International Seminar in BHU

International Seminar in BHU: बीएचयू के बॉटनी डिपार्टमेंट में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

International Seminar in BHU: फंगल बायोलॉजी एंड प्लांट-माइक्रोब इंटरेक्शन पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ कर रहे मंथन

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 16 फरवरीः
International Seminar in BHU: वनस्पति विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के तत्वावधान में ‘फंगल बायोलॉजी एंड प्लांट-माइक्रोब इंटरेक्शन 2024’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आज उद्घाटन हुआ। सत्र का उद्घाटन मुख्य अतिथि कर्नाटक राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. एस. आर. निरंजन, विशिष्ट अतिथि प्रो. मदन के. भट्टाचार्य आयोवा विश्वविद्यालय, अमेरिका, एवं प्रो. संजय देशमुख, पूर्व कुलपति, मुंबई विश्वविद्यालय, की उपस्थिति में हुआ।

मुख्य अतिथि प्रो. निरंजन ने कहा कि, संभावित सूक्ष्म जीवों के प्रयोग से कृषि उत्पादन में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया गया है। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान करने के लिए भी प्रोत्साहित किया ताकि हम अच्छी वैश्विक रैंकिंग हासिल कर सकें।

प्रोफेसर मदन के भट्टाचार्य ने सम्मेलन के विषय पर चर्चा की और माइकोलॉजी और प्रतिरोध के क्षेत्र में अपने शोध कार्य के बारे में विस्तार से बताया। प्रो. डी. जे. भाग्यराज ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया। इस अवसर पर प्रो. आर. के. अस्थाना, विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग, एवं प्रो. आर. एन. खरवार की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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संयोजक, डॉ. राघवेंद्र सिंह, समन्वयक ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच संचालन आयोजन समिति के डॉ. प्रशांत सिंह ने किया। कार्यक्रम में वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. सतीश कुमार वर्मा, डॉ. अखिलेश कुमार, डॉ. एल. एस. सोंगाचन, डॉ. अभिषेक कुमार द्विवेदी एवं विभाग के अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।

18 फरवरी तक चलने वाले इस सम्मेलन में फंगल जीव विज्ञान और पादप-सूक्ष्मजीव अंतःक्रिया के क्षेत्र में नवीनतम विकास और प्रगति पर चर्चा करने और विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए दुनिया भर के प्रमुख शोधकर्ता, विद्वान और विशेषज्ञ एक साथ जुटे है्ं। यह सम्मेलन दितधारकों को एक साथ जुड़ने के लिए नेटवर्किंग के अवसर प्रदान कर रहा है।

सम्मेलन में कवक आनुवंशिकी और जीनोमिक्स, पादप-सूक्ष्मजीव अंतःक्रिया, कवक पारिस्थितिकी, जैव प्रौद्योगिकी और बहुत कुछ सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होगी। प्रतिभागियों को अपना शोध प्रस्तुत करने, क्षेत्र के विशेषज्ञों से सीखने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने का अवसर मिलेगा।

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