Story of 112 years of journey of Punjab Mail: बॉम्बे से पेशावर पंजाब मेल के 112 साल के सफर की ऐतिहासिक कहानी पर एक नज़र
Story of 112 years of journey of Punjab Mail: पंजाब मेल ने पूर्ण किए गौरवशाली 112 वर्ष
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मुंबई, 31 मई: Story of 112 years of journey of Punjab Mail: भारतीय रेल की सबसे पुरानी ट्रेन पंजाब मेल ने गौरवशाली 110 वर्ष पूर्ण कर दिनांक 1.6.2024 को 112 वें वर्ष में कदम रखे हैं। 22 मार्च, 2020 से कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान यात्री ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था, धीरे-धीरे सेवाओं को दिनांक 1.5.2020 से अनलॉक के बाद स्पेशल ट्रेनों के रूप में फिर से शुरू किया गया। दिनांक 1.12.2020 से पंजाब मेल स्पेशल ने एलएचबी कोचों के साथ अपनी यात्रा शुरू की है। इस गाड़ी की नियमित सेवा दिनांक 15.11.2021 से शुरु हुई।
पृष्ठभूमि
बॉम्बे से पेशावर पंजाब मेल कब शुरु हुई यह स्पष्ट नहीं है। वर्ष 1911 के पेपर और लगभग 12 अक्टूबर 1912 को एक नाराज यात्री की शिकायत के आधार पर, ‘दिल्ली में ट्रेन के देर से आगमन’ के बारे में, कमोबेश यह अनुमान लगाया गया है कि पंजाब मेल ने 1 जून 1912 को बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से यात्रा शुरू की है।
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पंजाब मेल प्रसिद्ध फ्रंटियर मेल से 16 वर्ष से अधिक पुरानी है। वास्तव में बैलार्ड पियर मोल स्टेशन जीआईपीआर सेवाओं का केंद्र था। पंजाब मेल, या पंजाब लिमिटेड, उस समय इस नाम से जानी जाती थी, आखिरकार 1 जून 1912 को आरंभ हुई। भारत में उनकी पहली पोस्टिंग पर पी एंड ओ स्टीमर मेल में राज के अधिकारी, उनकी पत्नियों के साथ थे। साउथेम्प्टन और बॉम्बे के बीच स्टीमर यात्रा तेरह दिनों तक चली। चूंकि ब्रिटिश अधिकारियों के पास बंबई की अपनी यात्रा के साथ-साथ अपनी पोस्टिंग के स्थान तक ट्रेन से अपनी अंतर्देशीय यात्रा दोनों के लिए संयुक्त टिकट थे, इसलिए वे उतरने के बाद, मद्रास, कलकत्ता या दिल्ली के लिए जाने वाली ट्रेनों में से एक में सवार हो गए।
पंजाब लिमिटेड बंबई के बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से जीआईपी मार्ग के माध्यम से पेशावर तक, लगभग 2,496 किमी की दूरी तय करने के लिए 47 घंटे लेती थी। ट्रेन में छह डिब्बे थे, तीन यात्रियों के लिए, और तीन डाक सामान और मेल के लिए। तीन यात्री डिब्बों ये केवल 96 यात्रियों को ले जाने की क्षमता थी।
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विभाजन के पूर्व की अवधि में पंजाब लिमिटेड ब्रिटिश भारत की सबसे तेज रफ्तार वाली गाड़ी थी। पंजाब लिमिटेड के मार्ग का बडा हिस्सा जीआईपी रेल पथ पर से इटारसी, आगरा, दिल्ली, अमृतसर तथा लाहौर से गुजरता था तथा पेशावर छावनी में समाप्त हो जाता था। इस गाडी ने 1914 से बंबई वीटी (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई) से आवागमन प्रारंभ किया। बाद में इसे पंजाब लिमिटेड के स्थान पर पंजाब मेल कहा जाने लगा और इसकी सेवाएं दैनिक कर दी गई।
1930 के मध्य में पंजाब मेल में तृतीय श्रेणी का डिब्बा लगाया गया। 1914 में बांबे से दिल्ली का जीआईपी रूट 1,541 किमी था, जिसे यह गाडी 29 घंटा 30 मिनट में पूरा करती थी। 1920 के प्रारंभ में इसके समय को घटाकर 27 घंटा 10 मिनट किया गया। 1972 में गाडी फिर से 29 घंटे लेने लगी। सन् 2011 में पंजाब मेल 55 अन्य स्टेशनों पर रूकने लगी। 1945 में पंजाब मेल में वातानुकूलित शयनयान लगाया गया।
1968 में इस गाडी को डीजल इंजन से झॉंसी तक चलाया जाने लगा तथा बाद में डीजल इंजन नई दिल्ली तक चलने लगा और 1976 में यह फिरोजपुर तक जाने लगी। 1970 के अंत या 1980 के प्रारंभ में पंजाब मेल भुसावल तक विद्युत कर्षण पर डब्ल्यू सीएम/1 ड्यूल करंट इंजन द्वारा चलाई जाने लगी। जिसमें इगतपुरी में डीसी से एसी कर्षण बदलता था।
पंजाब मेल मुंबई से फिरोजपुर छावनी तक की 1930 किमी तक की दूरी 52 स्टेशनों पर रुकने के वाबजूद औसतन स्पीड 59 प्रतिघंटे से 32 घंटे 35 मिनट में पूरी करती है। अब इसमें रेस्टोरेंट कार के स्थान पर पेंट्रीकार लगाई जाती है।
पंजाब मेल स्पेशल कोविड के बाद दिनाँक 1.12.2021 से एलएचबी कोचों के साथ शुरू हुईं।
वर्तमान में इसमें एक फर्स्ट एसी सह वातानुकूलित टू टीयर, 2 -एसी टू टियर ,6- एसी थ्री टीयर, , 6 शयनयान, एक पैंट्रीकार, 5 सेकेंड क्लास के कोच तथा एक जनरेटर वैन है। वर्तमान में यह गाड़ी 250 प्रतिशत से अधिक आक्यूपेंसी पर चल रही है।
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