Vijaypath: ललकार मेरी विजयपथ की, मैं लौट आया हूँ अपने जग

Vijaypath: !!विजयपथ!! Vijaypath: रेल-रेल सी जिन्दगी मेंक्या धोखा? क्या दीवानी हो?पथ-पथ तिनका बिछाता मन मेंहो रहा वसुन्धरा सङ्कुचित काया बन बैठी मशक्कत मेरी दुनिया सेमैं हूँ गाण्डीव किन्तु अर्जुन नहींयुधिष्ठिर … Read More