Mai aaj ki Nari: मैं आज की नारी हूं, किसी के आगे क्यों झुकूं: प्रिया सिंह
!! नारी !!(Mai aaj ki Nari)

Mai aaj ki Nari: अपनी ख्वाहिशों के बोझ तले,
अपने मां बाप को क्यों दफ़न करू।
मैं आज की नारी हूं, किसी के आगे क्यों झुकूं।
सम्मान से बढ़ कर कोई गहना क्यों चुनु,
मैं इस जमाने में किसी से समझौता क्यों करूं।
मेरी तरबियत मेरा आईना है,
दूसरो को सम्मान देना मेरा धर्म,
भेद नहीं मेरे मन में, ससुराल और मायके में,
फिर किसी के ताने क्यों सुनू।
मैं पंछियों सी हुं, मुझे जमीन पर रहना पसंद नही,
किसी के खौफ से अपनी ख्वाहिशों की उड़ान मैं क्यों न उडू।
मैं आज की नारी हूं, किसी के आगे क्यों झुकूं।।
********
क्या आपने यह पढ़ा…Bachpan: थोड़ी सी मनमानी कर, लो बच्चों सी नादानी कर लो
*हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे पाठक अपनी स्वरचित रचनाएँ ही इस काव्य कॉलम में प्रकाशित करने के लिए भेजते है।
अपनी रचना हमें ई-मेल करें writeus@deshkiaawaz.in