Development in kashi

Development in kashi: काशी में नव विस्तारित क्षेत्रों का होगा सुनियोजित विकास

Development in kashi: वाराणसी विकास प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र का सुनियोजित विकास हेतु हुआ अनुबंध

  • Development in kashi: वी डी ए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने मे. साई कंसल्टिंग इंजिनियर प्रा लिमिटेड के साथ एम ओ यू पर किया हस्ताक्षर
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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 19 सितम्बर:
Development in kashi: काशी के नव विस्तारित क्षेत्रों का संपूर्ण विकास नियोजित ढंग से किया जायेगा. नियोजित विकास हेतु वी डी ए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग के नेतृत्व में, गत वर्ष के दौरान कई अभिनव कार्य सम्पन्न हुए. एक ओर जहाँ अनियोजित और अवैध निर्माणो पर लगातार कड़ी करवाई की जा रही है, वहीं दूसरी ओर नियोजित और नियमानुसार ढंग से कार्य करने वाले बिल्डर्स और कोलोनाइजर को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा-3 के प्राविधानों के अन्तर्गत वाराणसी के सुनियोजित विकास हेतु दिनांक 20 अगस्त 1974 को वाराणसी विकास प्राधिकरण का गठन किया गया. गठन के पश्चात् दिनांक 28 मार्च 1978 एवं पुनः 07 सितंबर 2016 की अधिसूचनाओं के माध्यम से उक्त के सीमा विस्तार हेतु संशोधित किया गया।

प्रदेश में प्रभावी योजनाओं एवं सम्भावित योजनाओं के दृष्टिगत तथा सुनियोजित विकास हेतु विकास प्राधिकरणों के विकास क्षेत्रों के विस्तारीकरण आवश्यक है. प्रदेश में प्रभावी योजनाओं एवं सम्भावित योजनाओं तथा बढ़ते नगरीकरण एवं जनसँख्या वृद्धि के फलस्वरूप विकास की बढ़ती प्रवृत्ति को नियोजित स्वरूप प्रदान करने हेतु विकास क्षेत्रों का विस्तारीकरण किये जाने एवं सीमा-विस्तार का औचित्यपूर्णं प्रस्ताव तैयार कर प्राधिकरण बोर्ड से अनुमोदित कराते हुए शासन को उपलब्ध कराये गये।

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जिसके फलस्वरूप 28 जून, 2024 के माध्यम से वाराणसी विकास प्राधिकरण क्षेत्र की सीमा में अधिसूचित करते हुए वाराणसी विकास क्षेत्र में 215 नये राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किया गया है। जिनका कुल क्षेत्रफल 278 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रकार वर्तमान में वाराणसी विकास क्षेत्र के अन्तर्गत कुल-850 राजस्व ग्राम सम्मिलित हैं।

उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम- 1973 के अनुसार प्राधिकरण को अपने विकास क्षेत्र के सुनियोजित विकास हेतु मास्टर प्लान बनाते हुये नवीन सम्मिलित क्षेत्रों में प्राधिकरण कार्यों के समयबद्ध एवं कुशल निष्पादन, प्रभावी नियन्त्रण, शासकीय आदेशों के अनुपालनार्थ तथा उ0प्र0 नगर योजना एवं विकास अधिनियम, 1973 की विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत उपलब्ध प्राविधानों को सुनियोजित ढ़ग से लागू किये जाने हेतु इन्हें वर्तमान गतिमान वार्ड एवं जोन की प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार संयोजित किया जाना समय की मांग है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र के लिये जीआईएस आधारित मास्टर प्लान बनाया जाना आवश्यक है।वाराणसी विकास प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र के लिये जीआईएस आधारित मास्टर प्लान के कार्य की महत्ता एवं तात्कालिकता के दृष्टिगत ई-निविदा QCBS (Quality cum Cost Basis) टू-बिड पद्धति पर आमंत्रित की गयी थी.

जिसके क्रम में Appointment of Consultant to develop GIS based Master Plans for extended area of Varanasi Development Authority कार्य M/s. Sai Consulting Engineers Pvt. Ltd. से कार्य कराये जाने अनुमति प्रदान की गयी है। वाराणसी विकास प्राधिकरण एवं M/s. Sai Consulting Engineers Pvt. Ltd. के मध्य अनुबंध की कार्यवाही दिनांक 18 सितंबर.2025 को पूर्ण करायी गयी।

वाराणसी विकास प्राधिकरण के विस्तारित क्षेत्र के लिए मास्टर प्लान चयनित संस्था द्वारा आठ माह की अवधि में तैयार कर दिया जायेगा जिससे विस्तारित क्षेत्र के सुनियोजित विकास को गति प्राप्त हो सकेगी।

मास्टर प्लान विकास को दिशा देने के लिए प्रस्तावित भूमि-उपयोग मानचित्र तैयार करते हुए शहर के विकास के लिए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो समय के साथ विकास और परिवर्तन का मार्गदर्शन करता है। जिससे निवासियों के जीवन स्तर में सुधार, व्यवस्थित विकास और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलता है। इसके प्रमुख लाभों में बेहतर भूमि उपयोग और बुनियादी ढाँचा नियोजन, हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय, भीड़भाड़ और प्रदूषण में कमी, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और विकास पहलों के लिए सामुदायिक समर्थन में वृद्धि शामिल है।

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यह नियोजित और व्यवस्थित विकास की अनुमति देता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि विकास बेतरतीब न हो और चुनौतियों का सक्रिय रूप से समाधान किया जाए। मास्टर प्लान प्रौद्योगिकी, वित्त और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश के क्षेत्रों की पहचान करके, वाणिज्यिक पार्क और औद्योगिक क्षेत्र बनाकर आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करते हैं। यह योजना आवास, वाणिज्यिक क्षेत्रों और खुले स्थानों सहित विभिन्न आवश्यकताओं के बीच विकास को संतुलित बनाती है।

मास्टर प्लान बढ़ती आबादी के लिए सड़कों, जल आपूर्ति और सीवेज जैसी बुनियादी ढाँचे की ज़रूरतों की पहचान करता है, जिससे नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है।। साथ ही यह विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयुक्त क्षेत्रों को निर्दिष्ट करके भूमि और संसाधनों के कुशल उपयोग को सुगम बनाता है, जिससे अव्यवस्थित/अनियोजित विकास को रोका जा सकता है।मास्टर प्लान के अंतर्गत न केवल आधुनिक दृष्टिकोण का समावेश होता है बल्कि शहर की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और संवर्धन के लिए दिशानिर्देश भी शामिल होते हैं, जिससे शहर के सांस्कृतिक विरासतों की रक्षा होती है।

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