Asi river agreement

Asi river agreement: वाराणसी की मृतप्राय असि नदी को मिलेगा नया जीवन; तकनीकी सपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण निर्णय

Asi river agreement: असि नदी के पुनर्जीवन हेतु, आई आई टी बी एच यू के साथ वाराणसी विकास प्राधिकरण ने तकनीकी सपोर्ट के लिए किया महत्वपूर्ण समझौता

  • Asi river agreement: वी डी ए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग और आई आई टी के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा के नेतृत्व मे एम ओ यू पर हुआ हस्ताक्षर
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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 26 जून:
Asi river agreement: उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण नदियाँ नाले मे तब्दील हो रही हैं. इसी के परिणाम स्वरूप काशी की असि नदी भी नाले मे तब्दील हो चुकी है. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र की पौराणिक और आध्यात्मिक नदी असि को नया जीवन देने की भागीरथ प्रयास अब शुरू हो गई है. उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले कुछ महीनों के बाद इसका असर धरातल पर दिखेगा.

वाराणसी विकास प्राधिकरण (वी.डी.ए.) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), वाराणसी के बीच अस्सी नदी के पुनरुद्धार हेतु एक सहयोगात्मक प्रयास आरंभ किया गया है । आईआईटी (बीएचयू), में 26 जून, को आयोजित समारोह मे वाराणसी विकास प्राधिकरण के साथ एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किया गया. आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी के सिविल अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख आचार्य एस.एस. मंडल और वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता आनंद मिश्रा ने एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किए ।

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उक्त समारोह में आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी के निदेशक आचार्य अमित पात्रा और वीडीए के उपाध्यक्ष आईएएस पुलकित गर्ग तथा संस्थान के अधिष्ठाता (अनुसंधान एवं विकास) आचार्य विकास कुमार दुबे, अन्य अधिष्ठातागण, वरिष्ठ आचार्य तथा वी.डी.ए. के प्रतिनिधियों सहित गणमान्य लोगों ने सहभागिता की ।

सिविल अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एस.एस. मंडल के एक मार्मिक कथन में परियोजना का सार समाहित था: “सुरम्य धारा हैं वरुणा अस्सी, नहाये जिनमें कबीर तुलसी ।”
इस अवसर पर अस्सी नदी के सांस्कृतिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला गया । यह कबीर और तुलसीदास जैसे कवियों और संतों के नदी के साथ महत्व और जुड़ाव का प्रतीक है । यह सहयोगात्मक प्रयास नदी पुनरुद्धार, पर्यावरण संरक्षण और वाराणसी में अस्सी नदी के भावनात्मक जुड़ाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि इस मुहावरे को साकार किया जा सके.

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