Sapno ki udaan: सपनो की उड़ान अधूरी सी
Sapno ki udaan: !!सपनो की उड़ान!!
Sapno ki udaan: हवा का रूख कुछ बदल सा गया,
वो मुस्कुराता चेहरा, उदास सा हो गया
ख्वाहिश थी उसकी आसमां को छूने जैसी,
जिंदगी की इस मोड़ पर ये हकीकत बन गई कैसी
अपने अरमानों को नया मुकाम देना चाहती,
फ़िर क्यो वो घर की चार दीवारों में बंद रह जाती
कहते हैं घर में लक्ष्मी आई,
फ़िर क्यो वो लक्ष्मी घर की चौखट लांघ न पाई
वो अपनी किस्मत अपने हाथो लिखना चाहती,
पर क्यो उसकी जिंदगी की कलम उसके हाथो नहीं दी जाती
हाथो में पुस्तक रखने की उम्र में रसोई के बरतन पकड़ा दिए जाते,
खेलने की उम्र में, घर को संजोकर रखने की जिम्मेदारियो दे दी जाती
संस्कार, मर्यादा का पाठ उसे परिपूर्ण देते,
फिर क्यों अपने संस्कारों पर भरोसा करके उसे उड़ान भरने न देते
वो भी चाहती खुले गगन में उड़ना,
अपने पंखो से नई उचाईया छुना
वो भी चाहती सुनहरी जिंदगी,
न हो किसी की बंदगी
क्या आपने यह पढ़ा…. Inauguration of acharya ramchandra shukla auditorium: बीएचयू के हिंदी विभाग में आचार्य रामचंद्र शुक्ल सभागार का लोकार्पण