International Mangrove Ecosystem Conservation Day

International Day for Conservation of Mangrove Ecosystem: ‘बिपरजॉय’ चक्रवात के दुष्प्रभावों को रोकने में अहम साबित हुए गुजरात के मैंग्रोव वन

  • गुजरात में मैंग्रोव संरक्षण के लिए 34 करोड़ रुपए का बजट

International Day for Conservation of Mangrove Ecosystem: ‘MISHTI’ योजना के तहत अतिरिक्त 540 वर्ग किमी. में मैंग्रोव कवर को विकसित किया जाएगा

गांधीनगर, 26 जुलाईः International Day for Conservation of Mangrove Ecosystem: मैंग्रोव पृथ्वी पर सबसे अधिक उत्पादक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में फैले हैं, जो अनगिनत प्रजातियों को विविधतायुक्त निवास एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं और मनुष्यों को आवश्यक वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान करते हैं। मैंग्रोव जैव विविधता में योगदान देने के साथ-साथ विभिन्न जीवों को संकटों से बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

गुजरात में जून, 2023 को आया चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ एक विनाशक आपदा थी, जिसने मानव सृजित ढांचों को नुकसान पहुंचाया था। लेकिन कच्छ, सौराष्ट्र और अन्य आर्द्रभूमि (वेटलैंड) में मजबूत जड़ों वाले मैंग्रोव पेड़ों ने इस आपदा के दौरान ग्रीन वॉल और आश्रय के रूप में काम किया था।

मैंग्रोव वनों और उनकी एक-दूसरे से जुड़ी हुई जड़ों ने चक्रवात की तीव्रता को कम करने के साथ ही उड़ते हुए मलबों को बिखेर दिया था। इसके कारण आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और जीव-जंतुओं की रक्षा संभव हो पाई। मैंग्रोव वन केवल जलचर जीवन के लिए ही नहीं, बल्कि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए भी प्राकृतिक आश्रय स्थान हैं।

हर साल मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए 26 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने इसकी घोषणा की थी। इसका उद्देश्य मैंग्रोव के लिए जागरूकता बढ़ाना और प्रकृति द्वारा सृजित इस अद्भुत पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहन देना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैव विविधता के संरक्षण के लिए एक संपूर्ण मॉडल लागू करने के लिए काम कर रहे हैं। 2023-24 के बजट में मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटेट्स एंड टैंजिबल इनकम्स (MISHTI) योजना की घोषणा की गई थी, जो प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता की दिशा में एक और बड़ा कदम है।

MISHTI योजना का उद्देश्य समुद्र तट और लवणीय भूमि वाले क्षेत्रों के साथ मैंग्रोव कवर को 540 वर्ग किमी तक बढ़ाना है। अगले पांच वर्षों के दौरान 11 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में मैंग्रोव वन विकसित किए जाएंगे।

यह योजना तटीय क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को उनके प्राकृतिक आवास में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने तथा मैंग्रोव संरक्षण के लिए प्रकृति-आधारित समुदाय विकसित करने में सहायता प्रदान करेगी, जो इन स्थानीय समुदायों की जीवन शैली, संस्कृति और विरासत के अनुकूल होगी। इसके अंतर्गत भारत सरकार प्रोजेक्ट खर्च का 80 फीसदी वहन करेगी, जबकि 20 फीसदी योगदान संबंधित राज्यों द्वारा दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हाल ही में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और बहाली के लिए 34 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। यह बजट वन विभाग और गुजरात इकोलॉजी कमिशन (GEC) के बीच बांटा गया है।

GEC लंबे समय से राज्य में मैंग्रोव संरक्षण का कार्य कर रहा है। उनका मैंग्रोव पौधरोपण कार्यक्रम स्थानीय समुदायों, वन विभाग, एनजीओ, निजी भागीदारों, सरकारी प्राधिकारियों और विश्व बैंक के सहयोग से कार्य करता है। इस टीम वर्क का उद्देश्य स्थानीय समुदायों को मैंग्रोव वनों का आयोजन करने एवं एकत्रीकरण के लिए जागरूक करना है, जहां वे मछली और केकड़ा पालन के साथ-साथ चारे की खेती कर सकें।

GEC समुदाय आधारित संस्थाओं (CBO) को प्रशिक्षण देता है। CBO द्वारा नर्सरी पालन और कार्यक्रम की सीधी देखरेख की जाती है, जो स्थानीय लोगों को वैकल्पिक आजीविका प्रदान करता है, साथ ही जमीन के खारेपन को संतुलित कर उसे उपजाऊ बनाता है और इस प्रक्रिया में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को बरकरार रखता है।

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल प्रादेशिक समुदायों के विकास और मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण, दोनों के लिए सफल साबित हुआ है। गुजरात सरकार ने ‘MISHTI’ योजना की शुरुआत से मैंग्रोव वनों के संरक्षण के लिए अनेक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं और भागीदारी स्थापित की है। यह संयुक्त उपक्रम राज्य के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण, बहाली और विस्तार के लिए एक रणनीतिक योजना विकसित करेगा।

मैंग्रोव पेड़ प्रकृति का अजूबा और हमारे लिए एक संपत्ति भी है। गुजरात एक ऐसा राज्य है, जो तेजी से औद्योगिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए संतुलन के साथ मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। मैंग्रोव वनों के संरक्षण के लिए GEC, वन विभाग तथा स्थानीय निकायों के अलावा गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), अनुसंधान संस्थाएं तथा स्थानीय समुदाय एक-दूसरे के सहयोग से कार्य करते हैं।

गुजरात में मैंग्रोव

भारतीय उपमहाद्वीप के लंबे तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से अद्भुत मैंग्रोव वन फैले हुए हैं। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई-2021) की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के समुद्र तट का 1175 वर्ग किमी का क्षेत्र मैंग्रोव से आच्छादित है, जो पश्चिम बंगाल के सुंदरवन (2114 वर्ग किमी) के बाद दूसरे स्थान पर है।

इसी रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के 14 जिलों में से शीर्ष तीन मैंग्रोव कवर में कच्छ (798.74 वर्ग किमी), जामनगर (231.26 वर्ग किमी) और भरूच (45.38 वर्ग किमी) का समावेश है। राज्य सरकार विभिन्न प्रयासों के फलस्वरूप मैंग्रोव आवरण पूरे राज्य में लगातार बढ़ रहा है।

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