Sardar Vallabhbhai Patel

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: भारत के लौहपुरुष का जन्मदिन आज, जानें उनसे संबंधित 10 खास बातें…

Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: बारडोली सत्याग्रह आंदोलन में सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की

अहमदाबाद, 31 अक्टूबरः Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: देशभर में आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 148वीं जन्म जयंति मनाई जा रही हैं। मालूम हो कि, सरदार वल्लभभाई पटेल उन महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई। आजादी मिलने के बाद भी उन्होंने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पटेल को भारत का बिस्मार्क तथा लौह पुरुष भी कहा जाता हैं। ऐसे में आइए आज उनके बारे में 10 खास बातें जानें…

1. 16 साल की उम्र में हुआ था विवाह

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को एक किसान परिवार में हुआ था। पटेल अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनका विवाह मात्र 16 साल की उम्र में हो गया था।

2. महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में लिया हिस्सा

वे कानून के अच्छे जानकार थे। उन्होंने लंडन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वहां से लौटकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। उनका पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में था। सरदार पटेल ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया था और वकालत छोड़कर सामाजिक जीवन में प्रवेश किया।

3. इस तरह नाम संग जुड़ा सरदार

सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1928 में हुए बारडोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्व किया था। इस आंदोलन में सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि प्रदान की थी। वहीं गांधीजी ने सरदार पटेल को बारडोली का सरदार कहा था।

4. भारतीय एकता का किया निर्माण

पटेल भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। आजादी मिलने के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कई छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया।

5. राष्ट्रपिता गांधीजी ने दी लौहपुरुष की उपाधि

आजादी के बाद भारत के सामने एक अन्य बड़ी समस्या रजवाड़ों से संबंधित थी। तब गांधीजी ने पटेल से कहा था, रियासतों की समस्या इतनी कठिन हैं कि आप अकेले ही इसे हल कर सकते हैं। उनके साहसिक कार्य व दृढ़ व्यक्तित्व के चलते महात्मा गांधी ने उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी।

6. सरदार पटेल को समर्पित है दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा

आज से 5 साल पहले (31 अक्टूबर, 2018) गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के पास दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ सरदार पटेल को समर्पित की गई। यह प्रतिमा देश की एकता में उनके सहयोग को प्रदर्शित करती हैं।

7. अखिल भारतीय सेवाओं के जनक

वे भारत के प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश की सिविल सेवाओं के महत्व को बखूबी समझा। साथ ही साथ देश के लिए उसकी जरूरत पर बल दिया। यह उनका ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। पटेल ने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी बल दिया।

8. संविधान निर्माण में थी पटेल की अहम भूमिका

सरदार पटेल भारत की संविधान सभा में वरिष्ठ सदस्य थे। इसलिए वे संविधान को मुख्य आकार प्रदान करने वालों नेताओं में से एक थे। वे प्रांतीय संविधान समितियों के अध्यक्ष भी थे।

9. सरदार पटेल के जन्मदिन पर राष्ट्रीय एकता दिवस

आपको मालूम हो कि, किसी भी देश का आधार उसकी एकता और अखंडता में निहित होता हैं। सरदार पटेल भारत की एकता के सूत्रधार थे। इसलिए उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता हैं।

10. 15 दिसंबर 1950 को हुआ निधन

सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन मुंबई में 15 सितंबर, 1950 को हुआ था। पटेल को 1991 में मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ से पुरस्कृत किया गया था।

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