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Punjab Mail completes 110 years: भारतीय रेल की सबसे पुरानी ट्रेन पंजाब मेल ने पूर्ण किए गौरवशाली 110 वर्ष

Punjab Mail completes 110 years: पंजाब मेल ने 1 जून 1912 को बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से यात्रा शुरू की

मुंबई, 31 मईः Punjab Mail completes 110 years: भारतीय रेल की सबसे पुरानी ट्रेन पंजाब मेल ने गौरवशाली 110 वर्ष पूर्ण कर 1 जून को 111वें वर्ष में कदम रखे हैं। 22 मार्च 2020 से कोरोना लॉकडाउन के दौरान यात्री ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था, धीरे-धीरे सेवाओं को 1 मई 2020 से अनलॉक के बाद स्पेशल ट्रेनों के रूप में फिर से शुरू किया गया। 1 दिसंबर 2020 से पंजाब मेल स्पेशल ने एलएचबी कोचों के साथ अपनी यात्रा शुरू की हैं। इस गाड़ी की नियमित सेवा 15 नवंबर 2021 से शुरू हुई।

पृष्ठभूमि

बॉम्बे से पेशावर पंजाब मेल कब शुरू हुई यह स्पष्ट नहीं हैं। वर्ष 1911 के पेपर और लगभग 12 अक्टूबर 1912 को एक नाराज यात्री की शिकायत के आधार पर दिल्ली में ट्रेन के देर आगमन के बारे में, कमोबेश यह अनुमान लगाया गया है कि पंजाब मेल ने 1 जून 1912 को बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से यात्रा शुरू की हैं।

पंजाब मेल प्रसिद्ध फ्रंटियर मेल से 16 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। वास्तव में बैलार्ड पियर मोल स्टेशन जीआईपीआर सेवाओं का केंद्र था। पंजाब मेल, या पंजाब लिमिटेड, उस समय इस नाम से जानी जाती थी, आखिरकार 1 जून 1912 को आरंभ हुई। भारत में उनकी पोस्टिंग पर पी एंड ओ स्टीमर मेल में राज के अधिकारी, उनकी पत्नियों के साथ थे।

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साउथेम्पटन और बॉम्बे के बीच स्टीमर यात्रा तेरह दिनों तक चली। चूंकि ब्रिटिश अधिकारियों के पास बंबई की अपनी यात्रा के साथ-साथ अपनी पोस्टिंग के स्थान तक ट्रेन से अपनी अंतर्देशीय यात्रा दोनों के लिए संयुक्त टिकट थे, इसलिए वे उतरने के बाद, मद्रास, कलकत्ता या दिल्ली के लिए जाने वाली ट्रेनों में से एक में सवार हो गए।

पंजाब लिमिटेड बंबई के बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से जीआईपी मार्ग के माध्यम से पेशावर तक, लगभग 2,946 किमी की दूरी तय करने के लिए 47 घंटे लेती थी। ट्रेन में छह डिब्बे थे, तीन यात्रियों के लिए और तीन डाक सामान और मेल के लिए। तीन यात्री डिब्बों में केवल 96 यात्रियों को ले जाने की क्षमता थी।

विभाजन के पूर्व की अवधि में पंजाब लिमिटेड ब्रिटिश भारत की सबसे तेज रफ्तार वाली गाड़ी थी। पंजाब लिमिटेड के मार्ग का बड़ा हिस्सा जीआईपी रेल पथ पर से इटारसी, आगरा, दिल्ली, अमृतसर तथा लाहौर से गुजरता था तथा पेशावर छानवी में समाप्त हो जाता था। इस गाड़ी ने 1914 से बंबई वीटी (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई) से आवागमन प्रारंभ किया। बाद में इसे पंजाब लिमिटेड के स्थान पर पंजाब मेल कहा जाने लगा और इसकी सेवाएं दैनिक कर दी गई।

1930 के मध्य में पंजाब मेल में तृतीय श्रेणी का डिब्बा लगाया गया। 1914 में बांबे से दिल्ली का जीआईपी रूट 1,541 किमी था, जिसे यह गाड़ी 29 घंटा 30 मिनट में पूरा करती थी। 1920 के प्रारंभ में इसके समय को घटाकर 27 घंटा 10 मिनट किया गया। 1972 में गाड़ी फिर से 29 घंटे लेने लगी। सन् 2011 में पंजाब मेल 55 अन्य स्टेशनों पर रूकने लगी। 1945 में पंजाब मेल में वातानुकूलित शयनयान लगाया गया।

1968 में इस गाडी को डीजल इंजन से झांसी तक चलाया जाने लगा तथा बाद में डीजल इंजन नई दिल्ली तक चलने लगा और 1976 में यह फिरोजपुर तक जाने लगी। 1970 के अंत या 1980 के प्रारंभ में पंजाब मेल भुसावल तक विद्युत कर्षण पर डब्ल्यू सीएम/1 ड्यूल करंट इंजन द्वारा चलाई जाने लगी। जिसमें इगतपुरी में डीसी से एसी कर्षण बदलता था।

पंजाब मेल मुंबई से फिरोजपुर छावनी तक की 1930 किमी तक की दूरी 32 घंटों 35 मिनट में पूरी करती है, मार्ग में 52 स्टेशनों पर रुकती है। अब इसमें रेस्टोरेंट कार के स्थान पर पेंट्रीकार लगाई जाती हैं। कोविड 19 के कारण 22 मार्च 2022 से सभी ट्रेन सेवाएं निलंबित की गई थी। अनलॉक के बाद 1 मई 2020 से ट्रेन सेवाएं धीरे-धीरे स्पेशल के रूप में शुरू की गईं।

पंजाब मेल स्पेशल 1 दिसंबर 2021 से एलएचबी कोचों के साथ शुरू हुईं। इस गाड़ी की नियमित सेवा 15 दिसंबर 2021 से शुरू हुई। वर्तमान में इसमें एक फर्स्ट एसी सह वातानुकूलित टू टीयर, 2-एसी टू टियर, 6-एसी थ्री टीयर, 6 शयनयान, एक पैंट्रीकार, 5 सेकेंड क्लास के कोच तथा एक जनरेटर वैन हैं।

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