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Acquisition of religious places: धर्मनिरपेक्ष सरकार द्वारा धर्मस्थानों का अधिग्रहण अनुचित

  • हिन्दुस्तान धर्मनिरपेक्ष हो गया है लेकिन कम से कम मन्दिर तो धार्मिक बना रहे
  • गोरखनाथ मन्दिर का अधिग्रहण हो जाए तो कैसा लगेगा?
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रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 03 जून:
Acquisition of religious places: काशी में इन दिनों प्रवास कर मनुस्मृति पर व्याख्यान दे रहे ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानप्द: सरस्वती 1008 महाराज ने वृन्दावन में बांके बिहारी मन्दिर को सरकार द्वारा अधिग्रहण किए जाने का कड़ा प्रतिकार किया है और साथ ही उन्होंने वृन्दावन के धर्माचार्यों से आह्वान किया कि वे किसी भी कीमत पर बांके बिहारी मन्दिर को अधिगृहीत न होने दें।

शङ्कराचार्य जी महाराज ने एक वीडियो सन्देश के माध्यम से कहा हमें बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि एक तरफ सनातन धर्म के धर्माचार्य पूरे देश मे मुहिम चलाए हुए हैं कि सरकार ने जिन-जिन मन्दिरों व धर्मस्थानों का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया है उनको वापस लिया जाए और सनातन धर्म बोर्ड बनाकर धर्माचार्यों के द्वारा उसका सञ्चालन किया जाए। इस मुहिम को सबसे अधिक आगे बढ़ाने वाले देवकीनन्दन ठाकुर जी के ही वृन्दावन में जो बांके बिहारी मन्दिर परम्परा से सेवायतों और पुजारियों के हाथों में था उसको सरकार दिनदहाड़े ट्रस्ट बनाकर अधिगृहित कर ले रही हैऔर कोई कुछ नही बोल रहा है।

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जब सरकार मन्दिर को अधिगृहित करके वहाँ सरकारी अधिकारी बैठा देगी तो भविष्य में फिर वहाँ धर्म की क्या व्यवस्था देखने को मिलेगी?
आगे कहा कि आश्चर्य है कि बातें अलग कहीं जा रही हैं और व्यवहार अलग तरह का किया जा रहा है। धर्मनिरपेक्ष सरकार को परम्परा से चले आ रहे सनातनी मन्दिरों को अधगृहीत करने का क्या अधिकार है? बांके बिहारी मन्दिर में जो हमारे गोस्वामियों की परम्परा है उस परम्परा का हमें पोषण करना है। यदि बांके बिहारी मन्दिर में कोई कमी या कोई गड़बड़ी भी हो रही है तब भी उस पर विचार कर उसको ठीक किया जाना चाहिए, न कि गड़बड़ी के नाम पर धर्मस्थान को धर्मनिरपेक्ष सरकार द्वारा अधिगृहित कर लेना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो यह धर्मस्थान कहाँ रह जायेगा?

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बताया कि धर्मस्थान और धर्मनिर्पेक्षस्थान में बड़ा अन्तर है।हिन्दुस्तान जब से धर्मनिरपेक्ष हुआ तब से वह धर्मनिर्पेक्षस्थान हो गया। इसलिए कम से कम हिन्दुस्तान के धर्मस्थान को तो धर्मस्थान रहने दीजिए उसे धर्मनिर्पेक्षस्थान मत बनाइए।
शङ्कराचार्य ने स्मरण कराते हुए कहा कि विगत 1982 में काशी विश्वनाथ मन्दिर में हुई चोरी के नाम पर सरकार ने अधिगृहित कर लिया था जबकि आज तक उस चोरी को सुप्रीम कोर्ट तक में साबित नही किया जा सका है। जबकि अधिग्रहण के बाद से विश्वनाथ मन्दिर में अनेकों चोरियाँ हुईं लेकिन कहीं कोई दिक्कत नही है क्योंकि वह सरकार के नियन्त्रण में है।

शङ्कराचार्य ने कहा कि जब सब लोग अधिग्रहण के लिए ही तत्पर हैं तो गोरखपुर का गोरखनाथ मन्दिर में भी सरकार का अधिग्रहण हो जाए। यदि ऐसा हो जाए तो योगी जी को कैसा लगेगा? जब आप बांके बिहारी मन्दिर को ट्रस्ट बनाकर वहाँ के सेवायतों महन्तों को आप अलग करना चाहते हैं तो आपके गोरखनाथ मन्दिर को भी साथ मे ट्रस्ट बनाकर सरकारी अधिग्रहण कर लिया जाए और आपके मन्दिर ट्रस्ट के रुपए से सार्वजनिक स्थान बन जाए जनता की सुविधा हेतु। क्या ये विचारणीय होगा? विचार करिए।

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