98th All India Marathi Literature Conference: किसी भी क्षेत्र को जीतने का सबसे अच्छा तरीका है उसकी संस्कृति पर कब्ज़ा कर लिया जाए: उपराष्ट्रपति
98th All India Marathi Literature Conference: किसी भी क्षेत्र को जीतने का सबसे अच्छा तरीका है उसकी संस्कृति पर कब्ज़ा कर लिया जाए, उसकी भाषा को नष्ट कर दिया जाए: उपराष्ट्रपति
- 98th All India Marathi Literature Conference: आक्रमणकारियों ने हमारे दिल पर चोट करने के लिए, हमारे धार्मिक स्थान के ऊपर ही अपना स्थान बना दिया: उपराष्ट्रपति
- किसी भी देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रामाणिक स्तंभ है भाषा: उपराष्ट्रपति
- भाषा साहित्य से परे है क्योंकि वह समसामयिक परिदृश्य को परिभाषित करती है: उपराष्ट्रपति
- यदि हमारी भाषा नहीं पनपेगी तो इतिहास भी नहीं पनपेगा: उपराष्ट्रपति
- उपराष्ट्रपति ने 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की पूर्व संध्या पर प्रतिनिधिमण्डल को संबोधित किया

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि “किसी क्षेत्र को जीतने का सबसे अच्छा तरीका यह नहीं है कि उस पर शारीरिक रूप से कब्ज़ा करके उसकी संस्कृति पर कब्ज़ा कर लिया जाए, उसकी भाषा को नष्ट कर दिया जाए।”
लाभले आम्हास भाग्य बोलतो मराठी
— Vice-President of India (@VPIndia) February 20, 2025
जाहलो खरेच धन्य ऐकतो मराठी!
जब इसका अर्थ देखते हैं, तो भारत का Preamble, भारत की संस्कृति, inclusivity, togetherness, working in tandem—सब दिखता है।
धर्म, पंथ, जात एक जाणतो मराठी
एवढ्या जगात माय मानतो मराठी!
मराठी से मेरा लगाव मातृभाषा का नहीं… pic.twitter.com/STUg0a8Jeg
उपराष्ट्रपति ने आज 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन प्रतिनिधिमण्डल को उपराष्ट्रपति निवास में संबोधित करते हुए कहा कि, “करीब 1200-1300 साल पहले, जब सब कुछ उत्थान पर था, सब ठीक चल रहा था। दुनिया हमारी ओर देख रही थी, हम ज्ञान के भंडार थे।
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नालंदा, तक्षशिला जैसी संस्थाएं हमारे हाथ थीं, फिर आक्रमणकारी आए, वे हमारी भाषा, संस्कृति, और धार्मिक स्थानों के लिए बहुत दमनकारी, एवं क्रूर थे। उस समय बर्बरता और प्रतिहिंसा चरम सीमा पर थी। आक्रमणकारियों ने हमारे दिल पर चोट करने के लिए, हमारे धार्मिक स्थान के ऊपर ही अपना स्थान बना दिया। आक्रान्ताओं ने हमारी भाषाओं को कुंठित कर दिया। उन्होंने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि यदि हमारी भाषा नहीं पनपेगी तो इतिहास भी नहीं पनपेगा।”
The best way to conquer a territory is not to overtake it physically, but to overtake its culture, to destroy its language.
— Vice-President of India (@VPIndia) February 20, 2025
कालखंड चालू हुआ करीब 1200-1300 साल पहले। तब तक सब कुछ उत्थान पर था, दुनिया हमारी ओर देख रही थी, हम ज्ञान के भंडार थे। फिर आक्रमणकारी आए।
They were very… pic.twitter.com/hUizCgPX7r
उन्होंने कहा, “ किसी भी देश की सबसे बड़ी पूंजी उसकी सांस्कृतिक विरासत है, और इन सबमें भाषा सबसे प्रामाणिक स्तंभ है।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धनखड़ ने आगे कहा कि, “भाषा साहित्य से परे है क्योंकि वह साहित्य समसामयिक परिदृश्य, तत्कालीन परिदृश्य, तत्कालीन चुनौतियों को परिभाषित करता है और यह ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर भी ध्यान देता है।”
मातृभाषा के महत्व पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि, “हाल के वर्षों में भाषा पर भारी जोर दिया जा रहा है। तीन दशक के बाद एक बहुत अच्छा प्रयास किया गया। बदलाव किया गया, बदलाव की प्रमुखता है मातृभाषा। जिस भाषा को बच्चा-बच्ची सबसे पहले समझते हैं। जिस भाषा में विचार आते हैं। वैज्ञानिक परिस्थितियाँ भी यह इंगित करती हैं कि जैविक क्या है? जो व्यवस्थित रूप से विकसित होता है वह सुखदायक और स्थायी होता है और सभी के कल्याण के लिए होता है।”
अब इतिहास हमें दूसरों के दृष्टिकोण से नहीं देखना होगा, हमें स्वयं को देखना होगा। हमारी भाषा और भाषाएं—they are jewels in our civilisation.
— Vice-President of India (@VPIndia) February 20, 2025
दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं है जो हमें पाठ पढ़ा सके कि what is inclusivity?
भारत एक अकेला देश है जिसकी भाषाएं दुनिया में स्थान रखती हैं।… pic.twitter.com/M4GwpIMATA
मराठी भाषा को भारत सरकार द्वारा शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने पर अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुए उपराष्ट्रपति ने मराठा स्वराज्य और शिवाजी को याद करते हुए कहा कि “यदि गौरव को परिभाषित किया जाए तो वह मराठा गौरव है।
“भारत के संविधान के भाग-15 में, जहां चुनाव की चर्चा की गई है, वहां किसका चित्र है? शिवाजी महाराज का। कभी नहीं झुके, इसीलिए संविधान निर्माताओं ने सोचकर, समझकर, दूरदर्शिता दिखाते हुए, चुनाव वाले मामले में शिवाजी महाराज का चित्र रखा है।”
इस कार्यक्रम के अवसर पर माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, उनकी धर्मपत्नी डॉ सुदेश धनखड़, वरिष्ठ राज्यसभा सांसद शरद पवार, लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले, अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन महामंडल की अध्यक्ष, प्रोफेसर उषा तांबे, सम्मेलन अध्यक्ष डॉ तारा भावकर एवं उपराष्ट्रपति के सचिव सुनील कुमार गुप्ता आदि मौजूद रहे।
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