Education: शिक्षा जैसी होनी चाहिए वो हो रही है की नहीं उसकी परीक्षा लेना हमें आना चाहिए: मनीष सिसोदिया

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शिक्षा (education) जैसी होनी चाहिए वो हो रही है की नहीं उसकी परीक्षा लेना हमें आना चाहिए:मनीष सिसोदिया

रिपोर्टः महेश मौर्य

नई दिल्ली, 27 मार्चः Education: दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली सचिवालय में आयोजित राज्य शिक्षक पुरस्कार समारोह में दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के 98 शिक्षकों और प्रिंसिपलों को स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अतुलनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। शिक्षकों को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय, शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा और शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सम्मानित किया गया। इस समारोह के दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि, “शिक्षक राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़े भागीदार होते हैं। वे अपने काम से हज़ारों जिंदगियों को प्रभावित करते हैं।

शिक्षकों द्वारा शिक्षा (education) की बेहतरी के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि, “हम देश में पहली बार लगे लॉकडाउन के ठीक एक साल बाद यहां उपस्थित हुए हैं। कोरोना महामारी के कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई क्योंकि स्कूलों के बंद होने के बाद किसी को आईडिया नहीं था कि टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस को कैसे आगे बढ़ाया जाए। लेकिन हमारे स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों ने कठिनाइयों का सामना करते हुए इस स्थिति के जवाब में अविश्वसनीय धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाया।

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हमारे शिक्षकों ने ‘लर्निंग नेवर स्टॉप’ का संदेश देते हुए सुनिश्चित किया कि कैसे नए माध्यमों और नवाचारों द्वारा अपने छात्रों तक पहुंचकर उनकी पढ़ाई जारी रखी जाए। जिन शिक्षकों को ये तक नहीं पता था कि स्मार्टफोन का प्रयोग कैसे किया जाता है, उन्होंने छात्रों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए स्मार्टफोन का प्रयोग करना सीखा और सुनिश्चित किया कि बच्चों की पढ़ाई न रुके। उनके प्रयास वास्तव में सराहनीय हैं।”

शिक्षकों को मूल्यांकन और सीखने की रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि “हमें अपने छात्रों में सही दृष्टिकोण और 360 डिग्री आकलन विकसित करने की आवश्यकता है। 3 घंटे की परीक्षा द्वारा साल के अंत में रॉट-लर्निंग को मूल्यांकन का आधार बनाना हमारे छात्रों और शिक्षकों के लिए एक अन्याय है। अब हमें रटे-रटे सीखने की प्रथाओं को खत्म करना है और यही कारण है कि हम दिल्ली के अपने शिक्षा (education) बोर्ड की शुरुआत करने जा रहे है। हमारा दिल्ली शिक्षा बोर्ड छात्रों के समग्र विकास को बढ़ाने के लिए उनका सतत और व्यापक मूल्यांकन करने के साथ-साथ शिक्षकों के शिक्षण को परिष्कृत करने में मदद करेगा।

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा को लेकर हमारा उद्देश्य सिर्फ अच्छी स्कूली इमारतें खड़ा करना और अच्छे अंक प्राप्त करने तक नहीं है बल्कि हमारे शिक्षण पद्धति में बदलाव लाना है, हैपीनेस करिकुलम, एंत्रप्रेन्योरशिप करिकुलम और देशभक्ति करिकुलम से इसकी शुरुआत हो चुकी है। डिजिटल लर्निंग के लिए हम दिल्ली में पहले वर्चुअल स्कूल की शुरुआत करने जा रहे है जहां anywhere living, anytime learning, anytime testing की सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल केवल टॉप डाउन लीडरशिप का मॉडल नहीं बल्कि ‘टीम एजुकेशन’ के सामुहिक प्रयासों का परिणाम है। और ये सब केवल हमारे शिक्षकों के प्रयासों से संभव हो पाया है। पुरस्कार समारोह में शामिल शिक्षा निदेशक उदित प्रकाश राय ने कहा कि अध्यापक शिक्षा व्यवस्था के प्रमुख स्तम्भ है। उन्होंने महामारी के दौरान सीखने की सीमाओं से परे जाकर शानदार काम किया है।

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गौरतलब है कि सम्मानित होने वाले सभी शिक्षकों और स्कूल प्रिंसिपलों में से 63 महिलाएं और 35 पुरुष थे। इनमें दिल्ली के सरकारी स्कूलों से 69, प्राइवेट स्कूलों से 18 और दिल्ली नगर निगम के स्कूलों के 11 शिक्षक शामिल थे। पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों में स्पेशल एडुकेटर, म्यूजिक और आर्ट टीचर, लाइब्रेरियन, मेंटर टीचर, स्पोर्ट्स टीचर और वोकेशनल टीचर शामिल थे। इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने 11 शिक्षकों और अधिकारियों को सेमी ऑनलाइन शिक्षण गतिविधियों और कोरोना काल में किए गए राहत कार्यों में उनकी अनुकरणीय प्रतिबद्धता के लिए सम्मानित किया गया। पिछले वर्षों की परंपरा को जारी रखते हुए, स्कूली दौरों के दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पर्यवेक्षण के आधार पर शिक्षा में अनुकरणीय कार्य करने वाले शिक्षकों को दो विशेष पुरस्कार भी दिए गए।

उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किए गए युगीन शिक्षकों की सूची में, आरपीवीवी सिविल लाइंस से पीजीटी (रसायन विज्ञान) अजय चौधरी और एसकेवी पॉकेट -4, मयूर विहार से अशोषिका भदौरिया पीजीटी (राजनीति विज्ञान) शामिल थे। उनके पथप्रदर्शक कार्यों को शिक्षा के क्षेत्र में सभी के द्वारा बहुत सराहा गया है।

अजय चौधरी को अपने काम के प्रति प्रति इतनी प्रतिबद्धता है कि जब बारहवीं के एक विद्यार्थी ने उन्हें रात 01:30 बजे मैसेज द्वारा उनसे कुछ सवाल पूछे तो अजय ने बिना समय गंवाए अपने उस विद्यार्थी के सवालों का उत्तर दिया। अजय चौधरी ने अपने छात्रों को जेईई और नीट की प्रतिष्ठित परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने में मदद की। ये छात्रों के प्रति उनकी मेहनत को दिखाता हैं। अपने काम के प्रति अजय चौधरी का अपने काम के प्रति निष्ठा का यह केवल एक उदाहरण मात्र हैं।

कुछ ऐसी ही कहानी अशोषिका भदौरिया की है जिन्होनें कोरोना महामारी के दौरान उनके विद्यार्थियों की पढ़ाई न रुके उसके लिए चिल्ला खादर की झुग्गियों में जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम किया। उनकी कर्तव्यनिष्ठा और असाधारण कार्यों के कारण ही अशोषिका भदौरिया को राज्य शिक्षक पुरस्कार से नवाज़ा गया।

एक और प्रेरणादायक कहानी है कोर अकादमिक इकाई के इंचार्ज परविंदर कुमार की है। महामारी के दौरान, उन्होंने अपने साथियों के साथ हजारों वर्कशीटों का निर्माण किया। और छात्रों की पढ़ाई न रुके ये सुनिश्चित करने के लिए लाइव कक्षाएं संचालित कीं ताकि छात्र लगातार सीखते रहें। बच्चों की शिक्षा के प्रति उनकी दृढ़ता और कड़ी मेहनत अनुकरणीय रही है।

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सर्वोदय कन्या विद्यालय , न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी की अध्यापिका इंदिरा सागर ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वर्षा जल संचयन, जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट का पुन: उपयोग आदि जैसे सराहनीय काम किया हैं। और छात्रों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने का का काम किया है।

कृपा शंकर उपाध्याय (क्षेत्रीय शिक्षा निदेशक) कोरोना के दौरान अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाने में आगे रहे हैं। उन्होंने राज्य और जिला प्रशासन के बीच प्रभावी समन्वय बनाने का काम किया और समस्याओं के निवारण में एक सक्रिय नेतृत्व की भूमिका निभाई। उनके द्वारा जिस कौशल के साथ जिले में कार्यबल का नेतृत्व किया वो प्रशंसनीय है।

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