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Neuroscience and pain management: आईआईटी (बीएचयू) मे न्यूरोसाइंस और दर्द प्रबंधन पर वैश्विक सेमिनार का शुभारंभ

Neuroscience and pain management: आई बी आर ओ समर्थित सेमिनार मे दर्द, नशे और न्यूरोलॉजिकल विकार प्रबंधन पर गहन मंथन

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 07 अक्टूबर:
Neuroscience and pain management: आईबीआरओ-समर्थित आईआईटी (बीएचयू) न्यूरोसाइंस और दर्द विद्यालय 2024 सेमिनार का शुभारंभ आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) वाराणसी के औषधीय इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग में हुआ। इस कार्यक्रम का विषय है, “दर्द और नशे के बीच जटिल अंतःक्रिया को समझना: न्यूरोलॉजिकल विकारों के प्रभावी प्रबंधन के लिए रणनीतियों को उन्नत करना,” और यह 10 से 16 अक्टूबर 2024 तक चलेगा। इस सात दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन डॉ. विनोद तिवारी, एसोसिएट प्रोफेसर और आयोजन सचिव, के नेतृत्व में किया गया है, जो न्यूरोसाइंस, दर्द प्रबंधन और नशे पर शोध में नवाचारों को उजागर करने पर केंद्रित है।

यह सेमिनार में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 36 प्रतिभागी हैं. इसका उद्देश्य दर्द और नशे के बीच न्यूरोलॉजिकल संबंध की समझ को गहरा करना है और साथ ही युवा न्यूरोसाइंटिस्ट्स को न्यूरोलॉजिकल विकारों के प्रभावी प्रबंधन के लिए आधुनिक रणनीतियों से लैस करना है।

शुभारंभ बीएचयू कुलगीत से की गई, इसके बाद दीप प्रज्वलन और भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। उद्घाटन सत्र में प्रमुख संरक्षक प्रोफेसर अमित पात्रा, निदेशक, आईआईटी (बीएचयू) ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने न्यूरोसाइंस के महत्व और इसे इंजीनियरिंग और न्यूरोबायोलॉजी के साथ जोड़ने से भविष्य में करियर के अवसरों की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए।

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मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस.एन. संखवार, निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस-बीएचयू) ने मुख्य वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने एक मजबूत न्यूरोबायोलॉजिस्ट और जीवन वैज्ञानिकों के समुदाय का निर्माण करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो आने वाले वर्षों में नवाचार और खोजों को प्रेरित कर सके।

इसके बाद, प्रोफेसर एम.के. ठाकुर, प्राणीशास्त्र विभाग, बीएचयू ने अपने संबोधन में न्यूरोसाइंटिस्ट्स के बीच संवाद और सहयोग की महत्ता पर जोर दिया। प्रोफेसर एस. हेमलता, अध्यक्ष, औषधीय इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग, आईआईटी-बीएचयू ने विभाग के 1932 से अब तक के विकास का संक्षिप्त विवरण दिया।

शैक्षणिक सत्रों की शुरुआत प्रोफेसर माइकल लिंग (यूनिवर्सिटी पुतरा, मलेशिया) के व्याख्यान से हुई, जिनका विषय था “मानव प्रेरित प्लूरिपोटेंट स्टेम सेल-व्युत्पन्न तंत्रिका और सेरेब्रल ऑर्गेनॉइड मॉडल का न्यूरोलॉजिकल विकारों के लिए उपयोग”। उन्होंने अल्जाइमर और द्विध्रुवीय विकार जैसे न्यूरोलॉजिकल रोगों के अध्ययन में सीआरआईएसपीआर तकनीक का उपयोग करते हुए मानव स्टेम सेल मॉडल्स के नैतिक विकल्पों पर चर्चा की।अगला व्याख्यान डॉ. पाइक-सी चेह (यूनिवर्सिटी पुतरा, मलेशिया) द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसका विषय था “एएवी-मध्यस्थ जीन थेरेपी द्वारा न्यूरोफाइब्रोमेटोसिस का उपचार”। उन्होंने दुर्लभ आनुवंशिक विकारों के लिए जीन थेरेपी के संभावित विकल्प के रूप में इसके उपयोग पर जोर दिया।

तीसरा विशेषज्ञ व्याख्यान डॉ. रजनीकांत मिश्रा, प्राणीशास्त्र विभाग, बीएचयू द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने “पैक्स6 का न्यूरो इंफ्लेमेशन और मस्तिष्क के न्यूरोलॉजिकल विकारों पर प्रभाव” पर चर्चा की।प्रथम दिन का समापन डॉ. विनोद तिवारी के समापन भाषण के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने इस कार्यशाला के महत्व को रेखांकित किया और इसे प्रतिभागियों के शोध दृष्टिकोणों को निखारने और न्यूरोसाइंस में नवीनतम रणनीतियों को लागू करने में मददगार बताया।

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