Badrinath Temple Doors Closed

Badrinath Temple Doors Closed: शीतकालीन सत्र हेतु बद्रीनाथ मंदिर का कपाट बंद

Badrinath Temple Doors Closed: बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने के मौके पर मौजूद रहे ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ जी महाराज

  • बदरीनाथ मदिर के इतिहास में 247 वर्षो के बाद हुआ ऐसा

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 19 नवंबरः Badrinath Temple Doors Closed: करोडों हिदुओं की आस्था के केंद्र मध्य हिमालय स्थित बदरीनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को वैदिक मंत्रोचार एवं परंपरानुसार शीतकाल के लिए बंद (Badrinath Temple Doors Closed) कर दिए गए। यह यात्रा काल यात्रियों की संख्या की दृष्टि से ऐतिहासिक रहा। इस यात्रा काल में 18 लाख से अधिक तीर्थ यात्रियों ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए।

मंदिर के इतिहास में 247 वर्षों के बाद ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती महाराज की गरिमामई उपस्थिति मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने के अवसर पर रही।

गौरतलब है कि इस यात्रा कल में बदरीनाथ मंदिर के कपाट वैशाख शुक्ल सप्तमी तदनुसार 27 अप्रैल को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए तब से लेकर कपाट बंद होने तक बदरीनाथ धाम में 18 लाख से अधिक श्रद्धालुओ ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किया। बदरीनाथ मंदिर के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय दर्ज हो गया है। 247 वर्षों के बाद ज्योतिष पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने की अवसर पर उपस्थित रहें।

यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 1776 में ज्योर्तिमठ में आचार्य ना होने से टिहरी के तात्कालिक नरेश ने केरल के नंबूदरी ब्राह्मण को बदरीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी नियुक्त कर उसे रावल की उपाधि दी। इसके बाद से ही यहां मुख्य पुजारी के पद पर केरल के नम्बूदरी ब्राह्मण अपनी सेवाएं देते हैं इस बार की पूजा में मुख्यपुजारी के रूप में श्री ईश्वरप्रसाद नम्बूदरी रावल रहे।

वर्तमान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आचार्य पद पर अभिशिक्त होने के बाद इस यात्रा कल में बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने एवं कपाट बंद होने के अवसर पर उपस्थित होकर वर्षों पुरानी परंपरा को एक बार फिर से पुनर्जीवित किया।

चमोली प्रशासन और मंदिर समिति को शुभाशीर्वाद दिया

शंकराचार्य ने कुशल यात्रा प्रबंधन के लिए सभी संबंधित संस्थाओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इसके लिए बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति प्रशासन, जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन तथा मंदिर परंपरा से जुड़े सभी लोगो को भी धन्यवाद दिया।

पूज्य शंकराचार्य महाराज के साथ उपस्थित रहे सहजानन्द ब्रह्मचारी, श्रवणानन्द ब्रह्मचारी, मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, शिवानन्द उनियाल, आत्माराम महाराज, पीठ पुरोहित आनन्द सती, आशुतोष डिमरी, पवन डिमरी, भास्कर डिमरी, विनोद नवानी , कमलेशकान्त कुकरेती आदि उपस्थित रहे।

क्या आपने यह पढ़ा… WR Superfast Special Trains: पश्चिम रेलवे मुंबई-अहमदाबाद के बीच अतिरिक्त सुपरफास्ट विशेष ट्रेनें चलाएगी

Hindi banner 02
देश की आवाज की खबरें फेसबुक पर पाने के लिए फेसबुक पेज को लाइक करें