Effect of noise pollution on cows

Effect of noise pollution on cows: डी जे की तेज आवाज ने बदला गौ माता का व्यवहार, दूध की मात्रा मे आई कमी

Effect of noise pollution on cows: धर्म की आड़ में डी.जे. के कारण गायों ने दूध देना किया बंद

चोलापुर थानांतर्गत दशवत पुर गाँव के गौ पालक सुरेंद्र सिंह के द्वारा की गई शिकायत के बावजूद नही बंद हुआ ध्वनि प्रदूषण

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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 13 अक्टूबर:
Effect of noise pollution on cows: धर्म की आड़ में डी.जे. के कारण, हार्ट अटैक की तमाम ख़बरें आपने सुन रखी होंगी, मगर अब उत्तर प्रदेश के तमाम इलाकों में, डीजे के कारण जानवरों का भी व्यवहार बदल रहा है. ध्वनि प्रदूषण के कारण गौ माता और अन्य दुधारू जानवरों ने, दूध देना कम या एकदम से दूध देना बंद कर दिया है.

वाराणसी के चोलापुर थाना अंतर्गत गोसाईंपुर-मोहाँव के पास, ग्राम- दशवतपुर में रहने वाले, गौ पालक श्री सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि उनके गाँव में धर्म की आड़ में कई दिनों से तेज आवाज के लाउडस्पीकर, डी.जे. और वूफर के खतरनाक कम्पन के चलते, उनकी गायों ने दूध देना कम कर दिया है. शिकायत करने पर पुलिस हस्तक्षेप करती है मगर पुलिस के जाते ही फिर से तेज शोर चालू हो जाता है और गायें बेहाल हो जाती हैं. गौपालक सुरेंद्र सिंह का यह भी आरोप है कि जब-जब पर्व- त्यौहार आता है तो पटाखे और डी.जे. के चलते, हर साल उनकी गायों का दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है या बंद हो जाता है. और जिस दर्द से गौ माता गुजरती हैं, उसे शब्दों में बता पाना मुश्किल है.

आपने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से यह मांग की है कि खुली जगह में या सड़क पर डी.जे. को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए. एक बार जब डी.जे. सड़क पर उतर जाता है तो पुलिस अधिकारियों के लिए, पल-पल ध्वनि को कम करा पाना, बहुत कठिन हो जाता है और मना करने पर लोग पुलिस से भी लड़ाई करने लगते हैं. लिहाजा डी.जे. पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना ही एकमात्र विकल्प है और डी.जे. को केवल साउंड प्रूफ सभागार में ही अनुमति मिलनी चाहिए.

अन्यथा दिन के दौरान भी, निर्धारित डेसीबल से अधिक शोर करने वालों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 (₹1,00,000 तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा) के अंतर्गत मुकदमा कायम होना चाहिए और नियमानुसार रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच किसी भी प्रकार के शोर को पूरी तरह से स्विच ऑफ करने के लिए, कथित तौर पर “धार्मिक” उपद्रवियों के खिलाफ, चालान और मुकदमे की कार्रवाई, पूरे प्रदेश में होनी चाहिए.

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उत्तर प्रदेश सरकार के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय कुमार त्रिपाठी (चोलापुर, वाराणसी) ने कहा है तेज शोर के कारण दुधारू पशुओं का दूध कम होना या बीमार हो जाना बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है. डॉ विजय कुमार त्रिपाठी ने सभी पशुपालकों से अपील की है कि वे अपनी गायों और सभी पशुओं को किसी भी प्रकार के तेज शोर से एकदम दूर रखें.

ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ, वर्ष 2008 से सक्रिय संस्था, ‘सत्या फाउंडेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने आज रविवार की देर शाम को उक्त गांव का दौरा किया और कहा कि डी.जे. के कारण, असंख्य बार हिंसा और हत्या के बावजूद, हमारी सरकारी मशीनरी, वर्तमान कानून का पालन करने में बहुत ढिलाई बरत रही है और यह एक प्रकार से सनातन धर्म की क्रूर हत्या है.

उपाध्याय ने नागरिकों से अपील की कि, डेसीबल सीमा या समय सीमा के उल्लंघन के मामलों में, ऐसे शोर के खिलाफ घर बैठे ऑनलाइन शिकायत मुकदमा दर्ज करने के लिए, गूगल प्ले स्टोर से UPCOP एप को डाउनलोड करें. साथ ही यह भी बताया कि सामान्य मानव जन और पशुपालकों की इस समस्या के त्वरित निस्तारण के लिए केंद्र और राज्य सरकार को वे विधिवत पत्र भेजेंगे.

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