Birds flying in mornig

flying high: ऊंची उड़ान, ऊंचे आसमां: सुमन भारती

!! ऊंची उड़ान, ऊंचे आसमां !!(flying high)

flying high, Suman Bharti

flying high: पंछी ने हमारा क्या बिगाड़ा है ?
उसने तो हमें कुछ कहा भी नहीं कभी
फिर भी हम अपनी खुशियाँ के कारण
उसे बंधी क्यों बनाते रहते सदा ?

कभी हमनें सोचा ही नहीं
होती होगी उसे कितनी पीड़ा !
फिर भी वह कुछ नहीं कहती हमें
वह बेजुबान पंछी कितनी पीड़ा सहकर रहती है !

हमारी तो जब इच्छा प्रबल होती है
तो पंछी को बंधी बना लेते हैं
हमने तो कभी पूछा ही नहीं, कभी
उसके अपने इच्छाओं के बारे में

हम तो पिंजरे में खाना – पानी दें देते हैं
क्या हमें पता है उसे पसंद है या नहीं ?
बेचारी पंछी न कुछ कर पाती है गुमशुम रहती सदा
जैसे – तैसे जिन्दा रहने की कोशिश करती रहती सदा

पंछी तो कुदरत की देन है भला
कितने प्यारे लगते हैं इसके छोटे-छोटे
रंग – बिरंगे सुन्दर – सुन्दर प्यारे पंख भी
जब कुदरत ने ही उसे उड़ने के लिए बनाया
तो हम क्यों उसके उड़ने पर पाबंदी लगाते हैं ?

हम भला फिर कौन‌ होते हैं उस पर ?
ऊंची उड़ान भरने पर पाबंदी लगाने वाले !
क्या तुझे खुशियाँ नहीं देती है बार – बार !
प्रकृति के संग – रंग में रहने और ढ़लने दें ज़रा

पंछियों की भी तो अपनी इच्छा होती होगी जैसे हमारी होती है
खुले आसमान में ऊंची उड़ान भरने की तमन्ना
उसे भी पूरी करने दो और स्वच्छन्द जीने दो भला
यहाँ से वहाँ , इधर से उधर उड़ने की फुदकने की

जब सब झुंड बनाकर उड़ते हैं
कितनी एकता झलकती है उनमें
और कितने प्यारे दिखते रहते हैं
इतनी सुंदर कुदरत की करिश्मा
मानो प्रफुल्लित करती रहती है

सुबह – सुबह पंछियों की चहचहाहट
और सुबह का वो मनोरम दृश्य जहाँ
इन प्यारी – प्यारी पंछियों की चहचहाहट सुनके
मन प्रफुल्लित – सा हो जाता है बरस

हम भी मुस्कुराते हैं खुश रहते हैं न
ज़रा पंछियों को भी मुस्कुराने
और खुश रहने देते हैं न
उन्हें भी अपनी इच्छाएं पूरी करने देते हैं न
उन्हें भी बिना पाबंदी के जीने देते हैं न ।।

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क्या आपने यह पढ़ा…इंसानियत (Insaniyat)के राह पर हमें चलना होगा: अमरेश कुमार

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