Workshop in BHU: बीएचयू में विद्यार्थियों के मनोवैज्ञानिक विकास हेतु अभिनव पहल
Workshop in BHU: विद्यार्थियों के मनोवैज्ञानिक कल्याण पर केंद्रित कार्यशाला में बीएचयू पदाधिकारियों के साथ कुलपति प्रो.सुधीर कुमार जैन भी हुए शामिल
- विद्यार्थियों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं के प्रति संस्थान को प्रतिक्रियात्मक व अधिक संवेदनशील बनाने पर बीएचयू के वरिष्ठ अधिकारियों को मिले विशेषज्ञ टिप्स
रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 20 फरवरीः Workshop in BHU: विद्यार्थियों के विकास और कल्याण हेतु की जा रही पहलों के संदर्भ में काशी हिंदू विश्वविद्यालय नए मानक स्थापित कर रहा है। इस संदर्भ में विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित एक व्यापक योजना को कार्यान्वित किया है। इसमें मानसिक कल्याण व स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों पर विद्यार्थियों के साथ साथ शिक्षकों के लिए भी कार्यशालाएं और सत्र शामिल हैं, ताकि मनोवैज्ञानिक चुनौतियों के विभिन्न पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने में शिक्षक समर्थ व सक्षम हों।
इस क्रम में एक कदम आगे बढ़ते हुए, विश्वविद्यालय के नीति निर्माताओं एवं शीर्ष शैक्षणिक प्रशासकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। सोमवार को आयोजित इस कार्यशाला में लगभग 40 प्रतिभागी शामिल हुए, जिसमें स्वयं कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन भी उपस्थित थे। साथ ही साथ कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, संस्थानों के निदेशक, संकाय प्रमुख, तथा विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण शामिल हुए।
मनोवैज्ञानिक आत्मचेतना के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए कार्य कर रही संस्था ‘मानस’ के सहयोग से आयोजित हो रही ये कार्यशालाएं प्रतिभागियों को मानसिक आत्म-जागरूकता के माध्यम से स्वयं तथा दूसरों से जुड़ने एवं सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए तैयार करती हैं। यह उन्हें अपनी मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को अपनी गतिविधियों में अनुभव करने तथा उनके अपने व्यक्तित्व और विद्यार्थी के रूप में विकास की यात्रा को समझने में मदद करती हैं।
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शिक्षकों तथा शैक्षणिक नीति निर्धारकों में यह विकसित संवेदनशीलता तथा जागरूकता विद्यार्थियों के प्रति सह-अनुभूति के उनके भाव तथा दृष्टिकोण परिवर्तन के रूप में परिणत होती है। इस सत्र से संकाय सदस्यों को मनोवैज्ञानिक आत्म के घटकों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने में मदद तो मिलती ही है, उन पक्षों के प्रति भी जागरूकता बढ़ती है, जो विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पहुँचा सकते हैं।
कार्यशाला के दौरान प्रतिभागी विभिन्न गतिविधियों में शामिल हुए, जिनमें लघु नाटकों का मंचन, या दर्शकों के समक्ष निश्चित समयावधि के युवाओं की मानसिक स्थिति को व्यक्त करना इत्यादि शामिल था। प्रतिभागियों ने विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया तो मनोवैज्ञानिक साक्षरता की कमी तथा स्व-जागरूकता के बीच के अंतर को दूर करने के बारे में अपने विचार भी साझा किये।
सत्रों का संचालन कर रहीं मानस संस्था की संस्थापक निदेशक, मीनाक्षी कीर्तने ने कहा कि कार्यशाला का प्रयास संस्थान के शीर्ष नेतृत्व को व्यक्तिगत स्तर पर, विद्यार्थियों के संदर्भ में, तथा संस्थागत रूप से मानसिक स्वास्थ्य के विविध पक्षों के प्रति जागरूक और क्रियात्मक बनाना है।
उन्होंने यह भी कहा कि, मानसिक रूप से स्वस्थ संस्थान अपने छात्रों के कल्याण और मार्गदर्शन हेतु उपाय, पहल, तथा अवसर उत्पन्न करेगा। मीनाक्षी कीर्तने ने कहा कि ऐसा तभी संभव हो पाएगा, जब हमारे शैक्षणिक प्रशासक आवश्यक क्षमताओं और कौशल से समृद्ध होंगे।
कुलपति प्रो.सुधीर कुमार जैन ने कहा कि, बदलते वक्त के साथ शिक्षक-विद्यार्थी संबंधों में भी परिवर्तन आ गया है। जैसे जैसे समाज बदल रहा है, विद्यार्थियों की ज़रूरतों व आवश्यकताओं में भी बदलाव आया है।
ऐसे में हमें भी विद्यार्थियों की चिंताओं के अनुरूप स्वयं को ढालना होगा और देखना होगा कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए हमें और क्या पद्धतियां अपनानी चाहिए। प्रो. जैन ने कहा कि यह कार्यशाला इस बुनियादी विषय का समाधान सुझाती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बीएचयू परिवार के सदस्य इस अवसर का भरपूर लाभ उठाएंगे।
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