Jamalpur rail workshop: बिहार में स्थित है अंग्रेजों के जमाने का रेल कारखाना, पूरे हुए 160 वर्ष

Jamalpur rail workshop: अंग्रेजों के जमाने का जमालपुर रेल कारखाना मना रहा 160वीं वर्षगांठ

अहमदाबाद, 09 फरवरीः Jamalpur rail workshop: भारत का पहला और एशिया का सबसे विशालतम रेल इंजन कारखाना जमालपुर अपनी 160वीं वर्षगांठ मना रहा है। ब्रिटिश हुकूमत ने गुलाम हिन्दुस्तान में अपने व्यापार को बढ़ाने के दौरान सुलभ साधन के रूप में इंजन वाली ट्रेन को भारत में चलाना शुरू किया था। यह रेल कारखाना बिहार के मुंगेर जिले के जमालपुर में स्थित है।

इसके पहले 8 फरवरी 1862 ई. में कोलकाता बंदरगाह से 500 किलोमीटर दूर जमालपुर में रेल इंजन कारखाने की नींव डाली गई थी। इस दौरान सबसे पहले पटरियां बिछाकर और बरियाकोल सुरंग तैयार किया था। कारखाने में इंजन बनाने से लेकर मेंटेनेंस करने सहित अन्य कार्य शुरू किया गया था।

1890 तक कारखाना 50 एकड़ के दायरे में था। इसमें 3122 मजदूर कार्यरत थे। 1896-97 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी का काम तेजी से फैला तो पहली बार विस्तारीकरण की गई। शेड विहीन शॉपों को शेड और आधुनिक मशीनों से लैस किया गया। धीरे-धीरे कारखाने का विस्तार होता गया और 1893 में प्रथम रेल फाउंड्री स्थापित की गई थी। 1899 से 1923 तक 216 वाष्प इंजन निर्माण, जमालपुर कारखाना में पहली बार उच्च क्षमता वाले इलेक्ट्रिक जैक, टिकट प्रिंटिंग, टिकट चॉपिंग, टिकट स्लाइडिंग और टिकट काउंटिंग की मशीन निर्माण किया गया था।

ढ़लाई द्वारा इस्पात के उत्पादन के लिए निर्मित 1/2 टन क्षमता वाली विधुत अर्क भट्टी का निर्माण 1961 में पहली बार हुआ था। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में गोला बारूद सहित हथियारों का भी निर्माण यहाँ सुरक्षित किया गया था। यह कारखाना भारतीय रेल का अकेला क्रेन निर्माता है। 1960 में कम क्षमता वाली वाष्प क्रेन निर्माण शुरू किया, फिर 2 से 140 टन के 200 क्रेन बनाया। 1986 में जर्मनी की गोटवाल कंपनी को स्वदेशी तकनीक से हाइड्रोलिक क्रेन निर्माण कर आज भी देश व दुनिया को कुशलता का दम भरता है।

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पिछले 12 वर्षों कारखाना मालगाड़ी वैगन मरम्मत में अव्वल रहा

इस सफर में कारखाना में उतार-चढ़ाव दिखा। कई नए कीर्तिमान भी बना। पिछले 12 वर्षों कारखाना मालगाड़ी वैगन मरम्मत में अव्वल रह है। यहां के तकनीशियानों की कुशल कारीगरी को देखकर देश के दूसरे रेल कारखाना के तकनीशियन तकनीकी रूप से दक्ष होने पहुंचते हैं।

जमालपुर रेल कारखाना को भारतीय रेल का रीढ़ माना जाता है। समय-समय पर कारखाना अपने हुनर का डंका बजाता रहा है, इसलिए भारतीय रेल में इस कारखाना की पहचान अलग है। वर्तमान कारखाना निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है, अब निर्माण इकाई का दर्जा की बात उठने लगी है। स्थापना समारोह बनाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस बार भी कोराेना नियमों का पालन करते हुए धूमधाम से समारोह मनाया जाएगा।

जर्मनी के बाद पहला 140 टन का क्रेन बना

जमालपुर रेल कारखाना ऐसा है कि जर्मनी के बाद पहला 140 टन (भार वाला) का क्रेन बनाया। अब यहां 175 टन का क्रेन बनाने की कवायद तेजी से चल रही है। अभी जर्मनी और चीन में ही यह क्रेन बनाया जाता है। निजी कंपनियों को क्रेन भी कारखाना उपलब्ध कराएगा। अभी तक यह तमगा देश के किसी दूसरे कारखाना को नहीं मिला है। महत्वपूर्ण कारखाना में शामिल इस कारखाना का इतिहास गौरवशाली रहा है। कारखाना समय-समय पर क्षेत्रीय वाद और राजनीतिक अपेक्षा का दंश झेल है। कारखाना में बने जैक का डिमांड देश भर में है।

34 करोड़ घोटाले का लगा दाग

जमालपुर रेल कारखाना पर 34 करोड़ रुपये के मालगाड़ी वैगन, पहिया घाेटाले का दाग भी लगा है। कारखाना के अधिकारियों और संवदकों की मिलीभगत से 2017 में इस घोटाले की पटकथा लिखी गई थी। घोटाले ने रेलवे बोर्ड तक को हिला दिया। फटाफट रेलवे निगरानी से केस सीबीआइ को हैंडओवर किया गया। सीबीआइ ने तेजी से जांच की। कई रेलकर्मी भी चपेट में आए। संवदेक को जेल जाना पड़ा। कई की नौकरी भी गई।

वैगन मरम्मती में कई वर्षों से नंबर वन पर

जमालपुर रेल कारखाना वैगन मरम्मती में 12 से 13 वर्षों में शिखर पर है। पूर्व रेलवे के सभी तीनों कारखानों की तुलना में जमालपुर रेल कारखाना का प्रदर्शन बेहतर रहा है। लगातार पुराने आंकड़े को ध्वस्त कर नया रिकार्ड बनाने में कारखाना ने कीर्तिमान बनाया है।

वर्क लोड बढ़ाने की उठती रही आवाज

कारखाना को निर्माण कारखाना का दर्जा देने, इलेक्ट्रिक इंजन का स्थाई रूप से वर्क लोड दिए जाने सहित एक्ट अप्रेंटिस का रेलवे में नियुक्ति को लेकर लगातार आवाज उठती रही है। जमालपुर रेल निर्माण कारखाना संघर्ष मोर्चा में शामिल विभिन्न दलों के नेता पप्पू यादव, दिलीप कुमार , कृष्णानंद रावत, रवि कांत झा, जाबिर हुसैन, मनोज क्रांति, कुमार प्रभाकर, राजेश रमन उर्फ राजू यादव ने आवाज बुलंद कर रहे हैं। निर्माण व एक्ट अप्रेंटिस की बहाली के साथ रेल क्षेत्र के विकास के लिए सभी ने संघर्ष जारी रखने का मन बना लिया है।

कारखाने पर निर्भर पर शहर का व्यापार

जमालपुर कारखाने पर ही आधारित है मुंगेर सहित जमालपुर और दूसरे जिले का व्यापार निर्भर है। जमालपुर चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष वासुदेवपुरी ने कहा है कि खासकर जमालपुर का व्यवसाय पूरी तरह कारखाने पर आधारित है। कारखाना से ही जिले की पहचान है। कारखाना में वर्क लोड बढ़ेगा तो कर्मियों की संख्या बढ़ेगी। बाजार का व्यापार बूम करेगा। कारखाना को विकसित करने के लिए वर्क लोड बढ़ाना जरूरी है।

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