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Amul 75th foundation year celebrations: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आणंद में अमूल के 75वें स्थापना वर्ष समारोह को संबोधित किया

Amul 75th foundation year celebrations: आंदोलन समस्या का समाधान करने के लिए होते हैं, इसे बढ़ाने के लिए नहीं होतेः अमित शाह

गांधीनगर, 31 अक्टूबरः Amul 75th foundation year celebrations: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात के आणंद में अमूल के 75वें स्थापना वर्ष समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, बी एल वर्मा और देव सिंह चौहान, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और अमूल के अध्यक्ष राम सिंह परमार सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज सरदार साहब की जन्मजयंती है और आज अमूल का भी अमृत महोत्सव का कार्यक्रम है। सरदार पटेल का अमूल से गहरा रिश्ता है। निजी डेयरी के अन्याय के ख़िलाफ़ किसानों के संघर्ष को सरदार पटेल की प्रेरणा और कर्मठ सहकारी नेता त्रिभुवन दास पटेल ने अच्छे तरीके से इसे सकारात्मक सोच की ओर मोड़ने का काम किया। ये ना केवल सहकारिता के लिए एक अनूठा उदाहरण है बल्कि सामाजिक जीवन में लोगों के प्रश्नों को आवाज देने के लिए आंदोलन करने वाले समाजसेवियों के लिए भी बहुत बड़ा उदाहरण है।

आंदोलन समस्या का समाधान करने के लिए होते हैं, इसे बढ़ाने के लिए नहीं होते। खेड़ा ज़िले में किसानों का शोषण होता था उसके ख़िलाफ़ आंदोलन किया, असहकार का आंदोलन किया और इसे ऐसे आंदोलन में परिवर्तित किया जिसमें जो बीज बोया गया था वो आज वट वृक्ष बनकर 36 लाख परिवारों के रोज़ग़ार का ज़रिया बना है। आंदोलन से शोषण तो रूका ही परंतु एक रचनात्मक अभिगम लेकर आंदोलन को मोड़ने की क्षमता जो सरदार साहब और विशेषकर त्रिभुवन दास पटेल में थी, इसके कारण ये वट वृक्ष आज हमारे सामने खड़ा है। 

अमित शाह ने कहा कि स्वर्गीय त्रिभुवन दास जी से, सरदार साहब की प्रेरणा से लेकर आज छोटे से छोटे गांव में अमूल के लिए दूध उत्पादन करने वाली ग़रीब से गरीब महिला तक सबने पुरूषार्थ की पराकाष्ठा की है और 75 साल में पूरे विश्व में अमूल के ब्रांड को बनाया है। ये एक ऐसा उदाहरण है कि कई लोग एक साथ जब अपनी क्षमता का योग बनाते हैं तो कितनी बड़ी ताकत बन सकती है और यही सहकारिता का मूल मंत्र है। हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन संख्या में बहुत अधिक हैं।

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अगर छोटे लोगों की बड़ी संख्या एकजुट हो जाए और एक दिशा में चल पड़े, तो बड़ी से बड़ी ताक़त बन सकती है और उसी को सहकारिता कहते हैं। उन्होंने कहा कि आज अमूल के आंदोलन ने ये करके दिखाया है। जब इसकी कल्पना की गई तब 200 लीटर के आस-पास दूध एकत्रित होता था और आज अमूल का वार्षिक टर्नओवर 2020-21 में 53 हज़ार करोड़ को पार कर चुका है। हर रोज 30 मिलियन लीटर दूध की प्रोसेसिंग और भंडारण करने की क्षमता अमूल ने विकसित की है।

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36 लाख किसान परिवार इसे अपना व्यवसाय बनाकर इसके साथ जुड़े हुए हैं और सम्मान के साथ अपना जीवनयापन कर रहे हैं। 18600 से ज़्यादा गांव की छोटी छोटी दुग्ध उत्पादक कॉपरेटिव्स आज इसके साथ जुड़ी हैं और अमूल को एक वट वृक्ष बनाने में अपना योगदान दे रही हैं। 18 ज़िलास्तरीय डेयरी हैं और पूरे देश में 87 स्थानों पर दुग्ध प्रसंस्करण प्लांट लगाए हैं। 200 लीटर दुग्ध एकत्रित करने से लेकर 30 मिलियन लीटर दुग्ध एकत्रित करने तक की यात्रा बड़ी यात्रा होती है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज यहां कई योजनाओं की शुरूआत हुई है जिनमें सरदार पटेल सभागार का उद्घाटन, अमूल के सभी दुग्ध उत्पादकों की स्मृति में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया, कोरोना के सौ करोड़ टीके के लिए भी एक विशेष कवर का उद्घाटन हुआ और 5000 करोड़ रूपए एनसीडीसी, भारत सरकार के माध्यम से डेयरी क्षेत्र को देने वाली योजना का भी शुभारंभ हुआ।

अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की है और सहकारिता आंदोलन को समय पर नई दृष्टि के साथ आगे बढ़ाने का निर्णय किया है। कोई भी क़ानून या आंदोलन हो, अगर 75 साल तक उसके काम की समीक्षा नहीं होती है, ज़रूरी बदलाव, सुधार और व्यव्थाएं जोड़ी नहीं जाती हैं, तो वो कालबाह्य हो जाता है। सहकारिता आंदोलन में भी ढेर सारे परिवर्तन करने की ज़रूरत थी और मोदी जी ने इसे समय रहते देखा।

शाह ने कहा कि अभी भी हमारा सहकारिता आंदोलन देश में कई सफल प्रकल्पों के साथ चल रहा है और उसी वक्त मोदी जी ने नया सहकारिता मंत्रालय बनाने का निर्णय किया और मेरे लिए सौभाग्य और आनंद का विषय है कि उन्होंने इसकी ज़िम्मेदारी मुझे दी। सहकारिता मंत्रालय सहकार से समृद्धि के सूत्र वाक्य के साथ बनाया गया है और इसके चार्टर का ध्येय वाक्य भी सहकार से समृद्धि होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में सहकारिता बहुत बड़ा योगदान दे सकती है और आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को सिद्ध करने के लिए सहकारिता से बड़ा कोई मार्ग नहीं हो सकता।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से अमूल ने अनेक क्षेत्रों में काम किया है, जैसे, उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन ही नहीं, स्त्री सशक्तिकरण के लिए बहुत बड़ा काम अगर आज़ादी के बाद किसी एक संस्था के माध्यम से हुआ है तो वो अमूल के माध्यम से हुआ है। इस सहकारिता आंदोलन का प्राण गुजरात की माताएं-बहनें हैं। ये प्रोजेक्ट जो 53 हज़ार करोड़ के टर्नओवर तक पहुंचा है, इसका प्राण गांव की ग़रीब माताएं और बहनें हैं और ये अमूल का बहुत बड़ा योगदान है।

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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि श्वेत क्रांति का जो स्वप्न लाल बहादुर शास्त्री जी ने देखा था वह आज सफल होता दिखाई दे रहा है लेकिन आज अमूल को और आगे देखने का समय आ गया है। सहकारिता क्षेत्र में हमारी सक्सेस स्टोरी और कृषि व पशुपालन के साथ जुड़े विषयों को कोऑपरेटिव बेसिस पर आगे बढाने और कृषि को आत्मनिर्भर बनाने का भी समय आ गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सक्सेस स्टोरी वाली सहकारी समितियों को निश्चित रूप से आगे आना होगा, 36 लाख के परिवार तक ही सीमित रहने की सोच ठीक नहीं होगी। हमें सहकारिता के माध्यम से कृषि और किसान, पशुपालक और मिल्क प्रोसेसिंग जैसी चीजों को नए सिरे से देखना होगा और इसमें अपने-अपने अनुभव व सफलता के मानकों की उपलब्धि का उपयोग करना होगा तभी सहकारिता मजबूत हो सकती है।

उन्होने कहा कि इसी सोच के कारण आणंद में नेशनल डेयरी डेव्लपमेंट बोर्ड की स्थापना हुई थी। अमित शाह ने कहा कि देशभर में एक नई प्रकार की जागृति आई है, काफी किसान अपनी भूमि का परीक्षण और आर्गेनिक व कुदरती खेती करने लगे हैं मगर उनके पास अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए प्लेटफार्म नहीं है। किसानों के पास अपने प्रोडक्‍ट को देश-विदेश में भेजने का जरिया नहीं है। शाह ने कहा कि क्या कोई सहकारी संस्था यह जिम्मेदारी ले सकती है जिसमें एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म तैयार किया जाए जहां उनकी भूमि की उर्वराशक्ति और उत्पादों की टेस्टिंग की व्यवस्था की जाए। दुनियाभर के बाज़ारों में मुनाफे के साथ उनके आर्गेनिक उत्पाद बेचे जाएँ और उसका सारा फायदा गरीब किसान के पास पहुंचे। उन्होने कहा कि इससे भूमि संरक्षण, जल संचय, उत्पादन वृद्धि और किसान की समृद्धि में बहुत बड़ा फायदा होगा।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का किसान की आय दोगुनी करने का जो आग्रह और लक्ष्य है उसमें सहकारिता क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। अमूल की यात्रा का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि अमूल ने 1946 में सबसे पहले प्राइवेट डेयरी की जगह कोऑपरेटिव और सहकारिता के मंत्र को स्वीकार किया जो एक बहुत बड़ा निर्णय था। शाह ने कहा कि अमूल ने लाल बहादुर शास्त्री जी के श्वेत क्रांति के आह्वान को उठाया और डॉक्टर कुरियन भी इससे जुड़े। विज्ञान के सिद्धांत को स्वीकार कर उसमें सहकारिता के मूलतत्व को समाहित रखते हुए मार्केटिंग, मैनेजमेंट और उत्पादन में विज्ञान को स्वीकार किया।

1980 और 1990 के दशक में फिर से एक बार एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया गया और दुनिया भर की टेक्नोलॉजी का  अभ्यास कर पूरी टेक्नोलॉजी में आमूलचूल परिवर्तन किया गया। 1995 के बाद 2000 तक सूचना तंत्र, मोबाइल ऐप, कॉल सेंटर का उपयोग कर दुग्ध उत्पादकों ने एक नई प्रकार की सेवा का शुभारंभ किया। जब डिजिटल क्रांति शुरू हुई तो डिजिटल भुगतान के द्वारा भी अमूल ने घर-घर तक सीधे बैंक से पैसा पहुंचाने का काम किया। इस परिवर्तन से पूरे सहकारिता क्षेत्र के लोगों को सीखना चाहिये क्योंकि जो समय के साथ नहीं बदलते वे अपने आपको आगे नहीं बढ़ा पाते।

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अमित शाह ने कहा कि समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने में भी अमूल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। प्राकृतिक आपदाओं और न्यूट्रिशन प्रोग्राम को बढ़ावा देने में भी अमूल ने बहुत सहयोग दिया है। शाह ने कहा कि आज सरदार पटेल की जयंती है और आज सहकारिता आंदोलन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के लिए संकल्प लेने का दिन है कि हम सहकारिता आंदोलन को फिर से एक जज्बे के साथ भारत की आर्थिक व्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बनाएँ। शाह ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि एक बार फिर से नए और आधुनिक बीज डाले जाएंगे और जो फसल होगी वह एक बार फिर हरियाली और श्वेत क्रांति लाएगी।

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