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Sonia became the inspiration of disabled girl students: बहुमुखी प्रतिभा की धनी सोनिया बनी दिव्यांग छात्राओं की प्रेरणा

Sonia became the inspiration of disabled girl students: आर्थिक, पारिवारिक और शारीरिक चुनौतियों का बहादुरी के साथ सामना कर रही है सोनिया

  • जन्म से दृष्टिबाधित सोनिया के बचपन में ही, सर से उठ गया था पिता का साया
  • बाँदा जिले की निवासी तीन बहनों में सबसे छोटी, सोनिया को उच्च शिक्षा दिलाने हेतु कड़ी मेहनत कर रहा ऑटो चालक भाई
  • काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नात्तकोत्तर के उपरांत संस्कृत भाषा में यू जी सी नेट ( जे आर एफ ) की कठिन परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी है सोनिया
  • वसंता कॉलेज फॉर वीमेन से बी. एड. कर रही सोनिया समसामयिक विषयों पर लिखती है सुन्दर काव्य और गीत

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 19 फ़रवरी
: Sonia became the inspiration of disabled girl students: संघर्ष है तो जीवन है. कहते हैँ सफलता प्राप्त करने हेतु संघर्ष या चुनौतियों का होना भी जरुरी है. जितना बड़ा संघर्ष उतनी बड़ी सफलता. एक तरफ जहाँ शारीरिक रूप से पूर्णतः परिपूर्ण अधिकांश छात्र और छात्राएं, छोटी छोटी चुनौतियों से हार मान लेते हों, वहीं दूसरी ओर जन्म से दृष्टि बाधित सोनिया का संघर्ष काबिले तारीफ है .

वसंत महिला महाविद्यालय से बी.एड. कर रही बहुमुखी प्रतिभा की धनी सोनिया का संघर्षों से नाता बड़ा पुराना है. भयंकर गरीबी और बीमारी के कारण बचपन में ही पिता अयोध्या प्रसाद चल बसे. पिता के असामयिक देहांत के बाद, घर पर चुनौतियों का जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा. माता गोमती देवी ने तीन बेटियों और एक बेटे को गरीबी में किस प्रकार पालन पोषण किया होगा, इसका सहज़ आकलन करना आसान नहीं .
ईश्वर की भी अपनी अनोखी प्लानिंग होती है.

यदि वह किसी के साथ कोई नाइंसाफी करते हैँ, तो उसकी भरपाई भी वे करते हैँ. सोनिया इसका एक सुन्दर उदाहरण बन गई है. जन्म से दृष्टि बाधित सोनिया को ईश्वर ने जीवन में उत्तरोत्तर आगे बढ़ने की जो अपार शक्ति दी… कदम कदम पर आने वाली चुनौतियों से मुकाबला करने की जज्बा पैदा की ….दिव्यांगता के बावजूद उच्च शिक्षा में अव्वल दर्ज़े हासिल करने की तीक्ष्ण मानसिक शक्ति प्रदान की …..

Sonia became the inspiration of disabled girl students

यह कोई सामान्य बात नहीं है. इस बात को शायद सामान्य चक्षु से देखना मुश्किल है… तभी तो जे. आर. एफ. सहित नेट क्वालीफाई करने के बावजूद संस्कृत विभाग के अध्यापकों ने इस होनहार छात्रा का शोध में पंजीकरण करना उचित नहीं समझा….
फिर भी सोनिया ने हार नहीं मानी. ईश्वर पर अटूट विश्वास रखने वाली सोनिया ने अपने हौसले के उडान को नया पँख दिया. आम आदमी गॉड के प्लानिंग को समझ नहीं पाता और अपनी बेकारी , गरीबी तथा असफलता के लिए उपर वाले को दोष देता है.

बांदा जिले की निवासी सोनिया जन्म से दृष्टिबाधित और आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवार से हैं। पिता के देहांत के बाद भाई ऑटो चलाकर परिवार चलाते हैँ. किंतु निर्धनता और दृष्टिबाधिता इनके मार्ग की बाधा नहीं बनी। इन्होंने राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान, देहरादून से बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक एवं संस्कृत भाषा से स्नातकोत्तर का पाठ्यक्रम पूर्ण किया.

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मेघावी सोनिया ने अपने लगन एवं मेहनत से 2020 में, प्रतिष्ठा परक यूजीसी नेट एवं जेआरएफ की परीक्षा में भी सफलता हासिल की। नेट क्वालीफाई करने के बावजूद, दुर्भाग्य और आश्चर्य की बात है कि, संस्कृत विभाग , बी एच यू ने इस होनहार बालिका का पी.एच.डी. में पंजीकरण करने से इनकार कर दिया. फिर भी सोनिया ने हौंसला नहीं खोया .भयंकर मानसिक पीड़ा सहन करते हुए इसने अपने आप को संभाला और अपनी शिक्षा जारी रखी. वर्तमान में ये शिक्षा विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय, राजघाट में बी एड चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा हैं।

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुजाता साहा बताती हैँ कि , सृजनात्मक प्रतिभा की धनी सोनिया समसामयिक विषयों पर सुंदर कविता भी रचती हैं और उनका सस्वर पाठ कर श्रोताओं को अभिभूत करती हैं। कठिन संघर्ष के उपरांत शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं आत्मनिर्भरता की प्राप्ति उनके जीवन का लक्ष्य है।

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