oxygen

freight transport by rail: रेल के माध्यम से माल ढुलाई अधिक कारगर है: भारतीय रेलवे

freight transport by rail: महामारी में ऑक्सीजन का परिवहन जैसे माल परिवहन, सड़क परिवहन की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल है

अहमदाबाद, 03 जून: freight transport by rail: अधिक पर्यावरण अनुकूल परिवहन की ओर बढ़ रही है मांग की समग्र क्षमता के साथ भविष्य के लिए तैयार रेलवे के लिए राष्ट्रीय रेल योजना (NRP) का विकास आवश्‍यक है।  एनआरपी का लक्ष्य 2030 तक उस क्षमता सृजन करना है, जो 2050 तक मांग क्षितिज को पूरा करेगा। भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के हिस्से के रूप में 2030 तक जीडीपी की प्रति यूनिट उत्सर्जन में 30% की कमी के लिए प्रतिबद्ध है और माल परिवहन में रेल मॉडल हिस्सेदारी में वृद्धि करना इस प्रतिबद्धता के घटकों में से एक है।

Railways banner

फ्रेट ट्रेन थ्रूपुट बढ़ाने से दक्षता में सुधार हुआ

एक मालगाड़ी में ढोए जाने वाले कार्गो (freight transport by rail) को बढ़ाने की दृष्टि से भारतीय रेलवे अपने वैगनों की भार वहन क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है।  इस दिशा में, भारतीय रेल द्वारा 25 टन/22.9 टन/22.82 टन के धुरी भार के साथ 35 से अधिक विभिन्न प्रकार के वैगन को शुरू किया गया। यह पुराने वैगनों की तुलना में 20.32 टन एक्सल लोड से 10-20% अतिरिक्त लोडिंग क्षमता प्रदान करता है।  इस प्रकार, एक ट्रेन में 10-20% अतिरिक्त कार्गो ले जाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लागत में बचत के साथ-साथ प्रति टन कार्गो के उत्सर्जन में भी कमी आती है।

freight transport by rail: महामारी में ऑक्सीजन का परिवहन जैसे माल परिवहन, सड़क परिवहन की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल है

oxygen express

      रेलवे ने 19 अप्रैल, 2021 से 350 से अधिक लोडेड ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई हैं, जिसमें 1,438 लोडेड टैंकर थे, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में 24,387 टन ऑक्सीजन पहुंचाई गई है।

      महाराष्ट्र में 614 टन ऑक्सीजन पहुँचाई गई है।  सड़क परिवहन की तुलना में रेलवे के माध्यम से माल ढुलाई अधिक पर्यावरण के अनुकूल है।

 पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर ने बताया कि अब तक, पश्चिम रेलवे ने 74 ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई हैं और 355 टैंकरों में 6624 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) को उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और तेलंगाना राज्यों में पहुँचाया है।

Bio toilet, freight transport by rail

पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली: डिब्बों में बायो-टॉयलेट और स्टेशनों पर प्लास्टिक बॉटल क्रशिंग मशीनें जैव शौचालयों के माध्यम से स्वच्छता में सुधार

“स्वच्छ भारत मिशन” के तहत भारतीय रेलवे ने अपने समग्र कोचों में बायो टॉयलेट की स्थापना का काम पूरा कर लिया है। इसके परिणामस्‍वरूप कोचों से मानव अपशिष्ट को ट्रैकों पर निष्‍कासन बंद हुआ है। इस प्रयास से प्रतिदिन ट्रैकों पर निष्‍कासित होने वाले लगभग 2,74,000 लीटर मानव अपशिष्ट को पूरी तरह से रोकने में सफलता प्राप्‍त हुई है। इसके साथ ही मानव अपशिष्‍ट से रेल पटरियों और फिटिंग्‍स में लगने वाले जंग (कोरोजन) से भी छुटकारा मिला है। भारतीय रेल पर 73,078 कोचों में कुल 2,58,906 बायो टॉयलेट की व्‍यवस्‍था की गई है।

यह भी पढ़े…..Indian Rail: शून्य कार्बन उत्सर्जन के साथ भारतीय रेल दुनिया में “सबसे बड़ी हरित रेल” बनने की राह पर

भारतीय रेलवे के स्टेशनों पर प्लास्टिक बॉटल क्रशिंग मशीन:

रेलवे स्टेशनों पर उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक कचरे को कम करने, उसे रीसाइकल करने तथा उसके निपटान के लिए पयावरण अनुकूल तरीके से कई पहल की है। प्लास्टिक कचरे के निपटान की इन पर्यावरण अनुकूल पहल को और अधिक बढ़ावा देने के लिए 400 से अधिक रेलवे स्‍टेशनों पर कुल 585 प्‍लास्टिक क्रशिंग मशीनें पहले ही स्थापित की जा चुकी हैं और पूरे भारतीय रेलवे पर और अधिक संख्‍या में इन मशीनों के संस्‍थापन की प्रक्रिया जारी है।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर ने कहा कि पश्चिम रेलवे द्वारा अपने स्‍टेशनों पर कुल 99 प्लास्टिक बॉटल क्रशिंग मशीनें लगाई गई हैं। पश्चिम रेलवे द्वारा अपने 5,117 कोचों में बायो टॉयलेट लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है।