Bairbi Sairang Rail Project

Bairbi-Sairang Rail Project: पहली बार मिज़ोरम की राजधानी को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोडा गया

दिल्ली, 10 सितम्बर: Bairbi-Sairang Rail Project: बइरबी-सायरंग रेल परियोजना उत्तर-पूर्वी भारत की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है, जो आजादी के 78 वर्षों के बाद पहली बार मिज़ोरम की राजधानी को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ रही है। इसकी कुल लंबाई लगभग 51.38 किलोमीटर है। यह असम के बइरबी स्टेशन से शुरू होकर मिज़ोरम के सायरंग तक पहुँचती है।

यह परियोजना 4 सेक्शन में पूरी हुई है। जिसमें बइरबी-सायरंग रेल परियोजना(Bairbi-Sairang Rail Project) में बइरबी- हरतकी सेक्शन (16.72 KM), हरतकी – कावनपुई सेक्शन (9.71 KM), कावनपुई – मुअलखांग सेक्शन (12.11 КМ), मुअलखांग- सायरंग सेक्शन (12.84 KM) शामिल हैं।

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इस परियोजना में (Bairbi-Sairang Rail Project) 4 नए स्टेशन विकसित किए गए हैं, जो हरतकी, कॉनपुई, मुअलखांग और सायरंग हैं। यह स्टेशन आधुनिक सुविधाओं से युक्त हैं और यात्रियों व माल ढुलाई दोनों के लिए तैयार किए गए हैं। परियोजना की लागत करीब 8071 करोड़ रुपये है। इसका अधिकांश हिस्सा सुरंगों और पुलों से होकर गुजरता है। कठिन पहाड़ी भूभाग, घने जंगल और भारी वर्षा जैसी प्राकृतिक चुनौतियों के कारण इसे देश की सबसे जटिल इंजीनियरिंग परियोजनाओं में गिना जाता है।

Bairbi-Sairang Rail Project
बइरबी-सायरंग रेल परियोजना

यह परियोजना इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है, जिसमें 48 सुरंगें (कुल लंबाई 12,853 मीटर), 55 बड़े पुल, 87 छोटे पुल, 5 रोड ओवर ब्रिज (ROB) और 6 रोड अंडर ब्रिज (RUB) शामिल हैं। इनमें सबसे उल्लेखनीय संरचना पुल संख्या 196 है, जिसकी ऊँचाई 114 मीटर है, जो क़ुतुब मीनार से 42 मीटर ऊँचा है।

यह रेल लाइन मिज़ोरम की राजधानी आइजोल के बिल्कुल समीप तक पहुँचती है। मिज़ोरम की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं म्यांमार और बांग्लादेश से लगती हैं, इसलिए यह रेल लाइन सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मिजोरम में बइरबी से सायरंग तक की नई रेलवे लाइन की नींव 29 नवंबर 2014 को रखी गई थी।

इस रेल लाइन से मिज़ोरम का संपर्क असम और शेष भारत से सुगम होगा। इससे ज़रूरी वस्तुओं की आपूर्ति तेज़ी से होगी, व्यापार में वृद्धि होगी और स्थानीय उत्पादों को बड़े बाज़ार मिलेंगे।

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मिज़ोरम की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर तक पहुँचना आसान होगा, जिससे पर्यटन उद्योग को नई गति मिलेगी। इससे स्थानीय लोगों की आजीविका के नए और दीर्घकालिक अवसर भी पैदा होंगे। यह परियोजना ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को साकार करने की दिशा एक महत्वपूर्ण कदम है।

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