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Mera gaanv: वो गांव बस एक गांव था: प्रभात रंजन

!! मेरा गांव !!(Mera gaanv)

Mera gaanv, Prabhat Ranjan
प्रभात रंजन
बभनबीघा, शेखपुरा, बिहार

Mera gaanv: वो गांव बस एक गांव था,
सुख–शांति चहुँ ओर थी,
सभी लोग परोपकारी थे,
उनकी दुनिया ही अलग थी।

न जातिभेद न कर्मभेद,
कोई किसी को न ठुकरा रहा,
न प्रेम करने वालों की कमी,
न दोस्तो की किल्लत थी।

वर्तमान के असीम नभ में,
सब भविष्य सँवारा करते थे,
किसी भी दुविधा के आगे,
वो एकजुट होकर खड़े रहे |

गाँव की वो सुंदरता,
पीपल के पेड़ों की छाया,
जहाँ ग्रीष्म में मैं खेलता था,
आसमान के गिनते तारे।

आज भी जब याद करता हूँ,
यादों की उन बारात से,
मैं आज भी जब गुजरता हूँ,
पलके नम हो जाती है।

और फिर गौर से सोचता हूँ,
शहर के सारे सुकुन,
उस खुशी पर फीकी पड़ जाती है,
कभी धुप तो कभी छाया,
तेरी बहुत याद आती है।

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