SOS Children Village: एस ओ एस चिल्ड्रेन विलेज मे चार दिवसीय कार्यशाला शुरू
SOS Children Village: सुसंस्कृत और भविष्य के लिए ज्ञान, मूल्यों और कौशल से सशक्त महिला ही मजबूत समाज का निर्माण कर सकती है: कर्नल विनोद
- कार्यशाला मे देश के विभिन्न राज्यों से 40 माताएं कर रही हैं शिरकत

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 28 अगस्त: SOS Children Village: एसओएस चिल्ड्रन विलेज, चौबेपुर स्थित संस्थान मे चार दिवसीय “ज़ोन एक की माताएँ और मौसियाँ” कार्यशाला का उद्घाटन होटल बुद्धा पार्क, पहड़िया में हुआ. मुख्य अतिथि कर्नल विनोद कुमार पोस्टमास्टर जनरल वाराणसी ने प्रार्थना और दीप प्रज्वलन करके उद्घाटन किया. अवसर पर पंकज, जिला प्रोबेशन अधिकारी-विशिष्ट अतिथि, स्नेहा उपाध्याय, अध्यक्ष, मानद अतिथि, प्रदीप जारवाल, क्षेत्रीय निदेशक-सुविधाकर्ता, अनुराधा अबरोल, सीपीओ-एफएल, पूजा अवस्थी उपस्थित थे।
कार्यशाला का मुख्य विषय “सुरक्षित, सुसंस्कृत और भविष्य के लिए तैयार परिवारों के निर्माण के लिए माताओं को ज्ञान, मूल्यों और कौशल से सशक्त बनाना” है l जिसका उद्देश्य संगठनात्मक मूल्यों, कानूनी अनुपालन और विकसित हो रही देखभाल प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाते हुए, बच्चों और युवाओं के लिए सुरक्षित, पोषण और विकासात्मक रूप से सहायक वातावरण प्रदान करने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास के साथ माताओं को सशक्त बनाना है । इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आई 40 माताएं शिरकत कर रहीं हैं जो अपने अनुभव और विचार दूसरों के साथ साझा करेंगी।
अवसर पर मुख्य अतिथि कर्नल विनोद ने कहा कि वे इन माताओं को सैलूट करते हैं क्योंकि आज के समय में एक बच्चे की परवरिश करना मुश्किल होता है और यहाँ कि माताएं कम से कम आठ बच्चों की देखभाल करती हैं। आपने कहा कि महिला सशक्तिकरण को मजबूत बनाए जाने की जरुरत है और सभी माताओं को पढ़ना चाहिए जिससे वे बच्चो को ज्ञान से अपडेट कर सके और उनकी देखभाल सही तरीके से कर सके।

शैली ने बताया कि एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज (SOS Children Village)1984 से वाराणसी में बच्चों, युवाओं और परिवारों को सहायता प्रदान कर रहा है तथा उनके अधिकारों की वकालत कर रहा है। एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज परिवारों को एक ऐसा अनुकूल वातावरण बनाने में सहायता करता है, जहां उनके बच्चे विकसित हो सकें और फल-फूल सकेंI बच्चे इन परिस्थितियों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे सुरक्षित, स्वस्थ और सुपोषित रहने के लिए संघर्ष करते हैं।
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पंकज ने कहा कि जेंडर असमानता अभी भी समाज में व्याप्त है और जब माता-पिता कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो उन्हें कभी-कभी बच्चों को ज़रूरी देखभाल देने में मुश्किल होती है तो ज्यादातर् लड़कों को प्राथमिकता देते हैं। स्नेहा ने कहा कि सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए ताकि समाज में उनकी पहचान बने और उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के अवसर मिले।
अनुराधा अबरोल ने बताया कि एसओएस चिल्ड्रन्स विलेज (SOS Children Village) स्थानीय साझेदारों और समुदायों के साथ मिलकर काम करता है। हर परिवार को साथ रहने के लिए अलग-अलग मदद की ज़रूरत होती है। इस मदद में पालन-पोषण और बच्चों के अधिकारों पर कार्यशालाएँ शामिल हो सकती हैं। एसओएस चिल्ड्रेन्स विलेजेज प्रशिक्षण भी चलाते हैं ताकि माता-पिता नौकरी पाने या व्यवसाय शुरू करने के लिए ज़रूरी कौशल हासिल कर सकें।
चार दिवसीय कार्यशाला माताओं के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। जिसमे पहले दिन परिचय और पालन –पोषण की जरूरतों को समझना ,दूसरे दिन पुनर्कथन और प्रश्नोत्तरी तथा दैनिक तत्परता को बढावा देकर परिवार के घरो को अचानक आने वाले दौर के लिए कैसे तैयार किया जाय. तीसरे दिन भी पुनर्कथन और प्रश्नोत्तरी तथा माताओं का भवनात्मक कल्याण तथा चौथे दिन अनुशासन की वैकल्पिक विघि विषय पर कार्यशाला होनी है l
कार्यशाला में 40 से अधिक माताएं अन्य जिलो से आयी हुई थी जिनको इस कार्यशाला में मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार किया जा रहा है जिससे वे अन्य माताओं को ट्रेनिंग दे सके , जिससे बच्चो का पूर्ण रूप विकास हो सके और अपने भविष्य को सुरक्षित तथा बेहतर कर सकें।
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