Jagadguru Shankaracharya: किसी भी प्राप्ति के लिए पात्रता आवश्यक: शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती
Jagadguru Shankaracharya: ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य का ओजश्वी प्रवचन

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 17 अप्रैल: Jagadguru Shankaracharya: संसार के लोग प्राप्ति तो चाहते हैं पर उस प्राप्ति के लिए जिस पात्रता की आवश्यकता है उसे वे अपने भीतर नहीं विकसित करते। कोई भी उपलब्धि पात्रता होने पर ही आती है।
उक्त बातें परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘१००८’ ने व्यक्त किया. उन्होंने संयमी और वैरागी के अन्तर को स्पष्ट करते हुए कहा कि संयमी वह है, जो भोग सामग्री के उपस्थित होने पर मन को रोकता है और वैरागी वह है जो भोग सामग्री के उपस्थित रहने पर भी उसका मन उस ओर नही जाता है।संयम से अधिक श्रेष्ठ वैराग की अवस्था है।
परमधर्माधीश शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि सायंकालीन सत्र में शंकराचार्य जी महाराज ने भगवती राजराजेश्वरी देवी का विशेष पूजन किया।साथ ही वसंत पूजन हुआ जिसके अंतर्गत राष्ट्र के वरिष्ठ वैदिक आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित, नारायण जी उपाध्याय, करुणा शंकर मिश्र, भालचंद्र बादल, ऋषभ दीक्षित,अभिषेक दुबे(शुक्ल यजुर्वेद माध्यांदिनी शाखा), अनंत किशोर भट्ट, मणिकांत मिश्र, वेद प्रकाश चतुर्वेदी,(ऋग्वेद शाकल शाखा), भूपेंद्र मिश्र,गोपाल रटाटे(अथर्वेद शौनक शाखा), श्रीनिवास पुराणिक, अनिरुद्ध पेटकर, पांडुरंग पुराणिक, दीपेश दुबे(शुक्ल यजुर्वेद काण्व शाखा), अनिरुद्ध घनपाठी, कृष्ण शर्मा, श्रीनू घनपाठी(कृष्ण यजुर्वेद)बालेंदु मिश्रा, राहुल पाण्डेय(कौथुम शाखा), महेश कुलकर्णी, गौतम पाण्डेय,आर्यन सुमन पाण्डेय(जैमिनी शाखा), भगवत्तकर जी, दीपक तिवारी, (सामवेद, राणायनीय) श्रीनिवास इनामदार
मलय पंडा,अमित तिवारी,(अथर्वेद पिप्लाद)आदि अपने अपने स्वशाखा का मंत्रोपाठ किया।
समस्त कार्यक्रम में साध्वी पूर्णाम्बा दीदी,साध्वी शारदाम्बा दीदी, ब्रम्ह्चारी परमात्मानंद,मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय,प्रधान पुरुषेश्वरानंद,श्याम नारायण दास,राजा सक्षम सिंह,चांदनी चौबे सहित भारी संख्या में सन्त,वैदिक आचार्य व वैदिक विद्यार्थी उपस्थित थे.
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