मे किया अभिनव पहल, बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ शुरू किया चाय बार

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 24 अगस्तः Kaustubh Start-Up: स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु कुछ वर्षों पूर्व जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चाय पकोड़े बेचने की बात कही थी तब कांग्रेस कन्हैया और केजरी ने तीखी आलोचना की थी। यह बात लोगों को अच्छी तरह याद होगा कि कांग्रेस के बड़बोले नेता जयराम रामेश ने आलोचना की सारी हदे पार कर दी थी। उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी को चाय की दुकान खोलने हेतु मैं आमंत्रित करता हूं। इसके लिए मैं उन्हें कांग्रेस दफ्तर मे स्थान भी दिला दूंगा। जयराम रामेश के इस वक्तव्य पर खूब बवाल मचा था।

Kaustubh Start-Up: प्रधानमंत्री के मर्यादा को खंडित कराने वाले उक्त बयान पर राहुल गाँधी भी नाराज़ हुए थे। रमेश के उक्त बयान से राहुल ने पल्ला झाड़ा और रमेश को संयमित भाषा मे बोलने की नसीहत भी दी थी। उसके बाद रमेश जी की बोलती बंद ही हो गयी। उस वक्त राष्ट्रीय चर्चा का विषय बने चाय ने वाराणसी के शिक्षित और अच्छे पैकेज पर नौकरी कर रहे युवा कौस्तुभ को खूब प्रभावित किया। स्वरोजगार के क्षेत्र मे कुछ बड़ा करने हेतु मन मे ठान लिया कौस्तुभ ने। लंका नगवा चौराहे पर कौस्तुभ ने आधुनिक चाय बार खोल कर साहसिक कदम उठाया।

वैसे तो बनारस मे हर गली, चौराहे पर चाय की दुकान आम बात है। लेकिन इनमे कुछ दुकानें ऐसी भी हैँ जिनकी ख्याति राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती रही हैं। उनमे अस्सी चौराहे पर स्थित पप्पू और पोई के पूर्वजो द्वारा स्थापित दुकान की ख्याति सर्वाधिक है। इन दोनों दुकानों पर डॉ सम्पूर्णानद, राज नारायण, पंडित कमला पति त्रिपाठी, हज़ारी प्रसाद द्विवेदी, नामवर सिंह, काशी नाथ सिंह, बाबा नागार्जुन, त्रिलोचन शास्त्री, जार्ज फर्नांडिस, रुस्तम सैटिन, जनेश्वर मिश्र आदि राजनीति और साहित्य के पुरोधा अक्सर आया करते और चाय की चुस्कियों के बीच राष्ट्रीय चर्चा करते थे। स्वाभाविक है कि इन नामचीन व्यक्तियों को देखने और सुनने हेतु स्थानीय लोगों की भीड़ पप्पू पोई की दुकानों पर जुट जाती थी। बताते चले की दोनों दुकानों की तीसरी पीढ़ियां चाय की गद्दी संभाल रही हैं।

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बनारस की किसी गली, नुक्कड़-चौराहे की चाय दुकान पर हाथों में चाय लेकर बतकही करना बनारसियों का एक पसंदीदा शगल है, लेकिन बनारसी चाय की दुकानों का रूप अब बदलने लगा है। काशी के युवाओं और विदेशियों को अब नए फैशनेबल चाय की दुकान या बनारसी भाषा में कहा जाए तो चाय की अड़ी (अड्डा) का स्वरूप अब बदलने लगा है। वाराणसी के युवा कौस्तुभ ने बड़े पैकेज वाली नौकरी को छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू किया। 26 साल के इस युवा ने ये मन बनाया कि अब काशी की इस पारम्परिक जीवनशैली में वो अपने नए आइडिया के साथ काम करेगा और स्वरोजगार को अपनाएगा। कौस्तुभ ने बताया कि 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रोजगार पर भाषण दे रहे थे।

उस दौरान उन्होंने कहा था कि युवा स्वरोजगार अपनाकर भी बड़े एंटरप्रेन्योर बन सकते हैं। पकोड़ा तलना या चाय बेचने पर विपक्षी पार्टियों द्वारा लगातार तंज कसे जाते थे, लेकिन अमित शाह ने भाषण में चाय पकोड़ा बेचने को स्वरोजगार और स्वभिमान से जोड़ दिया था। इसका कौस्तुभ पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसने बढ़िया सैलेरी और इंसेंटिव की नौकरी छोड़ चाय बार खोलने का मन बना लिया। अपनी सेविंग्स और पिता से थोड़ी मदद लेकर कौस्तुभ ने नगवां चौराहे के पास चाय बार खोल दिया।

यूनिक कांसेप्ट पर खोले जाने की वजह से कौस्तुभ अब अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं। इस दुकान मे बनने वाली 150 तरह की चाय का स्वाद आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। अस्सी घाट से नगवा संत रविदास पार्क होते हुए लंका जाने वाली सड़क पर कौस्तुभ का यह आधुनिक चाय बार, देशी विदेशी पर्यटकों को तो लुभा ही रहा है, साथ ही स्वरोजगार हेतु नौजवानों को प्रेरित भी कर रहा है।

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