Mata Annapurna Murthy

Mata annapurna murthy: काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित हुई माता अन्नपूर्णा की कनाडा से लाई गयी मूर्ति

Mata annapurna murthy: मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने माँ अन्नपूर्णा के मूर्ति की सविधि कराई प्राणप्रतिष्ठा

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 15 नवम्बर: Mata annapurna murthy: कनाडा से लाई गई माता अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के विशेष सिंहासन (गौना-रजत पालकी) पर विराजमान कराके विश्वनाथ धाम में प्रवेश कराया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रांगण में सविधि माता अन्नपूर्णा के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई। रजत पालकी और रजत सिंहासन काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी द्वारा उपलब्ध कराया गया था।

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Mata annapurna murthy: काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ तिवारी ने बताया माता अन्नपूर्णा माता गौरा की ही स्वरूप है। ऐसे मे माता गौरा के अन्नपूर्णा स्वरूप का बाबा दरबार मे आगमन परंपरागत रजत पालकी मे ही हुआ। माता गौरा बाबा विश्वनाथ के साथ राजसी स्वरूप मे वर्ष मे एक बार रंगभरी एकादशी पर ही रजत पालकी मे विराजती है। रंगभरी एकादशी पर आयोजित होने वाली “शिवाजंली”की ओर से बनवाये गये 22 फुट ऊंचे भव्य द्वार पर माता की अगवानी की गई। शिवाजंली के सदस्यों ने माता पर पुष्पों की वर्षा की।

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विदित है कि लगभग सौ वर्ष पूर्व माता अन्नपूर्णा की वेश कीमती मूर्ति चोरी हो गयी थी। बाद में स्मगलिंग करके कनाडा ले जाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से कुछ दिनों पूर्व यह मूर्ति भारत लायी गयी थी। एक सप्ताह पूर्व मूर्ति की पुनर्स्थापना हेतु नई दिल्ली से भव्य शोभा यात्रा निकली गयी। शोभा यात्रा के माध्यम से ही भव्य रूप में मूर्ति को काशी लाया गया। विश्वनाथ धाम में मूर्ति की आगवानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। माता अन्नपूर्णा के मूर्ति की पुनर्स्थापना हेतु सम्पूर्ण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को आकर्षक रूप से सजाया गया।

इस अवसर पर उत्तरप्रदेश सरकार के अनेक मंत्रियों सहित नगर के विशिष्ट श्रद्धालु उपस्थित रहे। कनाडा से लाई गई माता अन्नपूर्णा की मूर्ति को छत्ताद्वार पर उस विशेष सिंहासन पर विराजमान कराया गया जो रंगभरी एकादशी के दिन परंपरागत आयोजन में प्रयोग की जाती है। उस पालकी में चांदी का सिंहासन भी रखा गया है। यह पालकी और चांदी का सिंहासन प्रतिवर्ष अमला एकादशी के दिन प्रयोग में लाई जाती है। इसी पालकी पर विराजमान होकर माता अन्नपूर्णा ने काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश किया।

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