नाॅर्थ इंडिया को प्रदूषण से बचाने में केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम : मनीष सिसोदिया

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  • नाॅर्थ इंडिया को प्रदूषण से बचाने में केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम : उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
  • दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के प्रयास सालों भर करती है जबकि केंद्र सरकार हाथ-पर-हाथ रखकर बैठी रहती है : सिसोदिया
  • कोरोना के साथ मिलकर पराली प्रदूषण ज्यादा खतरनाक : सिसोदिया

नई दिल्ली: 13.10.2020: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पराली के कारण पूरे उत्तरी भारत में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस साल कोरोना संकट के कारण पराली प्रदूषण काफी जानलेवा है। नाॅर्थ इंडिया को प्रदूषण से बचाने में केंद्र सरकार पूरी तरह नाकाम है। श्री सिसोदिया ने उत्तर भारत में प्रदूषण रोकने के लिए केंद्र सरकार से तत्काल ठोस कदम की मांग की है। श्री सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के प्रयास सालों भर लगातार कर रही है जबकि केंद्र सरकार हाथ-पर-हाथ रखकर बैठी रहती है।

दिल्ली सचिवालय के मीडिया सेंटर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान श्री सिसोदिया ने यह बात कही। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पराली का धुंआ इस बार भी अपना असर दिखाने लगा है। दिल्ली सरकार ने पिछले कई वर्षों से प्रदूषण से निपटने के लिए सालों भर लगातार कई ठोस कई कदम उठाए हैं। दिल्ली का अपना प्रदूषण कम करने में हमें लगातार सफलता भी मिल रही है। दिल्ली का ग्रीन जोन रिकाॅर्ड तौर पर बढ़ा है, बड़ी संख्या में नए पेड़ लगाए गए हैं। नई वृक्षारोपण पाॅलिसी भी लाई गई है ताकि ग्रीन जोन लगातार बढ़ता रहे। स्माॅग टावर लगाने, ई-वेहिकल पाॅलिसी लागू करने के साथ ही बसों की संख्या भी बढ़ाई गई है ताकि सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिले।

श्री सिसोदिया ने कहा कि प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार की चिंता सिर्फ प्रदूषण के इन तीन महीनों में दिखाई देती है, जबकि दिल्ली सरकार सालों भर लगातार इस पर ठोस काम कर रही है। कोरोना संकट के बावजूद दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री गोपाल राय लगातार प्रदूषण रोकने के उपायों में सड़कों पर काम करते रहते हैं।

श्री सिसोदिया ने कहा कि पराली कोई दिल्ली की समस्या नहीं और यह कोई दिल्ली की देन भी नहीं है। पराली समस्या से पूरा नाॅर्थ इंडिया प्रभावित और परेशान है, लेकिन केंद्र सरकार हाथ-पर-हाथ धरे बैठी है। श्री सिसोदिया ने प्रदूषण रोकने के मामले में केंद्र सरकार को पूरी तरह नाकाम बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की इस निष्क्रियता का नुकसान पूरे उत्तर भारत को भुगतना पड़ रहा है। श्री सिसोदिया ने कहा कि इस साल कोरोना के साथ मिलकर पराली प्रदूषण ज्यादा जानलेवा खतरा बन चुका है।

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श्री सिसोदिया ने कहा कि हमें सिर्फ दिल्ली की नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत के प्रदूषण की बात करनी चाहिए। जब दिल्ली पहुंचकर पराली प्रदूषण इतना असर दिखाता है तो पंजाब के जिस गांव में उसका धुंआ उठा होगा, वहां के लोगों के लिए कितना बड़ा खतरा होगा, यह चिंता का विषय है। श्री सिसोदिया ने पूछा कि इस बात की चिंता आखिर केंद्र सरकार को क्यों नहीं है? उत्तर भारत के नागरिकों की जिंदगी को बचाने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती केंद्र सरकार?

श्री सिसोदिया ने एपका की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि संबंधित राज्यों से प्रदूषण नियंत्रण कराने में एपका इस कदर असफल क्यों है? श्री सिसोदिया ने कहा कि उन राज्य सरकारों की तरह एपका भी प्रदूषण नियंत्रण में विफल नजर आती है।

श्री सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार को पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण रोकने संबंधी जिम्मेवारी लेनी होगी। पराली प्रदूषण जैसे मामलों में केंद्र की निष्क्रियता के कारण पंजाब या हरियाणा से उठा धुंआ दिल्ली यूपी होते हुए बिहार तक पहुंच जाता है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह दिल्ली सरकार सालों भर प्रदूषण रोकने के ठोस प्रयास करती रहती है, उसी तरह केंद्र सरकार को भी पूरे उत्तर भारत को प्रदूषण से निजात दिलाने की जिम्मेवारी लेनी होगी। इसमें केंद्र की नाकामी को नुकसान पूरे नाॅर्थ इंडिया के करोड़ों नागरिकों को उठाना पड़ रहा है।