देश भर के रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास रेल मंत्रालय की प्राथमिकता हैं

सीएसएमटी रेलवे स्टेशन की पुनर्विकास परियोजना के संबंध में बोली-पूर्व बैठक आयोजित
25 SEP 2020 by PIB Delhi
नीति आयोग के सीईओ और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एवं सीईओ ने सीएसएमटी परियोजना के संबंध में डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये आज आयोजित बोली-पूर्व बैठक की अध्यक्षता की। इसमें रेलवे बोर्ड के सदस्य (इन्फ्रास्ट्रक्चर), मध्य रेलवे के महाप्रबंधक और उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक भी उपस्थित थे। देश भर में रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास भारत सरकार के रेल मंत्रालय का प्राथमिकता वाला एजेंडा है। इस एजेंडे को पीपीपी के तहत निजी कंपनियों की भागीदारी के साथ सरकार द्वारा पूरी ताकत से संचालित किया जा रहा है। आज आयोजित बोली-पूर्व बैठक को उद्योग जगत से व्यापक प्रतिक्रिया मिली। डेवलपर और फंड हाउस भी इस निवेश अवसर में काफी रुचि दिखा रहे हैं।
बोली-पूर्व बैठक में लगभग 43 संभावित बोलीदाताओं ने भाग लिया जिनमें अडानी ग्रुप, टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, एल्डेको, जीएमआर ग्रुप, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, एसएनसीएफ हब्स एंड कनेक्शंस, आई स्क्वॉयर्ड कैपिटल, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड, ऐस अर्बन डेवलपर्स, जीआर इन्फ्रास्ट्रक्चर, एस्सेल ग्रुप एवं लार्सन एंड टुब्रो जैसे डेवलपरों ने भाग लिया। इसके अलावा बीडीपी सिंगापुर, हाफीज कॉन्ट्रैक्टर, एईसीओएम जैसे आर्किटेक्ट्स और एंकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड, ब्रुकफील्ड जैसे फंड हाउसों और जेएलएल, बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप, केपीएमजी, पीडब्ल्यूसी इंडिया, ईवाई जैसी सलाहकार फर्मों और ब्रिटिश उच्चायोग ने भाग लिया। निवेशकों को भारत में निवेश के अवसरों और विकल्पों को तलाशने में मदद करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय निवेश संवर्धन एवं सुविधा एजेंसी डीपीआईआईटी द्वारा स्थापित इन्वेस्ट इंडिया ने भी इस बैठक में भाग लिया।
सीएसएमटी एक ऐतिहासिक और यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व धरोहर स्थल है जो मुंबई शहर के बिल्कुल केंद्र में स्थित है। माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुसार इस पुनर्विकास योजना के तहत इस रेलवे स्टेशन को मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब बनाने के लिए विभिन्न तरीकों का एकीकरण किया गया है। इसमें आगमन एवं प्रस्थान, दिव्यांगजनों के अनुकूल स्टेशन, यात्रियों के लिए बेहतर सेवा, ऊर्जा कुशल भवन और विरासत स्थल को 1930 की स्थिति के अनुसार तैयार करना शामिल होगा। सीएसएमटी रेलवे स्टेशन एक सिटी सेंटर रेल मॉल की तरह कार्य करेगा जहां यात्रियों की परिवहन जरूरतों के अलावा उनकी दैनिक आवश्यकताओं जैसे- रिटेल, एफ एंड बी मनोरंजन, स्मारिका खरीदारी आदि को भी पूरा किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि यात्रियों की अधिकांश दैनिक आवश्यकताओं को रेलवे स्टेशन पर ही पूरा किया सके और उन्हें शहर में अनावश्यक न भटकना पड़े।
पुनर्विकास स्टेशन पर बुनियादी ढांचे की परिकल्पना इस तरह से की गई है कि एक मोड से दूसरे मोड में निर्बाध तौर पर एकीकरण हो सके। पुनर्विकास होने पर यह यात्रियों के आसान आवागमन के लिए कई एक्सेस पॉइंट प्रदान करेगा और उपनगरीय रेलवे, बंदरगाह लाइन, लंबी दूरी, मेट्रो रेल और वाणिज्यिक विकास के बीच सीधा लिंकेज उपलब्ध कराएगा। इससे यात्रियों को बेहतर विरासत संरचना का आनंद मिलेगा और शहर में भीड़ को कम करने में मदद मिलेगी। इसके तहत दूर दराज के क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के प्रयास भी किए जाएंगे ताकि यात्रियों को एंड-टू-एंड समाधान प्रदान किया जा सके।
पीपीपी मॉडल के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (मुंबई) के पुनर्विकास के लिए अर्हता आवेदन (आरएफक्यू) मंगाने के लिए आईआरएसडीसी द्वारा 20.08.2020 को एनआईटी प्रकाशित किया गया है। आरएफक्यू दस्तावेज इस लिंक पर जाकर हासिल किया जा सकता है: http://irsdc.enivida.com/. आवेदन जमा कराने की अंतिम तिथि 22.10.2020 है।
बोली-पूर्व बैठक के दौरान यह भी उजागर किया गया कि आरएफक्यू चरण में आवेदकों को केवल वित्तीय मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता होगी जो कि न्यूनतम निवल मूल्य (डेवलपर्स के लिए) या न्यूनतम एसीआई (फंड के लिए) और तकनीकी पात्रता मानदंड के साथ भेज दिया गया है।
सीएसएमटी परियोजना की लागत 1,642 करोड़ रुपये और रियल एस्टेट की लागत 1,433 करोड़ रुपये है। सीएसएमटी, वादी बंदर और बायकुला में कुल रियल एस्टेट बीयूए 25 लाख वर्ग फुट है। निर्माण की अवधि 4 वर्ष की है। आरएफपी चरण में चयनित बोलीदाता रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास और आसपास की रेलवे भूमि के व्यावसायिक विकास को पट्टे के आधार पर करेगी। वाणिज्यिक विकास के लिए पट्टे की अवधि 60 वर्ष और चयनित भूखंडों पर आवासीय विकास के लिए 99 वर्ष तक की होगी। रियायत के आधार पर 60 वर्षों के लिए स्टेशन का परिचालन एवं रखरखाव भी उसमें शामिल होगा।