Ghunghat

Ghunghat: घूँघट में अरमानों को छुपाए, बड़ों के आगे सर झुकाए..

!! घूँघट !!( Ghunghat)


घूँघट (Ghunghat) में अरमानों को छुपाए, बड़ों के आगे सर झुकाए
तुम हर दिन कल्पना से परे ना जाने कितना सहती हों
पर मजाल है जो उफ़ भी करतीं हों

Ghunghat, Anuradha Rani

भौर तुम्हारी सबसे पहले हों जाती
कोई तकलीफ़ भी हो तो तुम कहां बताती
सबकी पसंद के पकवान बनाती हो
और फिर चुटकी भर नमक भी ज्यादा हो जाए
तो शब्दों का बाण ही नहीं हाथों का ज़ोर भी सहती हों
पर मजाल है जो उफ़ भी करतीं हों

घूँघट (Ghunghat) सरक जाए कभी तो तुम्हे मर्यादा का पाठ पढ़ा देते हैं
अपनी ख्वाहिशों के लिए आवाज़ उठाती हों तो बद्दिमाग कह देते हैं
बिना उम्मीद भी तुम हर फ़र्ज़ निभातीं हों
पर मजाल है जो उफ़ भी करतीं हों

अपने आप को हर दिन खो रही हो
तुम क्यों लोगों के ताने सुन रही हों
तुम्हारी भावनाओं को कहते अनमोल नहीं
तेरे त्याग का इन्हें कोई मोल नहीं
ये सब देखकर भी तुम ख़ामोश रह जाती हों
पर मजाल है जो उफ़ भी करतीं हों

हों सके तो एक बार अपने आप को आईने में देख लेना
जो पहचान जाओ खुद को तो आंसुओं को पोंछ देना
घुट रहा हो जब अस्तित्व तुम्हारा
घूँघट (Ghunghat) को सरका तुम अपने वजूद को बचाना
********

क्या आपने यह पढ़ाDosti: इस ज़माने में ऐसी दोस्ती मिलती कहाँ है …

Hindi banner 02