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AI in Neurology: भारतीय अकादमी ऑफ़ न्यूरोलॉजी कांफ्रेंस मे अमेरिकी चिकित्सक डॉ रोहित दास का प्रेरक व्याख्यान

AI in Neurology: अमेरिका से आए प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित दास ने दिया “न्यूरोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका” पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान

  • AI in Neurology: प्रसिद्ध न्यूरोलोजिस्ट डॉ संगीता रावत ने बच्चों के जन्म लेते ही स्तन पान एवं रोना को बताया अत्यंत जरुरी

न्यूरोलोजिस्ट कांफ्रेंस के डिलीगेट 2 नवंबर को जनजाग्रति हेतु काशी मे रन फॉर ब्रेन कार्यक्रम मे लगाएंगे दौड़

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 01 नवम्बर:
AI in Neurology; भारतीय अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी (IAN) के वार्षिक सम्मेलन IANCON 2025 के तहत शुक्रवार को काशी में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) से आए प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. रोहित दास ने “न्यूरोलॉजिकल साइंसेज़ में जेनेरेटिव एआई और मॉडल बिल्डिंग” विषय पर एक अत्यंत प्रेरक और ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया।

अपने प्रस्तुतीकरण में डॉ. दास ने बताया कि कैसे जेनेरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Generative AI) तकनीकें — जैसे GANs, Variational Autoencoders, Diffusion Models, GPT आधारित मॉडल और Flow-based Models — अब न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोल रही हैं।

उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि इन तकनीकों के माध्यम से अल्ज़ाइमर रोग की पहचान हेतु सिंथेटिक PET इमेजेज़ तैयार की जा सकती हैं और ट्यूमर वर्गीकरण के लिए MRI डेटा का उपयोग किया जा सकता है।
उन्होंने “मॉडल बिल्डिंग इन न्यूरोलॉजी” के विभिन्न चरणों — ट्रेनिंग (Training), वैलिडेशन (Validation) और टेस्टिंग (Testing) — की विस्तृत व्याख्या की। साथ ही बताया कि सुपरवाइज़्ड, अनसुपरवाइज़्ड और रिइंफोर्समेंट लर्निंग अब मस्तिष्क रोगों की भविष्यवाणी और उपचार में अभूतपूर्व योगदान दे रही हैं।

डॉ. दास ने कहा कि Regression, Classification, Clustering, NLP और Deep Learning जैसे मॉडल अब MRI, EEG, MEG जैसे जटिल न्यूरोइमेजिंग डेटा से उपयोगी जानकारी निकालने में सक्षम हैं। इससे न्यूरोलॉजिकल रोगों के निदान की सटीकता और गति दोनों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

उनका यह सत्र सम्मेलन के प्रमुख आकर्षणों में से एक रहा और श्रोताओं के लिए अत्यंत प्रेरक एवं भविष्यदर्शी साबित हुआ। बता दें, शुक्रवार को देश-विदेश से आए 99 विशेषज्ञों ने अपने-अपने क्षेत्र में किए गए कार्य को बताया। विशेषज्ञों में प्रोफेसर जैक एंटल (कनाडा), डॉक्टर सौम्या भौमिक (कोलकाता), डॉक्टर आत्मा राम बंशल (गुरुग्राम), डॉक्टर जयंत एन आचार्या (यूएसए), डॉक्टर त्यागराजन सुब्रह्मण्यम (यूएसए), डॉक्टर आयुषी गहलोत सैनी (चंडीगढ़), डॉक्टर लॉरेंस होंगी (यूएसए) शामिल है।

बच्चे के जन्म लेते ही रोना और स्तनपान जरूरी: डॉक्टर संगीता रावत

IAN की प्रेसिडेंट और केईएम हॉस्पिटल (मुंबई) की डीन न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर संगीता रावत ने कहा कि बच्चे के जन्म लेते ही रोना और स्तनपान जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म लेते ही न रोने से ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो कई बार झटके आने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चे को जन्म लेते ही स्तनपान न कराने से ग्लूकोज की कमी हो जाती है , जिससे ब्रेन को नुकसान पहुंच जाता है।

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उन्होंने कहा कि अब हमारे देश में एपिलेप्सी सर्जरी की संख्या बढ़ रही है। सर्जरी से पूर्व हम इस बात को पुख्ता करते है कि, झटके दिमाग के किस अंग और कितने अंग से आ रहे है। सर्जरी के बाद एक से दो साल तक दवा चलकर बंद भी हो जाती है। ऐसे में एपिलेप्सी एक सामान्य बीमारी की तरह हो गई है। उन्होंने एपिलेप्सी के इलाज में एआई के महत्त्व पर बताया कि अभी सर्जरी में इसका उपयोग तो नहीं हो रहा, लेकिन डायग्नोस (जांच) में इसका उपयोग हो रहा है।

2 नवम्बर को होगा रन फॉर ब्रेन

जनजागरण के लिए इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी रनर ग्रुप ‘दिमाग’ के लिए दौड़ेगा। उसके लिए शुक्रवार को हॉल संख्या 7 में डॉक्टर निर्मल सूर्या, प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र, प्रोफेसर आरएन चौरसिया सहित कई प्रोफेसरों ने टीशर्ट का उद्घाटन किया। डॉक्टर निर्मल सूर्या ने बताया कि इस समूह में 200 से ज्यादा सदस्य है। जो प्रत्येक दिन अपने स्वस्थ्य दिमाग के लिए तीन किलोमीटर की दौड़ लगाते है।

प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने बताया कि 2 नवम्बर की सुबह साढ़े छह बजे कैंटोनमेंट इलाके में इस दौड़ का आयोजन किया गया है. इस दौड़ मे सभी अतिथि, आमजन और मेडिकल छात्र शामिल होंगे।

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