Book launch in BHU: बीएचयू में Kashi: The Abode of Shiva पुस्तक का हुआ लोकार्पण
Book launch in BHU: Kashi: The Abode of Shiva पुस्तक के लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि थे आई आई टी बी एच यू के प्रोफ़ेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र तथा अध्यक्षता किया फाइन आर्ट्स फैकल्टी के डीन प्रो उत्तमा दीक्षित ने
रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 19 मार्चः Book launch in BHU: भारत अध्ययन केन्द्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित Kashi: The Abode of Shiva के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आई आई टी के प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र, महंत संकट मोचन मंदिर ने अपने वक्तव्य में काशी के अतीत और वर्तमान महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि, काशी का कण-कण शंकर है।
काशी को समझना है तो यहाँ से उठने वाली तरंगों को महसूस करना होगा। इसका जीवन्त उदाहरण साक्षात् काशीवासी हैं जिनके दैनिक जीवन और व्यवहार में काशी जीवन्त हैं। प्रोफ़ेसर मिश्र ने काशी में विद्यमान शिव के परम तत्त्व माँ गंगा और मोक्ष के महत्व का भी वर्णन किया. तत्पश्चात् शिव और पार्वती के काशी (घर) की कथाओं को बताया। वरूणा और असि नदियों के महत्व को समझाया और इसको संजोने पर बल दिया। वेनिस और काशी के बदलाव को तुलनात्मक दृष्टिकोण से समझाया।
मुख्य वक्ता प्रो. राणा पी.बी. सिंह (पूर्व विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग) ने बताया कि इस पुस्तक में 10 अध्याय और 88 छाया चित्रों में काशी विश्वनाथ मंदिर को केंद्र में रखकर, ब्रह्मांड की तमाम शक्तियों के रहस्य पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने काशी के मंदिर, घाट, काशी की पहलवानी, होली और अन्य तथ्यों को नक्शे के माध्यम से समझाया। उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की भव्य सुन्दरता और ऐतिहासिक सन्दर्भों को व्याख्यायित किया।
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पुस्तक के लेखक डॉ. विजय राणा ने अपनी पुस्तक का संक्षिप्त वर्णन करते हुए बहुमूल्य छायाचित्रों के बारे में बताया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री विश्वभूषण मिश्र,मुख्य कार्यपालक काशी विश्वनाथ मंदिर ने सर्वधर्म समभाव के महत्व को बताते हुए कहा कि, जब तक शिव की कृपा नही होगी तब तक काशी में आप कोई भी कार्य सम्पन्न नही कर सकते।
उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि वर्तमान संदर्भ में आपका उद्देश्य स्पष्ट और शोधपरक होना चाहिए। आप काशी को समझना चाहते हैं तो आपको यह कार्य शिव के प्रति सम्पूर्ण समर्पण से ही अर्जित हो सकता है। ऐसे समर्थ और समर्पित कार्य से ही काशी के रहस्य को आम जन समझ सकता है। आचार्य श्रीकांत मिश्र मुख्य अर्चक श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ने बताया कि, काशी अविमुक्त हैं जो शिव के त्रिशूल के ऊपर विराजित होती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रो.उत्तमा दीक्षित (संकाय प्रमुख, दृश्य कला संकाय) ने कहा कि, काशी को चित्रों के माध्यम से पुस्तक में दिखा पाना असम्भव हैं। काशी में हजारों मंदिरों का इतिहास और वास्तु के दृष्टिकोण को सहेजना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। काशी का वैभव और बनारसी फक्कड़पन जो कुछ वर्ष पूर्व तक था, वो आज की आधुनिकता में कहीं छूटी जा रही हैं।
स्वागत वक्तव्य मे भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो सदाशिव कुमार द्विवेदी ने काशी की विशेषताओं का विस्तृत परिचय दिया. संचालन भारत अध्ययन केन्द्र के सेण्टेनरी विजिटिंग फेलो डॉ. अमित कुमार पाण्डेय ने किया.समारोह में प्रो. आशाराम त्रिपाठी, मनीष खत्री, प्रो. प्रवेश भारद्वाज सहित विश्वविद्यालय के सम्मानित अध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
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