103rd Dikshant Samaroh: बीएचयू का 103वां दीक्षांत समारोह संपन्न
103rd Dikshant Samaroh: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रदान की गई 14680 उपाधियां
- स्वतंत्रता भवन में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में मंच से 28 विद्यार्थी 32 पदकों से विभूषित
- भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने दिया दीक्षांत संबोधन
- कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने की दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता
रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 16 दिसंबर: 103rd Dikshant Samaroh: भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो.अजय कुमार सूद ने युवाओं का आह्वान किया है कि वे अपने ज्ञान व क्षमताओं का विस्तार करते हुए सामाजिक विकास में योगदान दें। स्वतंत्रता भवन में आयोजित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 103वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रो. सूद ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को उभरती प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में आगे बढ़कर अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज विश्व प्रशंसा व ऐसी अपेक्षाओं की नज़र से भारत को देख रहा है कि वह स्वच्छ ऊर्जा, जल समाधानों, स्वच्छ पर्यावरण, तथा सतत विकास जैसे वैश्विक विषयों के समाधान हेतु योगदान देगा। प्रो. सूद ने कहा कि शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष, तथा समग्र समाज का योगदान, एक सशक्त राष्ट्र के लिए चार महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
उन्होंने लंबे समय से इन स्तंभों के अलग अलग होकर कार्य करने की ओर इंगित करते हुए कहा कि अब इस भेद को ख़त्म करने का समय आ गया है तथा इन चारों के बीच गहरे मेल के साथ कार्य करने की ज़रूरत है। क्रमिक विकास के बजाए मूलभूत रूप से प्रगति केन्द्रित दृष्टिकोण को अपनाने का आह्वान करते हुए प्रो. सूद ने कहा कि हमें ऐसे विचारों के साथ आगे बढ़ना होगा जो परिवर्तनकारी विकास को गति दें।
विज्ञान की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रो. सूद ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वंदनीय संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी को उद्धृत किया और कहा कि आज का आधारभूत विज्ञान आने वाले कल की प्रौद्योगिकी में बदल जाएगा।
मुख्य अतिथि ने कहा कि भारत को इस बात का एहसास है कि उसे डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं समकालीन महत्व के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्तर बनाना है, और इसी के मद्देनज़र भारत सरकार ने साईबर फिज़िकल सिस्टम, सेमिकंडक्टर्स, एवं कृत्रिम बौद्धिकता के लिए राष्ट्रीय मिशन आरंभ किये हैं।
इस क्रम में अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन की पहल महत्वपूर्ण है। प्रो. सूद ने बताया कि आने वाले समय में क्वॉन्टम प्रौद्योगिकी के महत्व को देखते हुए भारत सरकार Quantum Mission भी लागू कर रही है। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अपील की कि इन उभरती प्रौद्योगिकियों की दिशा में वह आगे बढ़कर योगदान दे।
मुख्य अतिथि ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों का उद्देश्य होना चाहिए कि वे शिक्षण, अधिगम और अनुसंधान में नवाचार को बढ़ावा दें और नए विचारों, नई प्रौद्योगिकियों और नई दुनिया के विचारों को प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा जगत, उद्योग और व्यवसाय की आवश्यकताओं के अनुरूप क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक आवश्यकताओं के प्रति सचेत एक सजग कार्यबल तैयार करने की दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक कदम है।
मुख्य अतिथि ने स्वास्थ्य, उद्यमशीलता, स्टार्ट अप, आदि विभिन्न क्षेत्रों में भारत द्वारा की जा रही प्रगति की चर्चा की और विश्वास जताया कि आज विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थी नवाचार को आगे बढ़ाने की ओर महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि सृजनात्मकता आपके डीएनए का हिस्सा बननी चाहिए।
समग्र शिक्षा मुहैया कराने में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना करते हुए प्रो. अजय सूद ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान का अहम योगदान है। हमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को वांछित सामाजिक प्रभाव के साथ जोड़ना होगा।
स्वागत भाषण देते हुए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को अपनी शैक्षणिक विरासत तथा पारंपरिक ज्ञान व्यवस्था के आधुनिक शिक्षा के साथ मेल के लिए जाना जाता है। विश्वविद्यालय के मूल्य सामाजिक ज़िम्मेदारियों, समग्रता, तथा शिक्षा, अनुसंधान, व सामुदायिक सक्रियता के ज़रिये देश के विकास में योगदान हेतु प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।
विभिन्न मोर्चों पर विश्वविद्यालय की प्रगति की चर्चा करते हुए कुलपति ने बताया कि बीएचयू प्रतिभाओं के विकास, शोध सुविधाओं को बढ़ाने, विद्यार्थियों को अधिक सहयोग उपलब्ध कराने, ढांचागत सुविधाओं के आधुनिकीकरण, एवं पुराछात्रों को जोड़ने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है।
उन्होंने उत्कृष्टता हासिल करने के बीएचयू के प्रयासों को आगे बढ़ाने हेतु इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस के तहत आरंभ की गई विभिन्न योजनाओं की भी चर्चा की। कुलपति ने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों से पब्लिक यूनिवर्सिटीज़ को मिल रही चुनौती व प्रतिस्पर्धा के आलोक में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पास दूसरों के लिए उदाहरण पेश करने की क्षमता, अवसर एवं ज़िम्मेदारी है।
कुलपति ने आगे कहा कि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करके तथा ईमानदारी, करुणा तथा सत्यनिष्ठा जैसे मूल्य विकसित करने के पश्चात आज विद्यार्थी जीवन के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां वे नई शुरूआत कर सकेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे उत्कृष्टता के प्रति उत्साह व वंचितों के प्रति करुणा के साथ आगे बढ़ें व अपने माता पिता एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करें। उन्होंने विद्यार्थियों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
स्वतंत्रता भवन में आयोजित 103वें दीक्षांत के मुख्य समारोह में 28 विद्यार्थियों को 32 पदकों से सम्मानित किया गया। इनमें कुलाधिपति पदक, स्वर्गीय महाराजा विभूति नारायण सिंह स्वर्ण पदक, तथा बीएचयू पदक शामिल थे। दीक्षांत कार्यक्रम के अंतर्गत 14680 विद्यार्थियों को उपाधियां (7602 स्नातक, 6002 स्नातकोत्तर, 32 एम.फिल, तथा 1044 पीएचडी) प्रदान की जा रही हैं।
दीक्षांत में 3 डीलिट भी प्रदान की जा रही हैं। सभी संस्थानों व संकायों में कुल 539 पदक प्रदान किये जा रहे हैं।
मुख्य समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने की। उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को प्रतिज्ञा दिलाई। कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने उपाधि व पदक प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों की घोषणा की। कुलगुरू प्रो. वी. के. शुक्ला ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के आरंभ में प्रो. पतंजलि मिश्र ने मंगलाचरण किया। प्रो. पद्मिनी रविन्द्रनाथ ने संचालन किया। समारोह का समापन कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद संबोधन से हुआ.
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