Taran Mata

Taran Mata: रहस्य और आस्था का संगम: जिस पहाड़ी पर बौद्ध भिक्षुओं ने की साधना, वहीं प्रकट हुईं ‘तारण माता’

अहमदावाद, 16 दिसम्बर: Taran Mata: गुजरात की अरावली पर्वत श्रृंखला की गोद में, मेहसाणा जिले के सतलासना तहसील में एक ऐसा चमत्कारी स्थान छिपा है, जहाँ की हवा में इतिहास और आस्था घुली हुई है – यह है तारण धारण माता मंदिर। एक छोटी पहाड़ी पर एक प्राचीन गुफा के अंदर स्थित यह मंदिर, सिर्फ एक पूज्य स्थल नहीं, बल्कि भारतीय धार्मिक सह-अस्तित्व का जीता-जागता प्रमाण है।

स्थानीय लोक-मान्यता के अनुसार, जिस गुफा में आज तारण माता (Taran Mata) विराजमान हैं, वह सदियों पहले बौद्ध भिक्षुओं की साधना स्थली हुआ करती थी। यह क्षेत्र इतना पवित्र माना जाता था कि इसी देवी तारा (जिन्हें बौद्ध धर्म में ज्ञान और करुणा की देवी माना जाता है) के नाम पर इस पूरे क्षेत्र का नाम ‘तारंगा’ पड़ा।

बौद्ध देवी तारा की मूर्ति बनीं तारण माता?
मंदिर में स्थापित तारण माता (Taran Mata) की संगमरमर की मूर्ति भक्तों के बीच सबसे बड़ी जिज्ञासा का केंद्र है। अपनी शैली के आधार पर, यह मूर्ति लगभग आठवीं या नौवीं शताब्दी की बताई जाती है, यानी यह करीब $1200$ साल पुरानी हो सकती है!लोक कथाओं के अनुसार, तारण माता की यह मूर्ति मूल रूप से बौद्ध देवी तारा की ही है। यह तथ्य इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के गहरे प्रभाव को दर्शाता है। यह मंदिर इस बात का प्रतीक है कि कैसे समय के साथ हिंदू और बौद्ध आस्थाओं का यहां अद्भुत संगम हुआ। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि सच्चे मन से माँगी गई यहाँ की हर मनोकामना पूरी होती है, और माता हर संकट को हर लेती हैं।

मंदिर पर बनी डॉक्यूमेंट्री को दर्शकों ने सराहा इस प्राचीन और रहस्यमय मंदिर पर हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी रिलीज़ हुई है। इस डॉक्यूमेंट्री ने मंदिर के इतिहास, बौद्ध कनेक्शन और चमत्कारी लोक कथाओं को विस्तार से दिखाया है, जिसे YouTube पर दर्शकों द्वारा व्यापक रूप से सराहा गया है। इस फिल्म ने तारण धारण माता मंदिर के महत्व को राष्ट्रीय पटल पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

धारण माता और नौ देवियों का आशीर्वाद
तारण माता मंदिर (Taran Mata) से कुछ ही दूरी पर, सीढ़ियों से चढ़कर माँ धारण माता का पूजनीय मंदिर है। माँ धारण माता की प्राचीन प्रतिमा इस शक्तिपीठ का हृदय है। लोक आस्था यह बताती है कि यह देवी अपने साथ अपनी नौ बेटियों को धारण करती हैं और इनकी उपासना भक्तों को निर्भयता, समृद्धि और दिव्य परिवार का संपूर्ण आशीर्वाद देती है।

यहाँ आने वाले श्रद्धालु एक अनूठी परंपरा निभाते हैं: वे मनोकामना माँगते हुए एक के ऊपर एक पत्थर रखते हैं। यह सदियों पुराना तरीका इस क्षेत्र के तपस्वियों और भक्तों की रक्षक इन दोनों देवियों में उनकी अटूट श्रद्धा को दर्शाता है। नवरात्रि, पूर्णिमा और अमावस्या पर यहाँ भक्तों का सैलाब उमड़ता है।

ASI की खुदाई ने खोला प्राचीन नगर का राज
इस मंदिर की प्राचीनता को हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई ने और भी पुख्ता कर दिया है। मंदिर के पास की गई इन नई खुदाइयों में एक समृद्ध प्राचीन शहर के अवशेष मिले हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह स्थल किसी समय तारानगर जैसे एक संपन्न केंद्र का हिस्सा था।खुदाई में मिली प्राचीन संरचनाएं, मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े और सबसे महत्वपूर्ण, $1$वीं से $7$वीं शताब्दी ईस्वी तक के एक समृद्ध बौद्ध केंद्र के ठोस प्रमाण (प्राचीन स्तूपों की नींव, प्रार्थना कक्षों के निशान) इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह पहाड़ी सदियों तक भिक्षुओं की एक महत्वपूर्ण साधना स्थली रही थी।

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तारण धारण माता मंदिर आज भी हमें उस प्राचीन सभ्यता की याद दिलाता है जो सदियों पहले यहाँ फल-फूल रही थी, जहाँ धर्म, इतिहास और प्रकृति का अद्भुत मेल है। यह मंदिर हमारी संस्कृति की उन गहरी जड़ों का प्रमाण है जहाँ विभिन्न आस्थाओं ने मिलकर इस भूमि को पवित्र बनाया है।

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