Alumni International Seminar

Alumni International Seminar: वसंत महिला महाविद्यालय में अल्युमिनाई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

Alumni International Seminar: वी सी डब्लू मे पुरातन छात्रा समागम मे भारत के अलावा यू एस ए, नीदरलैंड, मैरीलैंड, वियना से भी पधारे प्रतिभागी

  • Alumni International Seminar: समग्र एवं समावेशी शिक्षा विषयक संगोष्ठी मे शोधर्थियों द्वारा कुल 32 शोध पत्र किये गये प्रस्तुत
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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 11 जनवरी:
Alumni International Seminar: वसंत महिला महाविद्यालय के एल्युमिनाई एसोसिएशन के तत्वावधान मे “समग्र एवं समावेशी शिक्षा: अंत:विषयी दृष्टिकोण के माध्यम से” एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और पुरातन छात्राओं के समागम का आयोजन हाइब्रिड मोड में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ. संगोष्ठी मे देश विदेश से पधारे कुल 32 प्रतिभागियों ने मौलिक शोध पत्र प्रस्तुत किये.

प्रारंभ मे अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया. संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा मंगलाचरण एवं संगीत विभाग द्वारा कुलगीत व भजन की सुंदर प्रस्तुति की गई। अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम् व पौधा प्रदान कर किया गया।महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. डॉ. अलका सिंह ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि, समावेशी शिक्षा एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य प्रत्येक विद्यार्थी को, चाहे उसकी पृष्ठभूमि या योग्यता कुछ भी हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच प्रदान करना है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. शीला सिंह (अध्यक्ष, एल्युमिनाई एसोसिएशन, वी सी डब्लू ) ने कहा कि, संगोष्ठी का उद्देश्य छात्रों को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी व्यक्ति बनाना है, जो समुदाय की उन्नति और राज्य की समृद्धि में अपना योगदान दे सकें। अवसर पर एल्युमिनाई एसोसिएशन द्वारा न्यूज़लैटर का विमोचन किया गया। विषय स्थापना डॉ. रचना पाण्डेय ने किया.

मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय (जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया) ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि पूर्व छात्रों के साथ आयोजित संगोष्ठी का महत्व यह है कि ये संगोष्ठी छात्रों को वास्तविक दुनिया से जुड़ी जानकारी देते हैं और उन्हें अपने करियर के लिए मार्गदर्शन देते हैं। इस प्रकार की संगोष्ठियों में पूर्व छात्र विशेषज्ञों के रूप में शामिल होते हैं। उन्होंने कहा ज्ञान के साथ-साथ हमें जीवन जीने की कला भी आनी चाहिए।

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मुख्य अतिथि प्रो. विदुला जायसवाल (पूर्व अध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, बी एच यू ) ने कहा कि, समावेशी शिक्षा से अभिप्राय है छात्रों को सार्थक शिक्षा अनुकूलतम पर्यावरण में उपलब्ध कराई जाए, जिससे वे जीवन को सफल बना सकें। प्रो. पुष्पिता अवस्थी (अध्यक्ष, हिंदी यूनिवर्स फाउण्डेशन, नीदरलैंड) ने भारत में समावेशी पाठ्यक्रम डिजाइन का एक प्रमुख पहलू समग्र शिक्षा का समावेश बताया। ऐसी शिक्षा पूरे व्यक्ति – मन, शरीर और आत्मा के विकास की कल्पना करती है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. शबनम खातून ने कहा कि समावेशी पाठ्यक्रम में न केवल शिक्षार्थियों की शैक्षणिक आवश्यकताओं को संबोधित किया जाना चाहिए, बल्कि उनकी शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक भलाई को भी बढ़ावा देना चाहिए।

एस.एन. दुबे (प्रबंधक, वी सी डब्लू ) ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा कि, समग्र शिक्षा आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और जीवन कौशल के विकास को प्रोत्साहित करती है।उद्घाटन सत्र का कुशल संचालन डॉ. पुनीता पाठक व सिमरजीत बग्गा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उषा वर्मा (उपाध्यक्ष, एल्युमिनाई एसोसिएशन ) ने दिया। वी सी डब्लू की 1987 बैच की पुरा छात्रा, संप्रति राजकीय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, प्रयागराज से पधारीं एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. सीमा जैन ने एल्युमिनाई एसोसिएशन को इक्यावन हजार की धनराशि प्रदान किया।

संगोष्ठी में पांच तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता-उपाध्यक्षता-मध्यस्थता क्रमशः प्रो. परवीन सुल्ताना, एलिज़ाबेथ मारिंग मैरीलैंड, आकांक्षा अलंकृता बिसेन, प्रो. अर्चना तिवारी, डॉ. जूही राय, डॉ. पुनीता पाठक, डॉ. तमन्ना शाहीन, डॉ. उषा वर्मा, डॉ. आभा श्रीवास्तव, डॉ. सीमा पाण्डेय, प्रो. अलका रानी, डॉ. श्रेया पाठक, और डॉ. रचना पाण्डेय ने किया।
सभी तकनीकी सत्रों में यू.एस.ए., नीदरलैंड, मैरीलैंड विश्वविद्यालय, मैरीलैंड, यू.एस.ए., विएना, आस्ट्रेलिया एवं भारत आदि विभिन्न देशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये लगभग 32 शोधार्थियों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किये।

संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. सुनीता सिंह (अध्यक्ष, स्कूल ऑफ एजुकेशन स्टडीज, डॉ. बी.आर. अंबेडकर, विश्वविद्यालय, दिल्ली) ने कहा कि किसी संगठन के पूर्व छात्र उसके अतीत का प्रतिबिंब, वर्तमान का प्रतिनिधित्व तथा भविष्य से जुड़ने का माध्यम होते हैं।समापन सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. अलका सिंह ने की।

पुरातन छात्र/छात्रा समागम समारोह के दौरान एल्युमिनाई एसोसिएशन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में दिये गये महत्त्वपूर्ण योगदान पर आधारित वीडियो की प्रस्तुति की गई और पुरा छात्राओं के अतुलनीय योगदान को प्रस्तुत कर वर्तमान की छात्राओं को प्रेरित किया गया।

वार्षिक प्रतिवेदन प्रो. परवीन सुल्ताना ने प्रस्तुत किया।समारोह में छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुंदर प्रस्तुति की गई।
धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अर्चना तिवारी ने दिया।समारोह में सभी को पूर्व छात्रों के साथ पुनः जुड़ने और अपनी यात्रा को साझा करने का एक उत्कृष्ट अवसर मिला।संगोष्ठी में प्रो. सुशीला सिंह, प्रो. अनीता सिंह, प्रो. मनोज कुमार मिश्रा, प्रो. मनुलता शर्मा,
डॉ. कुसुम गिरी, प्रो हेमा कृष्णन, डॉ. राज जालान, डॉ. रमा पाण्डेय, डॉ. सरोज बागेश्वर, डॉ. आशा चतुर्वेदी , डॉ. नफीस बानो, प्रो. रीता शाह, प्रो. शशिकला त्रिपाठी, संगीता बनर्जी, डॉ. मंजू सुंदरम, प्रो. अमिता सिंह, प्रो. रंजना सेठ, प्रो. जे.एन. गोस्वामी, प्रेमा अग्रवाल, प्रो. पद्मिनी रवीन्द्र नाथन, राजेश्वर मिश्र, डॉ. अंशुला कृष्णन, प्रो. एन.के. मिश्र, डॉ. त्रिपुर सुंदरी एवं विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य व शिक्षकगण आर्य महिला पीजी महाविद्यालय, चेतगंज, वाराणसी, वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी, डी.ए.वी. पीजी कॉलेज, वाराणसी, धीरेन्द्र महिला पीजी कॉलेज, सुंदरपुर, वाराणसी, सनबीम विमेंस कॉलेज, वरुणा, सनबीम कॉलेज फॉर वूमेन, सुधाकर महिला पीजी कॉलेज, जीजीआईसी कॉलेज, सेंट्रल हिन्दू गर्ल्स स्कूल, कमच्छा, आदि एल्युमिनाई एसोसिएशन के सभी सम्मानित सदस्य एवं महाविद्यालय के समस्त शिक्षक व देश-विदेश से पधारे विद्वतजनों की गरिमामय उपस्थिति रही.

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